राजनीति विज्ञान का बढ़ रहा है स्कोप, राजनीति विश्लेषक से वकालत तक ऐसे बनाएं अपना करियर

नयी दिल्ली: आज के समय में ना केवल भारतीय बल्कि वैश्विक राजनीति में भी युवाओं का रूझान बढ़ा है. युवा राजनीति से जुड़े मसलों पर विशेष रूचि रखते हैं और इसके बारे में जानना और पढ़ना चाहते हैं. राजनीति केवल चुनावी नहीं होती बल्कि इसमें कूटनीति, नीति निर्माण, अंतर्राष्ट्रीय संबंध वगैरह सभी कुछ आता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2019 10:54 AM

नयी दिल्ली: आज के समय में ना केवल भारतीय बल्कि वैश्विक राजनीति में भी युवाओं का रूझान बढ़ा है. युवा राजनीति से जुड़े मसलों पर विशेष रूचि रखते हैं और इसके बारे में जानना और पढ़ना चाहते हैं. राजनीति केवल चुनावी नहीं होती बल्कि इसमें कूटनीति, नीति निर्माण, अंतर्राष्ट्रीय संबंध वगैरह सभी कुछ आता है. यही कारण है कि राजनीति विज्ञान में पारंगत पेशेवर युवाओं की मांग विभिन्न कार्यक्षेत्रों में बढ़ी है.

हाल के दिनों में हमने देखा कि चुनावी राजनीति का स्वरूप काफी बदल गया है. संसदीय अथवा विधानसभा चुनाव वॉल पेंटिंग, पोस्टर मेकिंग और चुनावी रैलियों से काफी आगे निकल गया है. उसकी जगह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ले लिया है. वोट कैसे हासिल किया जाए, इसमें भी अब केमिस्ट्री और गणित है इसलिए जाहिर है कि इसका तरीका भी बदला है.

प्रशांत किशोर इसके सर्वोत्तम उदाहरण हैं. इसलिए राजनीति पार्टियों से लेकर चुनाव कैंपेन संभालने वाली पेशेवर कंपनियों तक में राजनीति विज्ञान में पारंगत लोगों की मांग काफी बढ़ गयी है. हालांकि केवल चुनावी राजनीति ही नहींं बल्कि इन विभिन्न क्षेत्रों में भी राजनीति विज्ञान के जरिये करियर बनाया जा सकता है.

लॉ (कानून)- राजनीति विज्ञान के तहत आप लॉ की पढ़ाई कर सकते हैं. इसके जरिए आप वकालत में करियर बना सकते हैं. स्नातक के बाद आप चार साल के लॉ पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं. या तो आप सरकार द्वारा निर्धारित मानकों पर सरकारी वकील नियुक्त हो सकते हैं या निजी तौर पर भी किसी अदालत में अपनी प्रैक्टिस कर सकते हैं. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी, दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय लॉ की पढ़ाई के लिए सर्वोत्तम संस्थान हैं.

सिविल सर्विस- अगर आपको राजनीति विज्ञान, यानी राजनीति सिद्धांत, संविधान, कानून और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की बढ़िया जानकारी है तो संघ लोक आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा का हिस्सा बनकर सिविल सर्वेंट बन सकते हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय रेलवे सेवा, आयकर विभाग आदि में ऑफिसर बन सकते हैं. सिविल सेवा की परीक्षा में राजनीति विज्ञान को वैकल्पिक विषय के तौर पर चुना जा सकता है.

केंद्र तथा राज्य सरकारों को योजना बनाने तथा नीतियों का निर्धारिण करने के लिए राजनीति विज्ञान के जानकार लोगों की जरूरत होती है. यही नहीं, कई ऐसे संगठनों को जो चुनावी कैंपेन बनाते हैं उन्हें राजनीतिक विश्लेषकों की जरूरत होती है. इसलिए राजनीति विज्ञान के जानकार राजनीतिक विश्लेषक बनकर भी अपना करियर संवार सकते हैं.

अगर आप राजनीति विज्ञान में पीजी की डिग्री हासिल कर लेते हैं तो आप राजनीतिक विश्लेषक बन सकते हैं. दूतावासों और एनजीओ में भी बेहतर अवसर हो सकते हैं. उच्च शिक्षा हासिल करके चुनाव विश्लेषक भी बना जा सकता है. कई राजनीतिक अनुसन्धान एवं विश्लेषण संस्थान में प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने का अवसर मिल सकता है.

शैक्षणिक योग्यता- बारहवीं के बाद राजनीति विज्ञान में स्नातक डिग्री ली जा सकती है और उसके बाद स्नातकोत्तर किया जा सकता है. पीएचडी का विकल्प भी इसमें खुला है. जो विद्यार्थी कला क्षेत्र में स्नातक करना चाहते हैं, वे राजनीति विज्ञान में ऑनर्स कर सकते हैं या पास कोर्स में एक विषय के रूप में इसे रख सकते हैं.

अध्ययन का विस्तृत क्षेत्र- राजनीति विज्ञान एक सामाजिक अध्ययन है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से संबंधित है. राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं. इसमें राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतरराष्ट्रीय कानून और संगठन वगैरह की जानकारी दी जाती है.

सामाजिक कार्यकर्ता- राजनीतिक विज्ञान एक ऐसा विषय है जो समाज सेवा के लिए भी लोगों को प्रेरित करता है. समाज सेवा के लिये या तो कोई गैर सरकारी संगठन बनाकर सामाजिक कार्यकर्ता बनने का विकल्प होता है या फिर पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा और फिर संसदीय प्रणाली में जनप्रतिनिधि बना जा सकता है. एक कुशल जनप्रतिनिधि बनने के लिए व्यक्ति को राजनीति विज्ञान का जानकार होना ही चाहिए.

शिक्षण-अध्यापन- आप राजनीति विज्ञान विषय में स्नातक, स्नातकोत्तर और फिर बीएड करके विद्यालयों में इस विषय का अध्यापन कर सकते हैं. अगर किसी ने मास्टर्स के बाद पीएचडी कर ली हो तो वो विश्वविद्यालयों में व्याख्याता के तौर पर अध्यापन का कार्य कर सकता है.

मास कम्युनिकेशन या जर्नलिज्म- कोई पत्रकार बनना चाहता है तो ये बहुत जरूरी है कि उसे राजनीति विज्ञान की बढ़िया समझ हो. इसका आशय है कि उसे संविधान, राजनीतिक सिद्धांत, चुनावी राजनीति आदि की बेहतर समझ हो. टीवी पत्रकार बनना हो या फिर प्रिंट मीडिया में करियर बनाना हो, राजनीति विज्ञान की जानकारी होना अनिवार्य है.

यहां से करें पढ़ाई

  • जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
  • लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
  • पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
  • दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
  • हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद
  • कलकत्ता विश्वविद्यालय, प.बंगाल
  • बनारस हिंदु विश्वविद्यालय, वाराणसी
  • लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वुमन, दिल्ली
  • हिन्दू कॉलेज, दिल्ली
  • मिरांडा हाउस, दिल्ली

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