गांधी @ 150: कहानी उनकी जो गांधी के अंतिम पलों की गवाह बनीं

<figure> <img alt="महात्मा गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/636C/production/_109025452_gettyimages-514079662.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>30 जनवरी 1948. शाम का वक़्त था. महात्मा गांधी अपने घर से बगीचे में होने वाली प्रार्थना सभा के लिए निकले थे. वो दिल्ली में जहां रह रहे थे, वो एक बड़े भारतीय उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला का घर था.</p><p>हमेशा की तरह उनके साथ उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2019 10:42 PM

<figure> <img alt="महात्मा गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/636C/production/_109025452_gettyimages-514079662.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>30 जनवरी 1948. शाम का वक़्त था. महात्मा गांधी अपने घर से बगीचे में होने वाली प्रार्थना सभा के लिए निकले थे. वो दिल्ली में जहां रह रहे थे, वो एक बड़े भारतीय उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला का घर था.</p><p>हमेशा की तरह उनके साथ उनकी दो अनुयायी मनु और आभा थीं. </p><p>78 साल के गांधी जैसे ही प्रार्थनासभा मंच की सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, ख़ाकी कपड़ों में एक आदमी भीड़ से निकलता है, मनु को एक तरफ़ धकेलता है और पिस्टल निकाल कर दुर्बल नेता के सीने और पेट में तीन गोलियां दाग़ देता है.</p><p>गांधी गिर जाते हैं, ‘हे राम…’ कहते हैं और उस महिला की बाहों में दम तोड़ देते हैं, जो उनके अंतिम वक़्त के संघर्ष और तकलीफ़ों की गवाह होती है.</p><figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/3798/production/_108923241_5fd61250-b99e-4dfc-ae02-a011b07e0bc9.jpg" height="153" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>गांधी की चाहत</h1><p>इस घटना से एक साल से भी कम समय पहले, मई 1947 में गांधी ने मनु से कहा था कि वो चाहते थे कि वो उनके अंतिम वक़्त की गवाह बने.</p><p>भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मनु को गिरफ़्तार किया गया था. उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 14 साल थी और वो सबसे कम उम्र के क़ैदियों में से एक थीं.</p><p>वहां उनकी मुलाक़ात महात्मा गांधी से हुई. उन्होंने उनके साथ क़रीब एक साल बिताया. यह 1943-44 की बात है.</p><p>जेल के दौरान मनु ने डायरी लिखना शुरू कर दिया.</p><p>अगले चार सालों में एक किशोर क़ैदी एक बेहतरीन लेखक बन गई.</p><p>मनु गांधी की डायरी 12 खंडों में भारत के अभिलेखागार में संरक्षित हैं. ये सभी गुजराती भाषा में लिखी गई हैं. उन्होंने इनमें गांधी के भाषणों और पत्रों को शामिल किया है. इनमें उनके कुछ अंग्रेज़ी के वर्कबुक भी शामिल हैं.</p><p>इसका बाद में अंग्रेज़ी में अनुवाद कर प्रकाशित किया गया.</p><p>जब गांधी को गोली लगी तो वो मनु पर गिर गए थे. उस वक़्त उनके साथ हमेशा रहने वाली उनकी डायरी अचानक उनके हाथों से छूट गई.</p><p>उस दिन के बाद से उन्होंने अपने साथ डायरी रखना बंद कर दिया. कई किताबें लिखीं और अपनी मृत्यु तक वो गांधी के बारे में बातें करती रहीं. उनकी मौत 42 साल की उम्र में 1969 में हो गई थी.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48313218?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आरएसएस ने महात्मा गांधी को दिल से स्वीकार किया है?</a></li> </ul><figure> <img alt="महात्मा गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/9F77/production/_109032804_gettyimages-864308548.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>कस्तूरबा की सेविका</h1><p>डायरी के पहले भाग से मनु के व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है कि वो एक असाधारण और जुनूनी लड़की थीं, जिनकी सोच अपने समय से काफ़ी आगे की थी.</p><p>डायरी में उन्होंने अपने क़ैद के दिनों के बारे में काफ़ी विस्तार से लिखा है. महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का स्वास्थ्य काफ़ी तेज़ी से गिर रहा था.</p><p>मनु ने लिखा है कि वो उनकी बिना थके देखभाल करती थीं.</p><p>सब्जियां काटना, खाना बनाना, कस्तूरबा की मालिश करना और उनके बालों में तेल लगाना, सूत कातना, प्रार्थना करना, बर्तन साफ़ करने जैसे कई दैनिक काम वो किया करती थीं. </p><p>उनकी डायरी का अनुवाद करने वाले त्रिदीप सुह्रद कहते हैं, &quot;लेकिन आपको याद रखना होगा कि वो गांधी और उनकी पत्नी और सहयोगियों के साथ जेल में थीं. बतौर क़ैदी उनका यह स्वैच्छिक दायित्व था. ज़िंदगी लाचार और उदास भले ही प्रतीत हो लेकिन वो आश्रम के नियमों को सीख रही थीं.&quot;</p><p>मनु औपचारिक रूप से शिक्षित नहीं थीं, लेकिन गांधी के मार्गदर्शन में उन्होंने अंग्रेज़ी, व्याकरण, ज्यामिति और भूगोल सीखी. उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों को पढ़ना शुरू कर दिया था. उन्होंने मार्क्स के बारे में भी पढ़ा.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49807211?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी @ 150: आज के दौर में गांधी की कितनी ज़रूरत?</a></li> </ul><figure> <img alt="महात्मा गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/ED97/production/_109032806_gettyimages-102703549.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>वो दर्द भरे दिन</h1><p>गांधी और उनके सहयोगियों के साथ उनका जेल का जीवन पूरी तरह से उदासीन नहीं थी. मनु ग्रामोफोन पर संगीत सुनती थीं. लंबी सैर पर निकलती थीं. वो गांधी के साथ टेबल टेनिस और कस्तूरबा के साथ कैरम खेलती थीं. उन्होंने इस दौरान चॉकलेट भी बनाना सीखा था.</p><p>डायरी में कुछ दुख भरी घटनाओं का भी ज़िक्र है. उन्होंने दो मौतों के बारे में लिखा है, जिन्होंने गांधी को अंदर से तोड़ कर रख दिया था. ये मौतें थीं महादेव देसाई और कस्तूरबा गांधी की.</p><p>महादेव देसाई गांधी के निजी सचिव थे.</p><p>फ़रवरी 1944 में कस्तूरबा गांधी की मौत हो गई थी. इसके पहले के कुछ दिन काफ़ी दुख भरे थे.</p><p>एक रात कस्तूरबा अपने पति से कहती हैं कि वो काफ़ी दर्द में हैं और &quot;ये मेरी आख़िरी सांसें हैं.&quot;</p><p>गांधी कहते हैं, &quot;जाओ. लेकिन शांति के साथ जाओ. क्या तुम ऐसा नहीं करोगी?&quot;</p><p>सर्दियों की एक शाम कस्तूरबा की मौत हो गई. उस वक़्त उनका सिर गांधी की गोद में था और गांधी अपनी आंखें बंद कर अपने सिर को उनके सिर पर रख देते हैं, जैसे वो उन्हें आशीर्वाद दे रहे हों.</p><p>मनु लिखती हैं, &quot;उन्होंने एक साथ अपना जीवन गुज़ारा था. अंतिम वक़्त में वो अपनी ग़लतियों के लिए उनसे क्षमा मांग रहे थे और उन्हें विदाई दे रहे थे. उनकी नब्ज़ रुक जाती है और वो अंतिम सांस लेती हैं.&quot;</p><p>मनु जैसे ही व्यस्क हुईं, उनकी लेखनी में काफ़ी बदलाव देखने को मिला. यह लंबी और विचारों से भरी होती थी. </p><p>अंत में मनु गांधी एक बेहद समझदार और परिपक्व महिला प्रतीत होती हैं जो दुनिया के सबसे करिश्माई और ताक़तवर नेताओं में से एक के सामने ख़ुद को मुखर करने में पूरी तरह से सक्षम पाती हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो 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