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ब्रिटेन: प्रधानमंत्री आवास के बाहर इकट्ठा हुए बलोच कार्यकर्ता, पाकिस्तान के खिलाफ किया प्रदर्शन

लंदन: बलूचिस्तान मूल के लोग लंदन स्थित 10डाउनिंग स्ट्रीट में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बाहर इकट्ठा हुए और प्रदर्शन किया. ये बलोच कार्यकर्ता पाकिस्तान की नजरबंदी केंद्रों में बंद हजारों बलूच राजनीतिक कैदियों की रिहाई के संबंध में ब्रिटिश हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे. बता दें कि बंटवारे के बलूचिस्तान और गिलगित पाकिस्तान […]

लंदन: बलूचिस्तान मूल के लोग लंदन स्थित 10डाउनिंग स्ट्रीट में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बाहर इकट्ठा हुए और प्रदर्शन किया. ये बलोच कार्यकर्ता पाकिस्तान की नजरबंदी केंद्रों में बंद हजारों बलूच राजनीतिक कैदियों की रिहाई के संबंध में ब्रिटिश हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे.

बता दें कि बंटवारे के बलूचिस्तान और गिलगित पाकिस्तान के पास रह गया था लेकिन वहां हमेशा से आजादी की मांग उठती रही है. इन प्रातों में रह रहे बलोच, पश्तून और हिन्दू अल्पसंख्यक लगातार पाकिस्तान से आजादी की मांग करते आ रहे हैं. इनके कार्यकर्ता दुनियाभर में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन मामले को लेकर आवाज उठाते रहते हैं.

गिलगित-बलूचिस्तान में उठती रही है स्वायत्ता की मांग

गौरतलब है कि बंटवारे के वक्त जम्मू कश्मीर राज्य के तात्कालीन शासक महाराज हरिसिंह ने भारतीय संघ में विलय का फैसला किया था. लेकिन उससे पहले पाकिस्तानी हुकूमत ने अपनी सेना और कबाइली लड़ाकों की सहायता से राज्य में हमला कर कश्मीर के कुछ हिस्सों (जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नाम से जाना जाता है) सहित बलूचिस्तान-गिलगित पर कब्जा कर लिया था.

पाकिस्तान इस राज्य के विलय पर हमेशा सवाल उठाता रहा है और जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारत पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाता रहा है. लेकिन सच ये है कि उसने खुद बलूचिस्तान-गिलगित पर जबरन कज्बा किया हुआ है. दिखाने के लिए वहां प्रशासक नियुक्त किए गए हैं लेकिन सच यही है कि वहां का शासन पाकिस्तान की केंद्रीय सत्ता द्वारा संचालित किया जाता है.

पाकिस्तान पर लगा है मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप

गिलगित-बलूचिस्तान की हमेशा से ये शिकायत रही है कि पाकिस्तान उनके प्रांत में पाए जाने वाले खनिज संपदा का भरपूर दोहन करता है लेकिन ना तो सामाजिक स्वीकार्यता देता और ना ही राजनीतिक अधिकार. पाकिस्तान की विभिन्न सेवाओं का हिस्सा बनने का भी मौका उन्हें नहीं दिया जाता. यहां कई संगठन हैं जो पाकिस्तान से स्वायत्ता की मांग करते रहते हैं.

साल 2014 में पीएम मोदी ने उठाया था इसका मसला

जब साल 2014 में भारत में एनडीए की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश के नाम अपने पहले संबोधन में गिलगित-बलूचिस्तान की स्वायत्ता की मांग का समर्थन करते हुए पाकिस्तान द्वारा वहां किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाया था. बीते गुरूवार को केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख दौरे के दौरान कहा था कि, पाकिस्तान से अब कश्मीर को लेकर कोई वार्ता नहीं होगी क्योंकि ये हमारा अभिन्न हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान से कोई बात होगी तो वो पीओके को लेकर होगी. राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि, सच तो ये है कि पाकिस्तान ने गिलगित-पाकिस्तान पर जबरन कब्जा किया हुआ है और लगातार वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है.

इमरान खान को अमेरिका दौरे में झेलना पड़ा था विरोध

इससे पहले जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका के दौरे पर गए थे तो वाशिंगटन शहर में जब उनका काफिला गुजरा तो गिलगित-बलूचिस्तान के कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ नारेबाजी की थी. यही नहीं. जब इमरान खान अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी समुदाय के लोगों को संबोधित कर रहे थे तो बलोच कार्यकर्ताओं ने विरोध में नारे लगाए थे. अब बलोच कार्यकर्ता ब्रिटेन में प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान ने गैरकानूनी तरीके से हजारों बलोच लोगों को कैद किया हुआ है.

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