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आनंद भवन पर चार करोड़ का कर बाक़ी, मिला नोटिस

<p>तत्कालीन इलाहाबाद और अब प्रयागराज में शहर के बीचोंबीच स्थित आनंद भवन शुरू से ही स्वाधीनता आंदोलन से संबंधित तमाम गतिविधियों का केंद्र रहा है. मोतीलाल नेहरू ने इसका निर्माण कराया था और साल 1930 में इसे उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया. </p><p>मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू के पैतृक घर और स्वतंत्रता संग्राम […]

<p>तत्कालीन इलाहाबाद और अब प्रयागराज में शहर के बीचोंबीच स्थित आनंद भवन शुरू से ही स्वाधीनता आंदोलन से संबंधित तमाम गतिविधियों का केंद्र रहा है. मोतीलाल नेहरू ने इसका निर्माण कराया था और साल 1930 में इसे उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया. </p><p>मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू के पैतृक घर और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की तमाम ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे आनंद भवन पर अब प्रयागराज नगर निगम की नज़र टेढ़ी हो गई है. निगम ने आनंद भवन और उसके आस-पास के भवनों पर चार करोड़ रुपये से ज़्यादा के बकाया गृहकर की वसूली के लिए नोटिस भेज दिया है.</p><p>नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, नोटिस इस आधार पर दिया गया है कि आनंद भवन और आस-पास की इमारतों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है और इसलिए बढ़ाए गए हाउस टैक्स का भुगतान किया जाना चाहिए. </p><p>आनंद भवन, स्वराज भवन और जवाहर तारामंडल एक ही बड़े परिसर के भीतर स्थित हैं. इन तीनों इमारतों की देख-रेख जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड की ओर से किया जाता है. </p><p>स्वराज भवन और आनंद भवन अब संग्रहालय में तब्दील हो चुके हैं. स्वराज भवन में नेहरू परिवार से संबंधित वस्तुओं का संग्रहालय है तो आनंद भवन में स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित ऐतिहासिक वस्तुओं और दस्तावेज़ों को सहेजकर रखा गया है. बताया जा रहा है कि संग्रहालय में कुछ स्थानों पर जाने के लिए और तारामंडल देखने के लिए ट्रस्ट की ओर से टिकट के पैसे वसूले जाते हैं और इसीलिए इसे एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान बताया जा रहा है.</p><p>प्रयागराज नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्र कहते हैं, &quot;करीब दो हफ़्ते पहले हमने आनंद भवन, स्वराज भवन और जवाहर तारामंडल को गृह कर का एक नोटिस भेजा था. जवाब में हमें दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड के प्रशासनिक सचिव एन. बालकृष्णन का पत्र मिला है. पत्र को ज़्यादा जानकारी के लिए ज़ोनल कार्यालय के पास भेज दिया गया है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50404299?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नेहरू-एडविना की नज़दीकी से जलने वाली महिला कौन थीं?</a></p><p>जवाहर लाल नेहरू स्मारक निधि नामक ट्रस्ट के अधीन आनंद भवन, स्वराज भवन और तारामंडल पर ब्याज समेत क़रीब चार करोड़ पैंतीस लाख रुपये गृहकर के बकाये का नोटिस जारी हुआ है.</p><p>नगर निगम से नोटिस मिलने के बाद ट्रस्ट के नई दिल्ली स्थित दफ़्तर से मेयर के नाम चिट्ठी आई है जिसमें अनुरोध किया गया है कि इस टैक्स का पुनरीक्षण कराकर दोबारा गृहकर का विवरण भेजा जाए.</p><p>प्रयागराज नगर निगम की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी कहती हैं, &quot;आनंद भवन शहर की एक ऐतिहासिक धरोहर है, इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता है, लेकिन ट्रस्ट से संबंधित दस्तावेज़ तो देने ही होंगे. यदि यह दस्तावेज़ उपलब्ध करा दिए जाते हैं तो गृहकर माफ़ कर दिया जाएगा क्योंकि ट्रस्ट के नाते उस पर टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन यदि इन जगहों पर व्यावसायिक गतिविधियां चल रही होंगी, तब तो टैक्स देना ही पड़ेगा.&quot;</p><p>प्रयागराज नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, गृहकर कई साल से बकाया है और धीरे-धीरे बढ़ते हुए ये इतना ज़्यादा हो गया. </p><p>प्रयागराज नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्र कहते हैं, &quot;साल 2003 से गृहकर बकाया है. हर साल बिल भेजा जाता है और ट्रस्ट की ओर से कुछ भुगतान भी होता है. लेकिन लंबे समय से पूरे बिल का भुगतान नहीं किया गया है इसलिए ये राशि बढ़कर चार करोड़ रुपये से ऊपर की हो गई है. साल 2003 में गृहकर का पुनरीक्षण भी हो चुका है लेकिन ट्रस्ट ने उसे न्यायालय में चुनौती दे रखी है.&quot;</p><p>पीके मिश्र बताते हैं कि साल 2014 में गृहकर का एक बार फिर पुनरीक्षण हुआ था जबकि ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि जब मामला अदालत में है तो नगर निगम बार-बार अपनी तरह से टैक्स निर्धारित करके क्यों भेज रहा है.</p><p>नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड के सचिव एन. बालकृष्णन मीडिया से बातचीत में कहते हैं, &quot;साल 2003-04 में ट्रस्ट को तीन हज़ार रुपये का बिल मिला था, जिसका भुगतान किया गया था. साल 2005 में क़रीब पचीस लाख रुपये का बिल हमारे पास भेज दिया गया. जबकि साल 2013-14 तक 12.34 लाख रुपये वार्षिक की दर से बिल भेजा जाता रहा, लेकिन 2014-15 से इसे घटाकर 8.27 लाख रुपये कर दिया गया.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47943493?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इलाहाबाद जैसे ‘गढ़’ में कांग्रेस को उम्मीदवार के पड़े लाले?</a></p><p>एन. बालाकृष्णन कहते हैं कि जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड एक धर्मार्थ ट्रस्ट है और किसी भी व्यावसायिक गतिविधि में यह शामिल नहीं है. उनके मुताबिक, &quot;पूरे परिसर में पिछले चार दशक से कोई नया निर्माण नहीं किया गया है, फिर भी हाउस टैक्स कई गुना बढ़ा दिया गया. हाउस टैक्स की गणना ठीक से नहीं की गई और यहां तक कि इसमें खाली ज़मीन को भी शामिल करके टैक्स लगा दिया गया है. ट्रस्ट को नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 117 बी के तहत इस तरह के करों से छूट दी गई है.&quot;</p><p>जानकारों के मुताबिक, आनंद भवन, स्वराज भवन और तारामंडल का गृहकर पहले मात्र 600 रुपये था और साल 2003 तक यही धनराशि जमा की जाती रही. </p><p>साल 2003 में जब नगर निगम ने टैक्स बढ़ा दिया तो उसके पुनरीक्षण के लिए अदालत की शरण ली गई. इस बीच, नगर निगम टैक्स भेजता रहा और ट्रस्ट की ओर से सिर्फ़ छह सौ रुपये जमा किए जाते रहे. यही बकाया राशि बढ़कर क़रीब साढ़े चार करोड़ रुपये हो गई है. </p><p>नगर निगम के अधिकारियों का सवाल है कि यदि जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड एक ट्रस्ट था तो लगातार हाउस टैक्स यहां से जमा क्यों होता रहा. ट्रस्ट ने हाउस टैक्स लगाने पर आपत्ति नहीं की थी बल्कि बढ़ाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी और मामले को न्यायालय ले गए थे.</p><p>तत्कालीन इलाहाबाद और अब प्रयागराज में शहर के बीचोंबीच स्थित आनंद भवन शुरू से ही स्वाधीनता आंदोलन से संबंधित तमाम गतिविधियों का केंद्र रहा. मोतीलाल नेहरू ने इसका निर्माण कराया था और साल 1930 में इसे उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया. स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े तमाम कार्यक्रम और बैठकें तो यहां होती ही थीं लंबे समय तक यह कांग्रेस पार्टी का दफ़्तर भी बना रहा. देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म भी आनंद भवन में ही हुआ था.</p><p>यूं तो यह भवन लंबे समय से प्रयागराज का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन चुका है लेकिन कांग्रेस पार्टी की तमाम यादें भी इससे जुड़ी हुई हैं. </p><p>इसीलिए जब बकाया गृहकर के लिए नोटिस भेजने का मामला नगर निगम सदन की बैठक में आया तो तमाम कांग्रेसी पार्षदों ने इसका यह कहकर विरोध किया कि एक ऐतिहासिक धरोहर पर टैक्स लगाना उचित नहीं है. आनंद भवन के मुख्य केयर टेकर डॉक्टर रवि किरण इस मुद्दे पर यह कहकर कुछ भी बोलने से इनकार कर देते हैं कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन प्रयागराज के कांग्रेसी नेता इस पर काफ़ी भड़के हुए हैं.</p><p>शहर कांग्रेस अध्यक्ष रहे अभय अवस्थी कहते हैं, &quot;आनंद भवन एक ऐतिहासिक धरोहर है. नेहरू परिवार ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था. यहां कौन सी व्यावसायिक गतिविधि हो रही है? सच तो ये है कि बीजेपी सरकार जानबूझकर कांग्रेस पार्टी, नेहरू परिवार और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित धरोहरों और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को ख़त्म करने पर तुली है. नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी, जलियांवाला बाग ट्रस्ट और अब आनंद भवन सब उसी साज़िश की कड़ी हैं.&quot; </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-38188297?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फ़िरोज गांधी को आप भूल तो नहीं गए हैं?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41967911?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब नेहरू ने दंगाइयों से लड़ने के लिए अपनी पिस्टल निकाल ली</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46973120?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">प्रियंका गांधी के प्रभारी बनने से यूपी में किसका नुकसान?</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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