मोदी सरकार के PR स्टंट का हिस्सा नहीं बनना चाहता था: सांसद क्रिस डेविस

<p>यूरोप के सांसदों का एक दल भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर है. यूरोपियन पार्लियामेंट के सदस्य क्रिस डेविस को भी इस दल के साथ आना था लेकिन उनका दावा है कि उन्हें दिया गया न्योता बाद में वापस ले लिया गया और उन्हें पैनल में जगह नहीं दी गई. </p><p>उत्तर पश्चिम इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2019 10:42 PM

<p>यूरोप के सांसदों का एक दल भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर है. यूरोपियन पार्लियामेंट के सदस्य क्रिस डेविस को भी इस दल के साथ आना था लेकिन उनका दावा है कि उन्हें दिया गया न्योता बाद में वापस ले लिया गया और उन्हें पैनल में जगह नहीं दी गई. </p><p>उत्तर पश्चिम इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले डेविस के मुताबिक इस दौरे के लिए उन्होंने भारतीय प्रशासन के सामने एक शर्त रखी थी. वो शर्त ये थी कि कश्मीर में उन्हें ‘घूमने-फिरने और लोगों से बातचीत करने की आज़ादी दी जाए’. </p><p>डेविस ने बीबीसी से ख़ास बातचीत में कहा, &quot;मैंने कहा कि मैं कश्मीर में इस बात की आज़ादी चाहता हूं कि जहां मैं जाना चाहूं जा सकूं और जिससे बात करना चाहूं, उससे बातचीत कर सकूं. मेरे साथ सेना, पुलिस या सुरक्षा बल की जगह स्वतंत्र पत्रकार और टेलीविजन का दल हो. आधुनिक समाज में प्रेस की स्वतंत्रता बेहद अहम है. किसी भी परिस्थिति में हम समाचारों में कांट छांट की इजाज़त नहीं दे सकते हैं. जो कुछ हो रहा है उसके बारे में सचाई और ईमानदारी से रिपोर्टिंग होनी चाहिए.&quot;</p><p>डेविस के मुताबिक इसी अनुरोध के कुछ दिन बाद उन्हें भेजा गया कश्मीर दौरे का न्योता वापस ले लिया गया. </p><h3>मोदी समर्थक संगठन ने दिया था न्योता</h3><p>डेविस के मुताबिक उन्हें कश्मीर दौरे का न्यौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक कथित ‘वूमेन्स इकॉनमिक एंड सोशल थिंक टैंक’ की ओर से मिला था. इसमें ये स्पष्ट किया गया था कि दौरे के इंतजाम भारतीय प्रशासन के सहयोग से किए जा रहे हैं. </p><p>डेविस के मुताबिक उन्हें बताया गया था कि इस दौरे का खर्च ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन एलाइन्ड स्ट्डीज़’ वहन करेगा. हालांकि, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इस संस्था को मिलने वाले फंड का स्रोत क्या है. </p><p>उन्होंने बताया, &quot;आयोजकों ने शुरुआत में कहा कि ‘थोड़ी सुरक्षा’ जरूरी होगी लेकिन दो दिन के बाद मुझे बताया गया कि न्योता रद्द किया जा रहा है क्योंकि दौरे में लोगों की संख्या ‘पूरी’ हो गई है और मेरा न्योता पूरी तरह से वापस ले लिया गया.&quot; </p><p>न्योता वापस होने को लेकर उन्हें क्या कारण बताया गया, इस सवाल के जवाब में डेविस ने कहा कि उन्हें लगता है कि आयोजकों को उनकी शर्तें ठीक नहीं लगीं. </p><p>उन्होंने कहा, &quot; मैं मोदी सरकार के पीआर स्टंट में हिस्सा लेने और ये दिखाने को तैयार नहीं था कि ऑल इज़ वेल. मैंने अपने ईमेल के जरिए उनके सामने ये पूरी तरह से साफ कर दिया था. अगर कश्मीर में लोकतांत्रिक सिद्धातों को कुचला जाता है तो दुनिया को इसका संज्ञान लेना चाहिए. वो क्या है जो भारतीय सरकार को छुपाना है? वो पत्रकारों और दौरा करने वाले नेताओं को स्थानीय लोगों से आज़ादी से बातचीत करने की इजाज़त क्यों नहीं देगें? उनके जवाब से लगता है कि मेरे अनुरोध को पसंद नहीं किया गया.&quot;</p><p>क्रिस डेविस ने ये भी बताया कि वो जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहां ‘दसियों हज़ार लोग कश्मीरी विरासत का हिस्सा हैं और कई लोगों के रिश्तेदार कश्मीर में हैं.’ उन्होंने बताया कि कश्मीरियों को प्रभावित करने वाले कई मुद्दे उनके सामने उठाए गए. उनमें संचार माध्यमों पर लगाई गई पाबंदी का मुद्दा भी शामिल है. </p><h1>’नहीं हुई हैरत'</h1><p>इस दौरे से वो क्या हासिल करने के इरादे में थे, इस सवाल पर डेविस ने कहा, &quot;मैं ये दिखाना चाहता था कि कश्मीर घाटी में बुनियादी आज़ादी फिर से कायम हो गई है. लोगों की आवाजाही, राय जाहिर करने या फिर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन अगर ईमानदारी से कहा जाए तो मुझे कभी यकीन नहीं था कि हक़ीकत में ये दिखेगा. ये एक तरह की परीक्षा थी कि क्या भारतीय सरकार अपने कदमों की स्वतंत्र समीक्षा की इजाज़त देने को तैयार है.&quot; </p><p>डेविस ने कहा कि कश्मीर दौरे का न्योता वापस लिए जाने पर वो ‘हैरान नहीं’ थे. </p><p>उन्होंने कहा, &quot;मुझे शुरुआत से ही ये दौरा पीआर स्टंट की तरह लगा जिसका मक़सद नरेंद्र मोदी की मदद है. मुझे लगता है कि कश्मीर में भारतीय सरकार के कदम महान लोकतंत्र के उम्दा सिद्धातों के साथ छल की तरह हैं और मैं मानता हूं कि दुनिया जितना कम इस स्थिति पर ध्यान देगी, वो उतना ही खुश होंगे.&quot; </p><h3>सही जानकारी नहीं </h3><p>कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर वो क्या सोचते हैं, ये पूछने पर क्रिस डेविस ने कहा, &quot;कश्मीर में &quot;जो कुछ&quot; हो रहा है, हमें उसकी सटीक जानकारी नहीं है लेकिन हम लोगों को जेल में डालने, मीडिया पर पाबंदी, संचार माध्यमों पर कड़ी पाबंदी और सेना के नियंत्रण के बारे में सुनते हैं. सरकार की कार्रवाई को लेकर चाहे जितनी भी सहानुभूति हो, ये चिंता भी होनी चाहिए कि ये क़दम सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से प्रेरित है. मुस्लिम, हिंदू राष्ट्रवाद को प्रभावी तंत्र के तौर पर देख रहे हैं और ये भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. इन दिनों राष्ट्रों के बीच शांति का महत्व तेज़ी से निष्प्रभावी हो रहा है.&quot; </p><p>लंदन में हाल में कश्मीर मुद्दे पर हुए प्रदर्शन के दौरान अंडे और पत्थर फेंके जाने को लेकर उन्होंने कहा कि वो शांति पूर्व प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं लेकिन ये मानते हैं कि किसी भी तरह की चीज का इस्तेमाल जो लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है, वो ‘गैरक़ानूनी और ग़लत है’. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50220135?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर में यूरोपीय सांसदों की टीम: मोदी सरकार का मक़सद क्या है?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50211981?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के जाने पर मोदी सरकार से विपक्ष के सवाल</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50208621?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: कौन-सा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल करने वाला है दौरा</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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