Google ने अमेरिकी संगीतकार बी बी किंग को Doodle बनाकर किया याद, जानिए इनका सफरनामा
नयी दिल्ली: गूगल ने डूडल बनाकर प्रसिद्ध अमेरिकी संगीतकार रिले बी किंग को याद किया है. गिटार वादन की नयी शैलियां विकसित करने के लिए उनको याद किया जाता है. उनको दुनिया बीबी किंग के नाम ये जानती है. संगीत शैली ब्लूच से दुनिया को परिचित करवाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है. रिले बी किंग […]
नयी दिल्ली: गूगल ने डूडल बनाकर प्रसिद्ध अमेरिकी संगीतकार रिले बी किंग को याद किया है. गिटार वादन की नयी शैलियां विकसित करने के लिए उनको याद किया जाता है. उनको दुनिया बीबी किंग के नाम ये जानती है. संगीत शैली ब्लूच से दुनिया को परिचित करवाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है.
रिले बी किंग का जन्म 16 सितंबर साल 1925 में अमेरिका के इंडोला के निकट इट्टा बेना स्थित मिसिसिपी में हुआ था. आरंभिक दिनों में किंग सड़कों पर गाते थे और कभी-कभी रात को कस्बों में गाते थे. बाद में अपने संगीत को आगे ले जाने के लिए उन्होंने मेम्फिस जाना तय किया. मेम्फिस ने हर महत्वपूर्ण संगीतकार को अपनी तरफ आकर्षित किया था. क्योंकि यहां अफ्रीकी-अमेरिकी संगीत की हर शैली पाई जाती थी. यहां रिले बी किंग अपने चचेरे भाई बुक्का व्हाइट के साथ रहने लगे. बुक्का उस समय के प्रसिद्ध ब्लूज कलाकारों में से एक थे.
साल 1948 में मिला था पहला बड़ा ब्रेक
बी बी किंग को पहला बड़ा ब्रेक साल 1948 में मिला जब उन्होेंने पश्चिमी मेम्फिस में सन्नी बॉय विलियम्सन के रेडिया कार्यक्रम पर प्रस्तुति दी. इसके बाद किंग पश्चिमी मेम्फिस के सोलहवीं एवेन्यू ग्रिल में कार्यक्रमों में व्यस्त रहे. बीबी किंग ने इसके बाद मेम्फिस रेडियो स्टेशन वीडीआईए पर दस मिनट के स्पॉट में परफॉर्म किया. इसको कहा गया किंग्स स्पॉट. किंग स्पॉट इतना ज्यादा लोकप्रिय हो गया कि कई जगहों तक इसका विस्तार हो गया. इसको सेपिया स्विंग क्लब कहा जाने लगा.
बीबी को लगा कि उनके रेडियो कार्यक्रम को एक ऐसा नाम चाहिए जो लोगों को आकर्षित करे. इसलिए इसका नाम दिया गया, ‘बील स्ट्रीट ब्लूच बॉय’. फिर इसका नाम छोटा होकर ‘ब्लूच बॉय किंग’ हो गया और आखिरकार ‘बी बी किंग’.
उनके फेवरेट गिटार का नाम ल्यूसिल था
बीबी किंग और उनके फेवरेट गिटार को लेकर एक दिलचस्प वाकया है. दरअसल साल 1950 में बी बी अर्कांसस में डांस परफॉर्म कर रहे थे. इसी दौरान दर्शक अनियंत्रित हो गए. पता चला कि दो लोगों में हाथापाई हो गयी है. हाथापाई के दौरान एक किरोसिन स्टोव गिर पड़ा और हॉल में आग लग गई. सभी लोग भागने लगे जिनमें बी बी किंग भी थे. भागते समय उन्हें याद आया कि उन्होंने अपना गिरार हॉल में ही छोड़ दिया है. गिटार वापस लाने के लिए रिले किंग वापस उस हॉल में आ गए जहां परफॉर्म कर रहे थे.
बी बी किंग को उनका गिटार तो वापस मिल गया लेकिन उनकी जान बाल-बाल बच गयी. बाद में पता चला कि वो सारा कांड एक महिला के लिए हुआ था जिसका नाम ल्यूसिल था. बी बी किंग ने तय किया कि वे अपनी गिटार का नाम ल्यूसिल रखेंगे. तब से बीबी किंग ट्रेडमार्क का हर गिटार ‘ल्यूसिल’ कहलाता है.
1956 तक लोकप्रिय संगीतकार बन चुके थे
प्रारंभिक सफलता के बाद बी बी किंग ने पूरे देश भर में घूम-घूम कर गाना शुरू कर दिया. उनके बैंड में साल 1956 में 342 वन नाइट स्टैंड्स में परफॉर्म किया. उन्होंने छोटे शहर के कैफे, जूक कपल, डांस क्लब से लेकर रॉक पैलेस, सिम्फनी कॉन्सर्ट हॉल, विश्वविद्यालय, रिजॉर्ट्स, सहित देश-विदेश के अलग अलग जगहों पर परफॉर्म किया. अगले चालीस साल में बीबी किंग लोकप्रिय और प्रसिद्ध संगीतकार बन चुके थे.
बी बी किंग ने दुनिया की सबसे अधिक लोकप्रिय गिटार शैलियों को विकसित किया. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती संगीतकारों लेमन जेफरसन, टी-बोन वॉकर आदि की शैलियों को आत्मसात किया. बी बी किंग ने पारंपरिक ब्लूच,जैज, स्विंग और मेनस्ट्रीम पॉप को मिलाया और एक नयी संगीत शैली विकसित की. उन्होंने कहा कि, मैं जब गाता हूं तो अपने दिमाग से खेलता हूं.
2015 में दुनिया को अलविदा कह गए किंग
बी बी किंग को कई सारे सम्मानों से नवाज गया. साल 1984 में बी बी को ब्लूच फाउंडेशन हॉल ऑफ फेम में और साल 1987 में रॉक एंड रोल हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया. साल1987 में ही बी बी को नारस लाइफटाइम अचीवमैंट ग्रैमी अवॉर्ड दिया गया. 14 मई साल 2015 में उनका निधन हो गया. उनकी निजी जिंदगी संगीत की तरह ही खुशनुुमा नहीं रही. उन्होंने दो शादियां कीं लेकिन दोनों ही असफल रही.