UN में भी नहीं गली इमरान की दाल, अब निवेश लाने के लिए फिर खटखटायेंगे चीन का दरवाजा
इस्लामाबाद: अभी हाल ही में संपन्न संयुक्त राष्ट्र की महासभा में कश्मीरमुद्दे पर मिली असफलता के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान निवेश आकर्षित करने के लिए एक बार फिर अपने पुराने मित्र चीन का दरवाजा खटखटायेंगे. पाकिस्तान लाैटने के बाद इमरान ने कहा था कि भारत एक बड़ा बाजार है इसलिए उनकी बात कोई […]
इस्लामाबाद: अभी हाल ही में संपन्न संयुक्त राष्ट्र की महासभा में कश्मीरमुद्दे पर मिली असफलता के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान निवेश आकर्षित करने के लिए एक बार फिर अपने पुराने मित्र चीन का दरवाजा खटखटायेंगे. पाकिस्तान लाैटने के बाद इमरान ने कहा था कि भारत एक बड़ा बाजार है इसलिए उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है.
हालांकि, गौर करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए पहले ही चीन से कर्ज ले रखी है़ इस मसले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इमरान खान चीन के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक करने के साथ ही निवेशकों को आकर्षित करने की भी भरपूर कोशिश करेंगे़ चीन अंतरराष्ट्रीय व्यापार संवर्धन परिषद के अनुसार, इस यात्रा के दौरान खान आठ अक्तूबर को बीजिंग में चीन-पाकिस्तान व्यापार मंच पर हिस्सा लेंगे. इस यात्रा की सटीक तारीख अबतक सामने नहीं आयी है. यह इस साल उनकी तीसरी यात्रा होगी. खान की यह चीन यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है. चीन पाकिस्तान का गहरा मित्र है और उसने कश्मीर मुद्दे पर उसका साथ दिया है.
चीन के विदेशमंत्री यांग यी ने कहा है, यथास्थिति में एकतरफा बदलाव लाने वाला कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. भारत और पाकिस्तान का पड़ोसी होने के नाते चीन इस विवाद को प्रभावी तरीके से संभाले जाने की उम्मीद करता है तथा उसे दोनों पक्षों के बीच संबंधों में स्थायित्व बहाल होने की भी आस है. यांग ने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था, अतीत से प्राप्त कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझाौतों के अनुसार शांतिपूर्ण और उपयुक्त ढंग से हल किया जाना चाहिए.
गाैरतलब है कि अमेरिका के दौरे से वापस आने के बाद इमरान खान ने निराशा जताते हुए कहा था कि दुनिया में कोई भी उनकी बात नहीं सुन रहा है. संयुक्त राष्ट्र में भड़काऊ भाषण देने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा है. उन्होंने पाकिस्तान वापस लौटकर कहा कि भारत एक बड़ा बाजार है इसलिए उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है. माना जा रहा है कि इमरान खान को समझ में आ गया है कि कश्मीर पर चिल्लाने से कुछ हासिल नहीं होगा. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना सबसे ज्यादा जरूरी है.