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झारखंड विधानसभा चुनाव: विरासत बचाने मैदान में पत्नी व संतान, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

मनोज लाल पिता और पति के अधूरे काम को पूरा कर रहे हैं रांची: पिता और पति की राजनीतिक विरासत बचाने के लिए इस बार चुनावी दंगल में बेटा-बेटी और पत्नी पूरे दम-खम से डटे हुए हैं. ऐसे भी विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पिता या पति के चुनाव लड़ने से अयोग्य होने या मृत्यु हो […]

मनोज लाल

पिता और पति के अधूरे काम को पूरा कर रहे हैं
रांची: पिता और पति की राजनीतिक विरासत बचाने के लिए इस बार चुनावी दंगल में बेटा-बेटी और पत्नी पूरे दम-खम से डटे हुए हैं. ऐसे भी विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पिता या पति के चुनाव लड़ने से अयोग्य होने या मृत्यु हो जाने पर विरासत बचाने की जिम्मेदारी बच्चों या पत्नी पर आ गयी है. राज्य में हुए विधानसभा उपचुनावों में दो सीटों पर विधायक के निधन के बाद उनके बेटों ने जीत हासिल की. पांकी विधायक विदेश सिंह व गोड्डा विधायक रघुनंदन मंडल की मृत्यु के बाद इनकी सीटों पर उनके पुत्रों क्रमश: देवेंद्र कुमार सिंह (बिट्टू सिंह) और अमित मंडल ने कब्जा जमाया. देवेंद्र कुमार सिंह ने कांग्रेस और अमित मंडल ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल कर पिता की सीट बचायी. इस बार फिर से दोनों अपने-अपने पिता की सीटों पर कब्जा बनाये रखने के लिए दम-खम से चुनाव लड़ रहे हैं.
बड़कागांव से योगेंद्र साव विधायक रहे हैं. उनके चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित होने पर पत्नी निर्मला देवी ने पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बनीं. इस बार उनकी बेटी अंबा प्रसाद (कांग्रेस प्रत्याशी) पिता की राजनीतिक विरासत संभालने को तैयार हैं. कोलेबिरा सीट से एनोस एक्का विधायक बने थे. पिछली बार यहां से कांग्रेस प्रत्याशी नमन विक्सल कोनगाड़ी की जीत हुई थी. एनोस एक्का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिये गये हैं. ऐसे में उन्होंने अपनी बेटी आइरिन एक्का को प्रोजेक्ट किया है. वह झारखंड पार्टी से कोलेबिरा सीट से चुनाव लड़ेंगी. जामताड़ा सीट से फुरकान अंसारी विधायक रहे हैं. अब उनके पुत्र डॉ इरफान अंसारी वहां से विधायक हैं. उन्होंने पिछली बार भी जीत हासिल की थी. इस बार फिर से वह चुनाव मैदान में हैं. सिल्ली और गोमिया सीट पहले से ही क्रमश: विधायक अमित महतो व विधायक योगेंद्र प्रसाद महतो की पत्नियां संभाल रही हैं. दोनों न्यायालय के आदेश के बाद चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं. पार्टियों ने दोनों की पत्नियों को उपचुनाव में प्रत्याशी बना कर दावं खेला था. दोनों सीट बचाने में सफल रहीं. इस बार भी दोनों पतियों की राजनीतिक विरासत बचाने में लगी हुई हैं.

रामगढ़ विधानसभा सीट से विधायक रहे चंद्रप्रकाश चौधरी इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जीत कर सांसद बन गये. अब उनकी सीट की जिम्मेवारी पत्नी सुनीता चौधरी ने उठा ली है. रामगढ़ सीट से सुनीता चौधरी आजसू उम्मीदवार हैं. वहीं झरिया विधायक संजीव सिंह हत्या मामले में जेल में बंद हैं. उनकी पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर विरासत बचाने की कोशिश में हैं. लोहरदगा सीट से पूर्व विधायक कमल किशोर की पत्नी नीरू शांति भगत को आजसू पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है.

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