राजमाता से 250 वोट से पराजित हुए थे छत्रुराम, पढ़ें 1969 में गोमिया विधानसभा में आखिर क्या हुआ था

राकेश वर्मा बेरमो : गोमिया विधानसभा क्षेत्र से छत्रु राम महतो चार बार विधायक रहे. उन्होंने एक बार भारतीय जनसंघ, एक बार जनता पार्टी और तीन बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता. वर्ष 1969 में गोमिया विधानसभा जरीडीह विधानसभा क्षेत्र में शामिल था. उस समय छत्रुराम महतो ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पद्मा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2019 7:18 AM

राकेश वर्मा

बेरमो : गोमिया विधानसभा क्षेत्र से छत्रु राम महतो चार बार विधायक रहे. उन्होंने एक बार भारतीय जनसंघ, एक बार जनता पार्टी और तीन बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता. वर्ष 1969 में गोमिया विधानसभा जरीडीह विधानसभा क्षेत्र में शामिल था. उस समय छत्रुराम महतो ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पद्मा राजघराना की माता महारानी मंजरी शशांक देवी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. छत्रुराम राजमाता से केवल 250 वोट से पराजित हो गये थे. राजमाता शशांक मंजरी देवी ने दो बार जरीडीह और डुमरी का प्रतिनिधित्व किया था. उन्होंने पलामू संसदीय सीट से भी जीत हासिल की थी. कर्पूरी ठाकुर की सरकार में वह सिंचाई मंत्री भी रही थीं.

पहली बार 1972 में विधायक बने थे छत्रुराम : वर्ष 1972 के विधानसभा चुनाव में छत्रुराम महतो भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े, जिनका चुनाव चिह्न दीया था. इस बार वह पहली बार विधायक बने. दूसरी बार वर्ष 1977 में गोमिया से जनता पार्टी से विधायक बने. वर्ष 1980, 1995 तथा 2005 में भाजपा से विधायक बने. श्री महतो एकीकृत बिहार सरकार में वित्त राज्य मंत्री के अलावा बिहार विधानसभा में मुख्य सचेतक भी रहे. साथ ही बिहार प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे. झारखंड सरकार में मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन रहे.

2009 में बदल ली थी पार्टी : वर्ष 2009 में भाजपा ने छत्रुराम महतो की जगह जीतेंद्र महतो को प्रत्याशी बना दिया. इससे खफा होकर छत्रुराम ने पार्टी बदल ली. झामुमो के टिकट पर चुनाव भी लड़े, पर हार गये. बाद में फिर भाजपा में लौटे. लेकिन, 2014 के चुनाव में उनकी जगह भाजपा ने माधव लाल सिंह को प्रत्याशी बनाया. हालांकि, श्री सिंह हार गये.
चार बार कर चुके हैं गोमिया का प्रतिनिधित्व
छत्रुराम महतो व माधवलाल सिंह ने चार-चार बार गोमिया विस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. छत्रुराम महतो ने 1977, 1980, 1995 तथा 2005 और माधव लाल सिंह ने 1985, 1990, 2000 तथा 2009 में चुनाव जीता. 2014 के बाद से इस क्षेत्र की राजनीति ने अचानक करवट ली तथा झामुमो ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की. 2018 के उप चुनाव में भी झामुमो की जीत हुई.

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