वाशिंगटन : जलवायु परिवर्तन और नदियों के अत्यधिक दोहन से निकट भविष्य में भारत और चीन जैसे एशियाई देशों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. एक अध्ययन के अनुसार, इसके चलते इन देशों के पास अपने बिजली संयंत्रों को ठंडा करने के लिए पर्याप्त पानी की कमी होगी. यह अध्ययन ‘एनर्जी एंड एनवायरमेंटल साइंसेस’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें पाया गया है कि ऊर्जा के लिए कोयला जलाकर बिजली पैदा करने वाले मौजूदा या प्रस्तावित संयंत्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.
अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर जेफरी बेइलिकी ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन का एक प्रभाव यह है कि मौसम बदल रहा है. इसकी वजह से भी मूसलाधार बारिश और सूखा दोनों के मामले बढ़े हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कोयला, परमाणु और प्राकृतिक गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों को ठंडा रखने के लिए पानी की जरूरत होती है. ऐसे में जब बारिश नहीं होगी, नदी में ठीक से बहाव नहीं होगा, तो आप अपने बिजली संयंत्रों को ठंडा नहीं रख पायेंगे.’
उन्होंने कहा कि अमेरिका के कुछ बिजली संयंत्रों के लिए जहां बहुत भीषण मौसमी परिस्थितियां हैं, उनके लिए यह पहले ही एक समस्या बन गयी है. अध्ययन में कहा गया है कि मंगोलिया, दक्षिण पूर्वी देश, भारत और चीन समेत एशिया के विकासशील देशों में यह एक बड़ी समस्या बन सकती है. यह उन देशों के लिए एक समस्या हो सकती है, जिन्होंने 2030 तक कोयला से 400 गीगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा हुआ है.