हांगकांग: पिछले तीन महीने से जारी हिंसक प्रदर्शनों के बाद नेता कैरी लेम ने विवादास्पद प्रत्यर्पण कानून को वापस लेने की औपचारिक घोषणा कर दी. उन्होंने कहा कि हमें समाज में व्याप्त असंतोष को दूर करने के उपाय खोजने चाहिए तथा इस मसले पर एक सर्वमान्य समाधान तलाश करना चाहिए.
Hong Kong leader formally withdraws controversial extradition bill
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— ANI Digital (@ani_digital) September 5, 2019
कैरी लेम ने कहा कि हांगकांग ने पिछले तीन महीने में जिस तरीके का असंतोष देखा और जैसे विरोध प्रदर्शन का सामना किया है उसके आगे इस प्रत्यर्पण कानून को बनाए रखना बेमतलब है. उन्होंने एक मीडिया एजेंसी से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं. कैरी लेम के इस कदम को प्रत्यर्पण कानून को लेकर यू-टर्न के रूप में देखा जा रहा है.
पांच मांगों को लेकर हो रहा था प्रदर्शन
बता दें कि हांगकांग में प्रदर्शनकारी पांच मुख्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. जिसमें पहली मांग थी विवादास्पद प्रत्यर्पण कानून को औपचारिक तौर पर वापस लिया जाना. गौरतलब है कि इस कानून के मुताबिक हांगकांग के संदिग्ध अपराधियों को चीन को प्रत्यर्पित किए जाने की बात कही गयी थी. अन्य मांगो में हांगकांग में और ज्यादा लोकतांत्रिक अधिकार, पुलिस क्रूरता से आजादी तथा मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र पुलिस शिकायत परिषद् की स्थापना किया जाना शामिल था.
विकल्प होता तो पद छोड़ देतीं ‘लाम’
लेम ने ऐसी एक परिषद् के निर्माण की मंजूरी दी है जिसमें पूर्व शिक्षा ब्यूरो प्रमुख और पूर्व न्यायाधीश के अलावा एक जनप्रतिनिधि शामिल होगा. इस बीच कैरी लेम ने कहा कि उन्होंने इस्तीफे पर कोई विचार नहीं किया है और ना ही मंत्रियों के साथ इस पर चर्चा की है. दरअसल कुछ समय पहले उनका एक कथित ऑडियो क्लिप सामने आया जिसमें कह रही हैं कि अगर उनके पास विकल्प होता तो वे अपना पद छोड़ देतीं.
उल्लेखनीय है कि लैम ने जून महीने में विवादस्पद प्रत्यर्पण बिल को निलंबित कर दिया था और कहा था कि ये मृत हो चुका है. इसका अब कोई औचित्य नहीं रहा. लेकिन प्रदर्शनकारी इसे औपचारिक तौर पर वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे. उनको संदेह था कि इसे बाद में दोबारा लाया जा सकता है.
पिछले हफ्ते हुआ था हिंसक गतिरोध
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कुछ बेहद उग्र झड़प हुई. सबसे पहले एक प्रतिबंधित रैली के दौरान पुलिस ने सामूहिक गिरफ्तारियां जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस मुख्यालय और शहर के सरकारी भवनों में पेट्रोल बमों से हमला कर दिया था.