मोदी और हसीना ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने का रुख दोहराया

संयुक्त राष्ट्र : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आतंकवाद और हिंसक अतिवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के अपने रुख को दोहराया और दोनों इस बात पर सहमत हुए कि एक मजबूत सुरक्षा साझेदारी ने दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच भरोसा और एक दूसरे पर विश्वास कायम किया है. मोदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2019 9:57 AM

संयुक्त राष्ट्र : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आतंकवाद और हिंसक अतिवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के अपने रुख को दोहराया और दोनों इस बात पर सहमत हुए कि एक मजबूत सुरक्षा साझेदारी ने दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच भरोसा और एक दूसरे पर विश्वास कायम किया है.

मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र से इतर शुक्रवार को हसीना के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्मशती के अवसर पर भारत की ओर से आयोजित विशेष कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए मोदी ने हसीना का आभार जताया.

बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग की स्थिति की समीक्षा की और दोनों भारत तथा बांग्लादेश के संबंधों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के प्रयासों की गति बनाए रखने के लिए सहमत हुए. दोनों नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक अतिवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के अपने रुख को दोहराया और वे इस बात पर सहमत हुए कि एक मजबूत सुरक्षा साझेदारी ने दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच भरोसा और एक दूसरे पर विश्वास कायम किया है.

दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि बेहतर भूमि, नदी, समुद्र और हवाई संपर्क, ऊर्जा के क्षेत्र में गहरी साझेदारी और तेजी से बढ़ते व्यापार तथा आर्थिक संबंध क्षेत्र की समृद्धि और स्थायित्व के अहम कारक है. मोदी ने हसीना के नेतृत्व में देश की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि के लिए हसीना को बधाई दी और बांग्लादेश में विकास साझेदारी में अग्रणी साझेदार बने रहने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति पर भी चर्चा की.

हसीना ने मोदी को बांग्लादेश की यात्रा करने का भी निमंत्रण दिया और साथ ही सुझाव दिया कि यह यात्रा ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती के मौके पर भी हो सकती है. मोदी ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धि के मौके पर बांग्लादेश के साथ निकटता से काम करने की भारत की पेशकश भी दोहरायी.

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