वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले की 18वीं बरसी आज : 9/11 के गुबार से 21000 अमेरिकी कैंसर पीड़ित
11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों की बुधवार को 18वीं बरसी है. इस हमले ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. इन हमलों ने पश्चिमी देशों को आतंकवाद के उस चेहरे से रूबरू कराया जिसे पहचानने से हर किसी ने इंकार कर दिया था. 18 साल बाद भी इस घटना ने लोगों […]
11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों की बुधवार को 18वीं बरसी है. इस हमले ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. इन हमलों ने पश्चिमी देशों को आतंकवाद के उस चेहरे से रूबरू कराया जिसे पहचानने से हर किसी ने इंकार कर दिया था. 18 साल बाद भी इस घटना ने लोगों का पीछा नहीं छोड़ा है.
11 सितंबर को न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में जब वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर के दोनों टावर गिरे तो धूल का बड़ा गुबार छा गया. यह गुबार कई हफ्तों तक मौजूद रहा. जिन लोगों ने इस गुबार में सांस ली, वे आज कैंसर और अन्य खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे हैं.
भरभरा कर ढहते ट्विन टावरों ने हवा में भारी मात्रा में डायोक्सीन, एस्बेस्टस और कैरासिनोजेनिक जैसे विषाक्त तत्व छोड़े. दमकल कर्मी और राहत और बचाव कार्य में लगे स्वयंसेवी इन विषैले तत्वों का सबसे पहला शिकार बने. जून 2019 तक 21,000 लोगों की पहचान हुई है. इनमें से 4,000 को प्रोस्टेट, ब्रेस्ट और स्किन कैंसर है.
कैंसर को पनपने में लगता है 20-30 साल
न्यूयॉर्क फायर डिपार्टमेंट के चीफ मेडिकल अफसर डेविड प्रजैंट के मुताबिक, फेफड़ों के कैंसर को पनपने में 20 से 30 साल का समय लगता है. उन्होंने बताया कि धूल के गुबार की चपेट में आये लोगों में कैंसर की संभावना 10 से 30 फीसदी ज्यादा पायी गयी. जैसे- जैसे लोग उम्रदराज होंगे वैसे-वैसे कैंसर का जोखिम और बढ़ेगा.
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