अमित शाह के एनआरसी पर बयान के बाद ममता का पलटवार

<p>भारत सरकार में गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एनआरसी लागू करने का बयान देकर पश्चिम बंगाल में पहले से इस मुद्दे पर चल रही बहस को और बढ़ा दिया है. </p><p>इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तमाम दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है. </p><p>ममता बनर्जी ने कहा है कि सबसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2019 10:28 PM

<p>भारत सरकार में गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एनआरसी लागू करने का बयान देकर पश्चिम बंगाल में पहले से इस मुद्दे पर चल रही बहस को और बढ़ा दिया है. </p><p>इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तमाम दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है. </p><p>ममता बनर्जी ने कहा है कि सबसे बड़े त्योहार दुर्गापूजा के मौक़े पर राज्य में लोगों का स्वागत है. लेकिन धर्म के आधार पर लोगों को बांटने और दो तबक़ों के बीच मतभेद पैदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. </p><p>कांग्रेस और सीपीएम ने भी बीजेपी प्रमुख के (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) एनआरसी संबंधित बयान के लिए उनकी जम कर खिंचाई की है और एनआरसी को असंवैधानिक क़रार दिया है. </p><p>बीते लगभग 10 दिनों से एनआरसी के मुद्दे पर बंगाल में आतंक लगातार बढ़ रहा है राज्य सरकार का दावा है कि नागरिकता संबंधी दस्तावेज़ नहीं होने की वजह से अब तक कम से कम 17 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49888973?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’सबके लिए एनआरसी’ ने बढ़ाई पश्चिम बंगाल की चिंता</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49830046?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आम आदमी पार्टी और बीजेपी में ‘दिल्ली वाला’ होने को लेकर छिड़ी जंग</a></li> </ul><h1>अमित शाह का बयान</h1><p>कोलकाता में मंगलवार को एनआरसी पर एक जनजागरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होना तय है. लेकिन उससे पहले सरकार नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के ज़रिए हिंदू, सिख, जैन, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे देगी. </p><p>एनआरसी पर सरकार का रुख़ साफ़ करते हुए शाह ने कहा था, &quot;किसी भी हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध शरणार्थी को देश से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. इसके साथ ही किसी भी घुसपैठिए को भारत में रहने नहीं दिया जाएगा. एनआरसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है और इसे हर हाल में लागू किया जाएगा.&quot; </p><p>अमित शाह ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर एनआरसी को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था. उन्होंने कहा था कि बंगाल में एनआरसी को ज़रूर लागू किया जाएगा. लेकिन उससे पहले नागरिकता (संशोधन) बिल को पारित कर सभी हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी. </p><p>बीजेपी अध्यक्ष का कहना था, &quot;ममता दीदी दावा कर रही हैं कि एनआरसी लागू होने की स्थिति में लाखों हिंदुओं को बंगाल छोड़ना पड़ेगा. इससे बड़ा झूठ नहीं हो सकता. मैं भरोसा दिलाता हूं कि ऐसा कुछ नहीं होगा.&quot; </p><p>उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ही 4 अगस्त, 2005 को संसद में घुसपैठ का मुद्दा उठाया था. केंद्र सरकार घुसपैठियों को देश से निकालने पर कृतसंकल्प है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49742495?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एनआरसी से हिंदुओं के लिए बंद दरवाज़े खोलेगा सीएबी?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49894767?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बांग्लादेशियों को राज्य से बाहर निकाल सकेगी यूपी पुलिस?</a></li> </ul><h1>ममता का पलटवार</h1><p>गृहमंत्री की तरफ़ से एनआरसी पर दिए गए इस बयान के कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के लोगों को विभाजन की राजनीति से आगाह करते हुए कहा कि इस राज्य में यह नीति कामयाब नहीं होगी. </p><p>एक पूजा पंडाल के उद्घाटन के दौरान उन्होंने कहा था, &quot;हमारे राज्य में सबका स्वागत है. लोग यहां आकर दुर्गापूजा का आनंद उठा सकते हैं. लेकिन त्योहार के मौक़े पर विभाजन की राजनीति का सहारा ना लें. धार्मिक आधार पर लोगों में विभाजन और मतभेद पैदा नहीं करना चाहिए.&quot;</p><p>पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर राज्‍य में आतंक फैलाने का अरोप लगाया है. </p><p>मित्रा कहते हैं, &quot;त्योहार के सीज़न में केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने बयान से लोगों में दहशत पैदा कर दी है. यह ठीक नहीं है. बंगाल के लोग उनको इसका माक़ूल जवाब देंगे.&quot; </p><p>अमित मित्रा ने अंदेशा जताया कि उनको भी देश से बाहर निकाला जा सकता है क्योंकि उनके पूर्वज जेसोर (बांग्लादेश) के थे. उनके पास यह साबित करने के लिए कोई प्रमाणपत्र नहीं है कि उनका जन्म कोलकाता में ही हुआ था. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49633376?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एनआरसी: नागरिकता की चक्की में पिसते असम के बच्चे – बीबीसी विशेष</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49484172?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">असम में एनआरसी की गाज गिरी स्कूलों पर</a></li> </ul><h1>विपक्ष का विरोध</h1><p>पश्चिम बंगाल के विपक्षी राजनीतिक दलों सीपीएम और कांग्रेस ने भी अमित शाह के बयान का विरोध किया है. </p><p>सीपीएम के वरिष्ठ नेता और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर बिकाश रंजन भट्टाचार्य एनआरसी को असंवैधानिक बताते हुए कहते हैं, &quot;एक बात साफ़ हो जानी चाहिए. बंगाल में एनआरसी की कोई ज़रूरत नहीं है. अमित शाह भले इस पर ज़ोर देते हुए पहले नागरिकता (संसोधन) विधेयक पारित करने का दावा करें लेकिन वह विधेयक असंवैधानिक है.&quot; </p><p>भट्टाचार्य कहते हैं कि बंगाल में हर क़ीमत पर एनआरसी की क़वायद का विरोध किया जाएगा. उनका दावा है कि असम में एनआरसी की कोशिश वहां के बीजेपी नेताओं के गले ही नहीं उतर रही है. ऐसे में वह प्रक्रिया बंगाल में दोहराने की बात करना बेमतलब है.</p><p>नागरिकता विधेयक, 1995 में संशोधन पर विचार करने वाली संसद की स्थायी समिति के सदस्य कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं, &quot;आम लोगों को गुमराह करने के लिए होने वाली इस बयानबाज़ी की वजह राजनीतिक है. बंगाल के लोग एनआरसी नहीं चाहते. विधानसभा में इसके ख़िलाफ़ आम राय से एक प्रस्ताव भी पारित हो चुका है.&quot; </p><p>प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. केंद्र सरकार किसी ख़ास तबक़े को नागरिकता से वंचित करने और दूसरे तबक़े के लोगों को देश में रहने की अनुमति देने की बात नहीं कह सकती.</p><p>सीपीएम नेता रंजन भट्टाचार्य का कहना है, &quot;बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थियों के आने का सिलसिला देश की आज़ादी के समय से ही चल रहा है. ऐसे ज़्यादातर लोगों के बच्चों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के समुचित दस्तावेज़ नहीं हैं. वो आख़िर कहां जाएंगे? लेकिन असम की एअनआरसी सूची से भी शायद सरकार ने कोई सबक़ नहीं लिया है.&quot;</p><p>एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रसेनजीत बोस कहते हैं, &quot;नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित ही नहीं किया जाना चाहिए. यह असंवैधानिक है. लेकिन सदन में बीजेपी के बहुमत के चलते अगर यह पारित भी हो गया तो इसे अदालत में चुनौती मिलना तय है.&quot; </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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