लाहौर : जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को धनशोधन के एक अन्य मामले में गिरफ्तार किये जाने के बाद शुक्रवार को 14 दिनों के लिए देश के भ्रष्टाचार निरोधक निकाय की हिरासत में भेज दिया गया. उनके विरुद्ध यह भ्रष्टाचार का तीसरा मामला है.
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की एक टीम ने शरीफ (69) को लाहौर की कोट लखपत जेल से गिरफ्तार किया और हिरासत में लेने के लिए उन्हें जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश के सामने पेश किया. वह अल अजीजिया मिल भ्रष्टाचार मामले में जेल में सात साल की कैद की सजा काट रहे हैं. एनएबी के वकील हाफिज असदुल्लाह अवान ने यह दलील देते हुए उनकी 15 दिन की हिरासत मांगी कि वह चौधरी शुगर मिल के शेयरों की बिक्री और खरीद की आड़ में धनशोधन में शामिल रहे हैं. एनएबी ने शरीफ पर चौधरी शुगर मिल का प्रत्यक्ष लाभार्थी होने और उनकी बेटी मरियम पर शुगर मिल्स में 1.2 करोड़ शेयर होने का आरोप लगाया. मरियम को उनके एक अन्य रिश्तेदार युसूफ अब्बास के साथ अगस्त में इस मामले में गिरफ्तार किया गया था.
एनएबी अदालत ने एनएबी को शरीफ की 14 दिन की हिरासत मंजूर की. उन्हें लाहौर में एनएबी मुख्यालय ले जाया गया जहां उनसे धनशोधन के आरोपों पर पूछताछ की जायेगी. पीएमएल-एन के एक नेता ने कहा कि एनएबी ने अल अजीजिया मामले में शरीफ को जमानत मिलने की आशंका से ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. उन्होंने कहा, इमरान खान सरकार अल अजीजिया मामले में शरीफ की संभावित रिहाई से घबरा गयी है इसलिए उसने एनएबी को उन्हें एक दूसरे झूठे मामले में फंसाने का आदेश दिया ताकि उन्हें जेल में रखा जा सके. चौधरी शुगर मिल धनशोधन मामला शरीफ और उनके परिवार के विरुद्ध भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में सबसे नया मामला है.
शरीफ को पनामा पेपर्स मामले में 2017 में प्रधानमंत्री के पद से अपदस्थ कर दिया गया था. बाद में उन्हें एवनफील्ड और अल अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में क्रमश: दस एवं सात सालों के लिए कैद की सजा सुनायी गयी. उन्हें एवनफील्ड मामले में जमानत मिल गयी थी. अदालत परिसर में संवाददाताओं से बात करते हुए शरीफ ने जुलाई 2018 के चुनाव में हुई कथित गड़बड़ी के बाद भी उनकी पार्टी पीएमएल एन द्वारा संसद के निचले और ऊपरी सदन से इस्तीफा नहीं देने के फैसले पर अफसोस प्रकट किया.