केरल का चैंपियंस बोट लीग

डॉ कायनात काजीसोलो ट्रेवेलर ह म गांव से शहर वाले क्या हुए कि कुदरत के अनमोल तोहफों का मोल ही भूल गये. बचपन में सबसे अच्छा मौसम बारिश का लगता था, जब बस्ता सिर पर रख भीगते दौड़े चले जाते थे. आज भीगने से डर लगता है. हम बड़े शहर वाले बड़े नाशुकरे होते हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2019 2:06 AM

डॉ कायनात काजी
सोलो ट्रेवेलर

ह म गांव से शहर वाले क्या हुए कि कुदरत के अनमोल तोहफों का मोल ही भूल गये. बचपन में सबसे अच्छा मौसम बारिश का लगता था, जब बस्ता सिर पर रख भीगते दौड़े चले जाते थे. आज भीगने से डर लगता है. हम बड़े शहर वाले बड़े नाशुकरे होते हैं, जो मुफ्त में मिली चीज की कदर नहीं करते. और प्रकृति मां तो सब बिना मोल ही दिया करती है.
हमारे देश में आज भी कई ऐसी जगहें हैं, जहां प्रकृति मेहरबान है. उन जगहों के उत्सव, उनका उत्साह, उनकी खुशियां, उनके खेल सब प्रकृति से एक लय में बंधे हैं. तो चलिये आज एक ऐसी जगह, जिसे लोग भगवान का देश कहते हैं.
दक्षिण भारत में पश्चिमी तट पर फैला राज्य केरल में इन दिनों चल रहा है भारत का सबसे प्राचीन वाटर स्पोर्ट बोट रेस. केरल के खुबसूरत बैकवाटर्स के बारे में तो अपने सुना ही होगा. ये बैकवाटर्स केरल के लोगों के लिए ऐसे हैं, जैसे रगों में दौड़ता लहू. इन्हें लाइफ लाइन भी कह सकते हैं. केरल की जलवायु इस जगह को और भी खुबसूरत बनाती है.
केरल में इस साल से पहले यह ट्राॅफी बोट रेस नेहरू ट्राफी बोट रेस के नाम से एक दिन के लिए अगस्त के दूसरे शनिवार को अल्लापुज्हा स्थित पुन्नामाडा लेक में आयोजित की जाती थी, जिसमें दूर दूर के गांवों से स्थानीय लोग अपनी बोट लेकर हिस्सा लेने आते थे. इस बोट रेस को देखने पूरी दुनिया से लोग जुटते थे. इसकी प्रसिद्धि देख इस साल केरल टूरिज्म ने इस बोट रेस को नया कलेवर दिया है.
अब यह सिर्फ एक दिन का फेस्टिवल नहीं रहा, बल्कि पूरा बरसात का सीजन इस पॉवर पैक्ड एक्शन के लिए समर्पित कर दिया गया है. केरल टूरिज्म इसे आइपीएल की तर्ज पर एक बड़े टूर्नामेंट ‘चैंपियंस बोट लीग’ के रूप में तीन महीनों के लिए शुरू किया है, जिसे पूरे केरल में 12 जगहों पर नौ टीमों के साथ अयोजित किया जा रहा है. इस लीग का शुभारंभ केरल के मुख्यमंत्री द्वारा 31 अगस्त को अलापुजहा में हुआ और समापन 23 नवंबर को कोलम जिले में होगा.
यह रेस अपने में बहुत अनोखी रेस है. जिसमें हर साल बहुत सारी स्नेक बोट हिस्सा लेती हैं. इसमें भाग लेने के लिए आस-पास के गांवों से स्नेक बोट्स आती हैं. आज से 400 साल पहले त्रावणकोर के राजाओं में स्नेक बोट रेस करवाने के प्रमाण मिलते हैं. उन रेसों के लिए उत्साहित राजा बड़ी शिद्दत से बोट बनवाते थे.
बोट की लंबाई 128 फीट होती थी. बोट को मजबूती देने और किसी भी प्रकार के आक्रमण को सहने के लिए कई नुस्खे आजमाए जाते थे. यहां तक की प्रतिद्वंदी राजाओं द्वारा बनवायी जा रही बोट की जासूसी के लिए राजा लोग अपने गुप्तचरों का सहारा भी लिया करते थे. उस दौर से लेकर आज तक केरल की इन बोट रेसों मे प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर देखी जाती है.
इस रेस की हर बोट एक गांव का प्रतिनिधित्व करती है. इस बोट में 100 से लेकर 140 कुशल नाविक सवार होते हैं. इन नाविकों में हिंदू, ईसाई, मुस्लिम आदि सभी संप्रदाय के लोग एक साथ हिस्सा लेते हैं. सांप्रदायिक सौहार्द की इससे सुंदर मिसाल कहीं और देखने को नही मिलती.
बेहतरीन लकड़ी बनी 128 से लेकर 140 फिट लंबी स्नेक बोट को मछली का तेल पिलाया जाता है, ताकि वह पानी पर बड़ी आसानी से चलती जाये. इस रेस की तैयारी लोग साल भर करते हैं. क्योंकि यह बोट रेस माॅनसून के समय में होती है, इसलिए यहां पानी भी बहुत होता है.
इस बोट को चलाने के लिए मजबूत शरीर वाला एथलीट होना जरूरी है. करीब 1,400 मीटर लंबे ट्रैक को भली प्रकार समझने के लिए अनुभवी नाविक खूब प्रैक्टिस करते हैं, ताकि रेस जीती जा सके. टीम के सवार नाविक जहां एक लय में चप्पू से नाव को खेते हैं, वहीं इनके बीच बैठे हुए गायक अपने साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए बोट सांग्स गाते हैं. इनके साथ दो ड्रमर होते हैं, तो ड्रम बजाकर नाविकों में जोश भरते हैं.
बोट को चंदन कहा जाता है. उसको दो-तीन दिन पहले ही पानी से निकाल कर सुखाया जाता है. रेस के दिन बोट की पूजा की जाती है और अपने आराध्य देव से विजय की अर्जी लगाकर बोट पानी में उतारी जाती है. यहां महिलाओं की बोट भी होती है. पारंपरिक केरल की जरी बॉर्डर वाली सफेद साड़ी में सजी महिलाएं बोट रेस में पुरुषों के बराबर ही पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लेती हैं.
यह रेस ग्रामीण समुदायों का अपना उत्सव है. लेक में बने रेसिंग ट्रेक के सहारे बैठकर अपने गांव की बोट को चियर करते हैं. इस एडवेंचर एक्टिविटी का नजारा देखने लायक होता है. इस चैंपियनशिप को जीतनेवाली टीम को 25 लाख रुपये मिलेंगे. तो हो जाइए तैयार इस माॅनसून कुछ अनोखा देखने के लिए.

Next Article

Exit mobile version