रूस गगनयान कार्यक्रम के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा

वलादिवोस्तोक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि देश के महत्वाकांक्षी मानवसहित अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए रूस भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा. गगनयान की पहली उड़ान 2022 में होगी जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री होंगे. अंतरिक्ष यात्रियों को सशस्त्र बलों के टेस्ट पायलटों में से चुना जायेगा. मोदी ने यहां रूसी राष्ट्रपति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2019 7:15 PM

वलादिवोस्तोक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि देश के महत्वाकांक्षी मानवसहित अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए रूस भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा. गगनयान की पहली उड़ान 2022 में होगी जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री होंगे. अंतरिक्ष यात्रियों को सशस्त्र बलों के टेस्ट पायलटों में से चुना जायेगा.

मोदी ने यहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस गगनयान परियोजना के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा. मोदी और पुतिन दोनों ने गगनयान के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के ढांचे के भीतर किये गये सक्रिय कार्य का स्वागत किया. पिछले साल पुतिन की भारत यात्रा के दौरान अंतरिक्ष मिशन क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे. भारत और रूस के संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देशों ने स्टेट कोपोरेशन फॉर स्पेस ऐक्टिविटीज (रॉस्कोसमोस) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच बढ़े सहयोग का स्वागत किया. इनमें मानव अंतरिक्षयान कार्यक्रम और उपग्रह नेविगेशन शामिल हैं.

बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जतायी कि प्रक्षेपण यानों के विकास, निर्माण और विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए अंतरिक्षयान के उपयोग के साथ-साथ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष के अनुसंधान और उपयोग की खातिर भारत और रूस की क्षमता का अधिक से अधिक दोहन करना आवश्यक है. इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में कहा था कि इसरो ने अपने पहले मानवसहित मिशन के लिए संभावित उम्मीदवारों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसके अगले महीने तक पूरा हो जाने की उम्मीद है. उम्मीदवारों को नवंबर के बाद प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जायेगा.

गगनयान कार्यक्रम के लिए कुल कोष की जरूरत करीब 10,000 करोड़ रुपये है और इसमें प्रौद्योगिकी विकास, हार्डवेयर और आवश्यक बुनियादी ढांचे के तत्व शामिल हैं. भारत-रूस अंतरिक्ष सहयोग चार दशक से चल रहा है. 2015 में दोनों पक्षों ने रूस (तब सोवियत संघ) के प्रक्षेपण यान सोयुज से भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण की 40वीं वर्षगांठ मनायी थी.

Next Article

Exit mobile version