झारखंड के खूंटी ज़िले में हिंसक भीड़ ने रविवार को एक आदिवासी को पीट-पीटकर मार डाला. वह ईसाई धर्म के मानने वाले थे. उनके साथ दो और लोगों की पिटाई की गई. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
पुलिस ने इस मामले में क़रीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है. इनमें से कुछ बजरंग दल के कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं.
उन्हें हिरासत से छुड़ाने के लिए क़रीब 150 लोगों ने कर्रा थाने को घेर लिया था. वहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी. थाना परिसर में डीएसपी समेत कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उग्र लोगों को समझाने की कोशिश की. थाना घेरने वालों में महिलाएं भी शामिल थीं.
पुलिस ने थाने का घेराव कर रहे लोगों को समझा कर वापस भेज दिया है. फ़िलहाल वहाँ हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ की जा रही है. पूछताछ में मिली जानकारी के बाद पुलिस टीमें कुछ जगहों पर छापेमारी के लिए निकली हैं. संभव है कि सुबह इन्हें विधिवत गिरफ़्तार कर लिया जाए.
घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय पत्रकार अशोक कुमार ने बीबीसी को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया, "कर्रा थाना क्षेत्र के सुवारी नाला के पास आज सुबह इसी ज़िले के तीन लोग कथित तौर पर प्रतिबंधित मांस बेच रहे थे. किसी ग्रामीण ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया. इसके बाद कई गांवों के लोग वहां पहुंचे और उन्हें अपने क़ब्ज़े में लेकर मारपीट करने लगे. इस बीच किसी ने पुलिस को इसकी सूचना दी. तब मौक़े पर पहुंची पुलिस ने उन्हें भीड़ से छुड़ाया और कर्रा अस्पताल ले आए."
"वहां के डॉक्टरों ने तीनों घायलों को रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज़ (रिम्स) रेफ़र कर दिया. रिम्स लाए जाने के कुछ ही देर बाद इनमें से एक केलेम बारला की मौत हो गई. वह विकलांग थे और अपनी बहन के गांव सुवारी आए थे. उनका घर इसी ज़िले के लापुंग थाना क्षेत्र के गोपालपुर गांव में है. बाकी के दोनों घायल कर्रा थाना इलाक़े के ही हैं."
झारखंड पुलिस के एडीजी और प्रवक्ता मुरारी लाल मीणा ने इसकी पुष्टि की है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "कर्रा थाने की पुलिस लिंचिंग की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में क़रीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है. उनसे पूछताछ की जा रही है. इन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है."
क्या गाय का था मांस
बीबीसी ने जब कथित गौमांस के बारे में एडीजी मुरारी लाल मीणा से पूछा तो उन्होंने कहा कि वहां पहुंचे डीआइजी ने बताया है कि भीड़ द्वारा मारपीट का कारण कथित तौर पर गोहत्या है.
ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि भीड़ द्वारा पीटे गए तीनों लोग प्रतिबंधित मांस बेच रहे थे. इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करने की तैयारी चल रही है. प्रारंभिक जांच के बाद इसकी रिपोर्ट दर्ज कर ली जाएगी.
- तबरेज़ अंसारीः दफ़ा 302 और दफ़ा 304 के बीच झूलता मामला
- मॉब लिंचिंग के मामले में झारखंड यूं ही ‘बदनाम’ नहीं है!
घायल का पक्ष
इस घटना में घायल फागु कच्छप ने गोहत्या के आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने मीडिया को बताया कि वह अपने जानवर को बांधने जा रहे थे, तभी लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और पीटने लगे. अगर पुलिस मौक़े पर नहीं पहुंचती, तो उनकी जान जा सकती थी.
बकौल फागु, इस घटना के मृतक और दूसरे साथी भी सुवारी नाले में नहाने गए थे, न कि मांस बेचने या ख़रीदने.
मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं
उल्लेखनीय है कि झारखंड पुलिस इन दिनों मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़ लोगों को जागरुक करने के कार्यक्रम चला रही है.
जागरुकता अभियान खूंटी ज़िले में भी चलाया जा रहा है. इस बीच यह ताज़ा घटना हो गई.
बीते दो महीने के दौरान झारखंड के अलग-अलग इलाक़ों में भीड़ द्वारा पीटे जाने से संबंधित कई घटनाओं की पुलिस रिपोर्ट दर्ज करायी गई है.
इनमें कम से कम तीन लोग मारे गए हैं और दर्जनों लोग घायल हुए हैं. ऐसी ज़्यादातर घटनाएं बच्चा चोरी की अफ़वाहों में हुई हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
]]>