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भारत-पाकिस्तान शांति वार्ता आतंकवाद के खिलाफ इस्लामाबाद के कदमों पर निर्भर : अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कश्मीर मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता करने को इच्छुक होने की बात दोहराते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता इस्लामाबाद के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उठाये निरंतर और स्थायी कार्रवाइयों पर निर्भर करती है. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन के जनवरी […]

वाशिंगटन : अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कश्मीर मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता करने को इच्छुक होने की बात दोहराते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता इस्लामाबाद के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उठाये निरंतर और स्थायी कार्रवाइयों पर निर्भर करती है.

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन के जनवरी 2016 में पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर हमला करने के बाद से ही भारत ने इस्लामाबाद से हर तरह का संवाद रोक रखा है. भारत का कहना है कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते. भारत सरकार के पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गये. भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान ने कूटनीतिक संबंध का स्तर गिरा दिया और भारत के उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया. विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि अमेरिका उस माहौल को बढ़ावा देता रहेगा जो भारत-पाकिस्तान के बीच रचनात्मक वार्ता के लिए राह बनाये.

नाम उजागर ना करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कायम तनाव को लेकर चिंता जाहिर की है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और नरेंद्र मोदी से सीधे इस बारे में बात भी की है. अधिकारी ने कहा, अगर दोनों देश कहते हैं तो वह (ट्रंप) निश्चित तौर पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हैं. बाहरी मध्यस्थता नहीं चाहना यह भारत का रुख है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय के इस कथन में भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि वह मध्यस्थ नहीं चाहते. भारत ने जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा बताते हुए अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र सहित किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की बात को खारिज किया है. उसका कहना है कि यह पाकिस्तान और उसका द्विपक्षीय मामला है.

अमेरिका के भारत के आतंकवाद और वार्ता एक साथ ना होने के रुख का समर्थन करने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि यह आवश्यक है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ निरंतर और स्थायी कदम उठाये. अधिकारी ने कहा कि वार्ता संभव है और अमेरिका परमाणु शक्ति से संपन्न दोनों देशों को इसके लिए प्रोत्साहित करेगा क्योंकि उनकी सीमाएं जुड़ी हैं.

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