रूस में चीन के दबदबे को कम करेगी मोदी की यात्राः नज़रिया

<p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के अपने दो दिवसीय यात्रा के दौरान व्लादिवोस्तक में गुरुवार को ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (ईईएफ) में कहा कि भारत सुदूर पूर्व (फार ईस्ट) के विकास के लिए एक बिलियन डॉलर लाइन ऑफ़ क्रेडिट (ब्याज आधारित फंड) देगा.</p><p>उन्होंने भारत और सुदूर पूर्व के रिश्ता को बहुत पुराना बताते हुए कहा कि, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2019 10:32 PM

<p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के अपने दो दिवसीय यात्रा के दौरान व्लादिवोस्तक में गुरुवार को ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (ईईएफ) में कहा कि भारत सुदूर पूर्व (फार ईस्ट) के विकास के लिए एक बिलियन डॉलर लाइन ऑफ़ क्रेडिट (ब्याज आधारित फंड) देगा.</p><p>उन्होंने भारत और सुदूर पूर्व के रिश्ता को बहुत पुराना बताते हुए कहा कि, &quot;भारत वो पहला देश था जिसने व्लादिवोस्तक में अपना काउंसलेट खोला था. अब इस भागादीरी का पेड़ अपनी जड़ें गहरी कर रहा है.&quot;</p><p>भारत ने सुदूर पूर्व में एनर्जी सेक्टर और दूसरे नेचुरल रिसोर्सेज जैसे डायमंड में महत्वपूर्ण निवेश किया है.</p><p>इस दौरान मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व के सभी 11 गवर्नरों को भारत आने का न्योता भी दिया.</p><p>गुरुवार देर शाम मोदी रूस की यात्रा से भारत वापस लौट गए.</p><p><a href="https://twitter.com/MEAIndia/status/1169594553092849664">https://twitter.com/MEAIndia/status/1169594553092849664</a></p><h3>भारत रूस का रिश्ता</h3><p>रूस भारत का पुराना मित्र रहा है और वैश्विक पटल पर हमेशा रूस ने भारत का समर्थन किया है फिर चाहे वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद हो या अन्य उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय संगठन हों.</p><p>इस तरह से रूस का भारत के साथ जो गहरा रिश्ता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा उन्हीं रिश्तों को और मजबूत बनाने का काम करेगी.</p><p>विशेषकर रक्षा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और रूस के बीच शुरुआत से ही समझौते होते रहे हैं.</p><p>भारत और रूस दोनों ही देश अब अपने रिश्तों को 21वीं सदी के हिसाब से तैयार करना चाहते हैं, इसी की तैयारी के लिए यह यात्रा अहम हो जाती है. </p><h1>अमरीका और रूस में कौन भारत के करीब?</h1><p>अमरीका और रूस दोनों है बड़े देश हैं और उनके अपने हित हैं. भारत को इन दोनों देशों से अपने हित साधने ज़रूरी हैं.</p><p>मौजूदा दौर में जिस तरह का अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य बना हुआ है, उसमें कोई भी बड़ा देश किसी एक देश के साथ ही बहुत ज़्यादा करीबी संबंध या ख़ास रिश्ते नहीं रखता है. हर कोई अपने ज़रूरत के अनुसार दूसरे देश के संबंध स्थापित कर रहा है.</p><p>हम देख सकते हैं कि रूस के संबंध भारत के साथ जितने मज़बूत हैं उतने ही गहते रिश्ते रूस और चीन के बीच भी हैं. इसलिए अब किसी एक देश के साथ बहुत करीबी रिश्ते बनाए रखने का दौर खत्म हो चुका है. </p><p>यहा बात अमरीका और रूस दोनों ही जानते हैं. हाल ही में संपन्न हुई जी 7 की बैठक में भी यह बात निकलकर आई थी. वहां अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि वो चाहते हैं कि रूस भी इस समूह का हिस्सा बने और यह दोबारा जी 8 समूह बन जाए.</p><figure> <img alt="डोनल्ड ट्रंप" src="https://c.files.bbci.co.uk/B983/production/_108619474_gettyimages-1164163266.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लेकिन फिर भी भारत के सामने अमरीका की चिंता ज़रूर रहेगी, ख़ासकर रूस के साथ रक्षा समझौते करते समय. भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल का जो समझौता किया था उस पर अमरीकी रक्षा विभाग ने सवाल उठाए थे.</p><p>अमरीका का कहना था कि भारत रूस और अमरीका दोनों से हथियार खरीद रहा है. उस समय भारत पर कुछ प्रतिबंध लगाने की बात भी उठी थी.</p><p>वहीं कहीं ना कहीं भारत को यह बात समझ में आ गई है कि हथियारों के मामले में जिस तरह की तकनीक रूस मुहैया करवाता है उस तरह की तकनीक अमरीका की तरफ से उसे नहीं मिलती. </p><p>हालांकि पिछले कुछ वक़्त से रूस के भीतर भारत को लेकर यह नाराज़गी भी देखी गई कि भारत और रूस के बीच रक्षा से जुड़े व्यापार का प्रतिशत कम होता जा रहा है. लेकिन भारत ने भी अपनी बात स्पष्ट कर दी है कि वह अपने रक्षा सौदों में विविधता लाना चाहता है. </p><p>शीत युद्ध के दौर में भारत के रक्षा सौदे में 90 प्रतिशत हिस्सा रूस का होता था, वह दिन अब वापस नहीं आएंगे. भारत भी अपनी रक्षा तकनीक में विविधता लाना चाह रहा है, इसके लिए वह रूस के अलावा इसराइल, अमरीका और यूरोप के साथ भी जा रहा है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49381182?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सौ साल पहले जब अमरीकी सेना ने लड़ी थी रूस से लड़ाई</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49205983?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अमरीका और रूस के बीच शुरू होगी हथियारों की होड़?</a></li> </ul><h1>भारत रूस के बीच निवेश</h1><p>भारत और रूस के बीच सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन दोनों देशों को अपने संबंध नए दौर के हिसाब से बनाने होंगे. आज भी ऐसा लगता है कि भारत और रूस शीत युद्ध के दौरान बने संबंधों के ढर्रे पर ही चल रहे हैं जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा रक्षा समझौतों का है.</p><p>आज के ज़माने में दो देशों के बीच आर्थिक रिश्ते ज्यादा प्रगाढ़ होने चाहिए उसके बाद ही उनके बीच अन्य संबंध मज़बूत होते हैं. ऐसे में भारत-रूस के संबंध बहुत कमज़ोर रहे हैं. अगर अभी की बात करें तो भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार महज़ 9-10 मिलियन अमरीकी डॉलर का ही है. </p><p><a href="https://twitter.com/narendramodi/status/1169253956142473216">https://twitter.com/narendramodi/status/1169253956142473216</a></p><p>रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चाहते हैं कि अन्य देश आकर उस इलाके में निवेश करें और वहां विकास कार्य हों. इसीलिए वो साल 2015 से ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम चला रहे हैं. नरेंद्र मोदी के पास मौक़ा है कि वो भारतीय कंपनियों को वहां निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं.</p><p>एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि उस इलाके में चीन ने बहुत अधिक निवेश किया है, ऐसे में रूस उस इलाके में दूसरे देशों का निवेश भी चाहता है, जिससे वह इलाका पूरी तरह से चीन के नेतृत्व में ही ना चला जाए.</p><p><strong><em>(बीबीसी संवाददाता संदीप राय के साथ बातचीत पर आधारित)</em></strong></p><p><strong>यह भी पढ़ेंः</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49575106?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी-पुतिन के बीच हुए समझौते के केंद्र में ये शहर क्यों है</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49455139?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रूस ने समुद्र में उतारा तैरता परमाणु ऊर्जा केंद्र</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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