दमन के खिलाफ वर्ल्ड उइगर कांग्रेस ने किया प्रदर्शन, कहा- चीन की समृद्धि का दावा झूठा
नयी दिल्ली: वर्ल्ड उइगर कांग्रेस ने मंगलवार को ब्रसेल्स में विरोध प्रदर्शन किया. उईगर चीन में रहने वाला एक मुस्लिम समुदाय है. बीते कई सालों से चीनी सरकार पर उइगर मुसलमानों का शोषण और उत्पीड़न करने का आरोप लगता रहा है. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन की सरकार उइगरों की पहचान मिटाने […]
नयी दिल्ली: वर्ल्ड उइगर कांग्रेस ने मंगलवार को ब्रसेल्स में विरोध प्रदर्शन किया. उईगर चीन में रहने वाला एक मुस्लिम समुदाय है. बीते कई सालों से चीनी सरकार पर उइगर मुसलमानों का शोषण और उत्पीड़न करने का आरोप लगता रहा है. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन की सरकार उइगरों की पहचान मिटाने का काम कर रही है जो मानवाधिकार उल्लंघन के दायरे में आता है.
बता दें कि उइगरों का विरोध प्रदर्शन ऐसे वक्त में हो रहा है जब हाल ही में चीन ने अपने कम्युनिस्ट शासन के 70 साल पूरे होने का जश्न मनाया था. चीन की सरकार ने इसके लिए एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया था. गौरतलब है कि इस समय चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग का शासन है.
World Uyghur Congress holds protest in Brussels against Chinese repression
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— ANI Digital (@ani_digital) October 2, 2019
प्रदर्शन में इन नेताओं ने की शिरकत
वर्ल्ड उइगर कांग्रेस द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में यूरोपिय संसद के कई अहम सदस्यों ने भी भाग लिया जिनमें फिल बीनियन, हेनरी स्कॉट कैटो, मार्टिन हाईवुड तथा राफेल ग्लक्समैन शामिल थे. इन्होंने कहा कि चीन के इस दावे को कि उसने बीते 70 सालों में चीन में अधिक से अधिक समृद्धि लाने का काम किया है, उईगर मुसलमानों के लिए पचा पाना मुश्किल है.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चीन के समृद्धि के दावे के बारे में जरूरी है कि उइगर और काशगर समुदाय के परिवारों की राय पूछी जाए.
तियानमेन नरसंहार का भी दिया उदाहरण
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि अपने 70 वर्षों के कम्युनिस्ट शासन के दौरान चीन ने कई बार साबित किया है कि वो असंतोष की आवाज को शांत करने के लिए कुछ भी करेगा. तियानमेन चौराहे में हुए नरसंहार का जिक्र करते हुए एक सदस्य ने कहा कि 30 साल पहले हुई वो घटना इसका एक मजबूत उदाहरण है जब चीन ने अंसतोष की आवाज को दबा दिया था.
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकृष्ट किया
वर्ल्ड उइगर कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन के जरिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान चीनी सरकार के बेलगाम दमन तथा अपने नागरिकों पर लगाई गयी बेहिसाब निगरानी की तरफ आकृष्ट करने का प्रयास किया है. प्रदर्शनकारी विशेष तौर पर उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों की तरफ ध्यान दिलाना चाहते हैं.
चीन में शांतिपूर्ण लोकतंत्र अपनाने का समय
विरोध प्रदर्शन में शामिल एक सदस्य मार्टिन हार्डवुड ने कहा कि चीन में एक अधिक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक मार्ग अपनाने का समय आ गया है. वहीं वर्ल्ड उइगर कांग्रेस के सदस्य डोलकम इस्सा ने कहा कि हम दमन और निराशा से भरा एक और 70 साल स्वीकार नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि चीन में लोगों को उनका अधिकार और स्वतंत्रता मिले.
साल 2014 में हांगकांग में लोकतंत्र बहाली के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे पूर्व नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता रे वोंग ने पूर्वी तुर्किस्तान और तिब्बत के विषय में भी अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि, मुझे विश्वास है कि जल्द ही हमें जीत नसीब होगी. उन्होने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जल्द ही तिब्बतियन और उइगर समुदाय के लोग अपने परिवारों से मिल सकेंगे.
मानवाधिकार कार्यकर्ता वैनिसा फ्रेंग्विले ने अपने संबोधन में कहा कि हम कैसी दुनिया चाहते हैं. क्या हमें ऐसी दुनिया चाहिए तो जातीय पहचान के आधार पर लाखों लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी आंखे बंदकर सकती है.
बेल्जियम उइगुर एसोसिएशन के अध्यक्ष याशिर यल्कुल ने कहा कि बीते 70 सालों में चीन सरकार ने बहुत दमन कर लिया. उन्होंने कहा कि हम आजादी के अपने संघर्षको कभी नहीं छोड़ेंगे.