<figure> <img alt="बीफ़, मुसलमान, गुजरात" src="https://c.files.bbci.co.uk/EB87/production/_108959206_40bb4db5-8669-4ea4-8ca8-26e65583f19b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>प्रतीकात्मक तस्वीर</figcaption> </figure><p>"दोषी ठहराए जाने के बाद मेरी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं रही और मैं डिप्रेशन में चला गया. पहले से ही मैं गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था और इसके बाद मैं मानसिक रूप से भी अशांत हो गया."</p><p>यह कहना है सलीम मकरानी का जिनकी 10 साल की सज़ा को गुजरात हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है.</p><p>मकरानी को उनकी बेटी की शादी में बीफ़ बिरयानी परोसने के आरोप में दोषी मानते हुए धोराजी सेशन कोर्ट ने इसी साल (2019) जुलाई में यह सज़ा सुनाई थी.</p><p>गुजरात हाई कोर्ट ने अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करते हुए मकरानी की सज़ा को ख़त्म करते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है. </p><p>हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "वादी पर पशुओं के वध की आर्थिक गतिविधि में संलिप्त होने का आरोप नहीं लगाया गया है. उन पर सिर्फ़ यह आरोप है कि उन्होंने अपनी बेटी के विवाह समारोह में बिरयानी तैयार करने में बीफ़ का इस्तेमाल किया है."</p><p>इसके साथ ही जस्टिस ढोलरिया की पीठ ने मकरानी को 10 हज़ार रुपये के निजी मुचलके पर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया.</p><figure> <img alt="बिरयानी" src="https://c.files.bbci.co.uk/ECE8/production/_108984606_7f9be329-b087-430e-b4d6-a6bbc89d4c32.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>प्रतीकात्मक तस्वीर</figcaption> </figure><h3>’मेरा परिवार तबाह हो गया'</h3><p>20 सितंबर को सलीम को जेल से रिहा कर दिया गया. वो वापस अपने परिवार के पास आ गए. </p><p>अपने बूढ़े माता-पिता, बच्चों और पत्नी से मिलकर उन्हें लगा कि उन्हें नई ज़िंदगी मिल गई है. जेल में उन्हें अपने परिवार से मिलने की सभी उम्मीदें ख़त्म हो गई थीं.</p><p>गुजरात के राजकोट ज़िले में धोराजी के रसूलपुरा के रहने वाले मकरानी ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि इस पूरी समस्या के आने से पहले उनकी ज़िंदगी में केवल एक समस्या आर्थिक तंगी ही थी लेकिन अब वो मानसिक समस्या से भी जूझ रहे हैं.</p><p>सलीम बताते हैं, "सज़ा सुनाए जाने के बाद मैं और मेरा परिवार तबाह हो गया, इस क़ानूनी लड़ाई के लिए हमें बहुत साहस बटोरने की ज़रूरत थी."</p><p>बेटी फ़रहाना की शादी में बीफ़ बिरयानी परोसने के बाद मकरानी के परिवार की ज़िंदगी ही बदल गई. उनका कहना है कि परिवार बड़े क़र्ज़ तले दबा है और इससे जल्दी से जल्दी उबरना होगा.</p><p>सज़ा से पहले मकरानी दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करते थे और रोज़ाना 200 से 300 रुपये तक कमा लेते थे. अब उन्हें इस बात की आशंका है कि क़ानूनी मामले के बाद काम शायद ही मिले.</p><p>मकरानी कहते हैं, "मुझे अभी कोई काम नहीं मिला है और लगता नहीं है कि कोई काम मिलेगा भी."</p> <ul> <li><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-41596727?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इस पाकिस्तानी शहर में मुसलमान नहीं काटते गाय</a></li> </ul><figure> <img alt="सलीम मकरानी" src="https://c.files.bbci.co.uk/16218/production/_108984609_7ce39b62-29dd-41ca-bd32-3c76cc2a02b5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h3>’अल्लाह में विश्वास नहीं खोया…'</h3><p>छह लोगों के अपने परिवार में वो कमाने वाले अकेले शख़्स हैं. घर के ख़र्चों के अलावा क़ानूनी लड़ाई के लिए उन्हें अपने सगे-सम्बन्धियों से पैसे लेने पड़े, जो उन्हें चुकाने हैं.</p><p>वह कहते हैं, "अब मैं आ गया हूं, लेकिन अभी तक मैंने क़ानूनी लड़ाई के ख़र्चे का हिसाब नहीं किया है. मुझे पता है कि यह एक बड़ी रक़म है और इसे चुकाने के लिए मुझे अब दो शिफ़्ट में काम करना पड़ेगा."</p><p>सलीम का कहना है कि सज़ा सुनाए जाने से वह अंदर से टूट गए थे लेकिन उन्होंने अल्लाह में विश्वास नहीं खोया. वह कहते हैं अल्लाह ने ही उन्हें नई ज़िंदगी दी है.</p><p>वह कहते हैं, "मुझे हमेशा मेरे माता-पिता की चिंता रहती है क्योंकि वे इतने बूढ़े हो चुके हैं कि काम पर नहीं जा सकते. हालांकि मेरा परिवार मुझे सांत्वना देता रहता है."</p> <ul> <li><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40290653?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जहां बीफ़ है बीजेपी के ‘गले की हड्डी'</a></li> </ul><h3>’बेटी की शादी के दिन ही गिरफ़्तारी हुई'</h3><p>मकरानी बताते हैं कि उनकी बेटी की शादी के दिन उन्हें गिरफ़्तार किया गया था और अब आठ महीने बाद भी वह अपनी बेटी का चेहरा नहीं देख पाए हैं. यहां तक कि आज भी वह उसके बारे में सोच कर सिहर उठते हैं.</p><p>हालांकि, उन्हें इस बात की तसल्ली है कि उनकी बेटी अपने पति के साथ अपने संसार में सुखी है और जेल से छूटने के बाद उनसे बातचीत हुई है.</p><p>उन्होंने बताया, "दावत के दिन मेरी गिरफ़्तारी के बाद समुदाय के लोगों ने मेरे परिवार का साथ दिया और शादी पूरी करवाई." </p> <ul> <li><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-39403406?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कहीं बीफ़ पर पाबंदी है, कहीं लोग ख़ुद छोड़ रहे हैं..</a>.</li> </ul><h1>कैसे बरी हुए मकरानी?</h1><p>मकरानी पर आरोप था कि उन्होंने एक बछड़े की चोरी की, उसे मारा और अपनी बेटी की शादी में बीफ़ बिरयानी की दावत दी. </p><p>उनके पड़ोसी सत्तार कोलिया ने उनके ख़िलाफ़ शिकायत की थी, जब उन्होंने पाया कि उनके घर से एक बछड़ा गुम है.</p><p>हालांकि, मकरानी ने बीबीसी से बताया कि उन्होंने बिरयानी बाज़ार से ऑर्डर की थी और इसी आधार पर उन्हें बरी किया गया.</p><p>मकरानी ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें नए क़ानून गुजरात पशु (संरक्षण) अधिनियम 2017 के तहत गिरफ़्तार किया गया.</p><p>गोवध और गायों के परिवहन पर पाबंदी लगाने वाले इस क़ानून में दोषियों के ख़िलाफ़ कड़े प्रावधान हैं.</p><p>उनके वकील यूसुफ ने बीबीसी को बताया कि निचली अदालत ने उन्हें दोषी क़रार देते हुए 10 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी लेकिन हाई कोर्ट ने पाया कि चूंकि इसमें कोई व्यावसायिक पहलू नहीं था और बीफ़ बाज़ार में नहीं बेचा गया लिहाज़ा सलीम मकरानी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.</p><p>सलीम मकरानी की बेटी की शादी जनवरी 2019 में हुई थी. उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज किए जाने के बाद से ही उन्हें जेल में बंद रखा गया. हाई कोर्ट से बरी किए जाने के बाद ही वो छूट सके.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44983940?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’मॉब लिंचिंग करने वाले वो जिन्हें गोमांस खाने के कारण ठेस पहुँचती है'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49316782?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अब ‘बीफ़-पोर्क विवाद’ में घिरी ZOMATO</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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गुजरात: बेटी की शादी में परोसी बीफ़ बिरयानी, अब हुए बरी
<figure> <img alt="बीफ़, मुसलमान, गुजरात" src="https://c.files.bbci.co.uk/EB87/production/_108959206_40bb4db5-8669-4ea4-8ca8-26e65583f19b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>प्रतीकात्मक तस्वीर</figcaption> </figure><p>"दोषी ठहराए जाने के बाद मेरी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं रही और मैं डिप्रेशन में चला गया. पहले से ही मैं गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था और इसके बाद मैं मानसिक रूप से भी अशांत हो गया."</p><p>यह कहना है सलीम […]
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