अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. महाभियोग प्रस्ताव संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में पास हो गया. निचले सदन से प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद अब ऊपरी सदन सीनेट में मुकदमा चलेगा. वोटिंग में ट्रंप पर महाभियोग चलाने के प्रस्ताव को बहुमत मिला है. ट्रंप पर अगला राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए अपने एक प्रतिद्वंदी के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया गया है. दूसरे आरोप के तहत उन्हें जांच में कांग्रेस ( वहां की संसद) के रास्ते में रुकावट डालने का दोषी पाया गया है.
ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन को नुकसान पहुंचाने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का इस्तेमाल करना चाहा. हालांकि ट्रंप ने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए इस प्रक्रिया को मजाक बताया है. ट्रंप को अगले महीने सीनेट में मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यहां उनकी पार्टी को बहुमत है. ऐसे में नहीं लगता है कि उन्हें पद से हटाया जा सकेगा.
महाभियोग क्या है?
अमेरिकी संविधान के आर्टिकल II(सेक्शन 4) के मुताबिक, राजद्रोह , भ्रष्टाचार या अन्य किसी उच्च श्रेणी के अपराध या दुराचरण के लिए दोषी पाए जाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और सभी नागरिक अधिकारी के खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है और उसे पद से हटाया जा सकता है.
कैसेट्रंप राष्ट्रपतिपद सेहटेंगे
महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पहले द हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव को एक न्यायिक कमेटी गठित करनी होगी. जांच के बाद अगर पर्याप्त सबूत मिलते हैं तो सदन राष्ट्रपति के पक्ष और विपक्ष में वोट करेगा. अगर सदन महाभियोग के पक्ष में बहुमत नहीं जुटा पाता है तो ट्रंप पद पर काबिज रहेंगे.
अगर बहुमत महाभियोग के पक्ष में आता है तो ये दूसरे सदन यानि सीनेट में भेजा जाएगा. सीनेट में महाभियोग को बहुमत के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत होगी. अगर ये वोट मिल जाएंगे तो ट्रंप को पद छोड़ना होगा और सत्ता की बागडोर उपराष्ट्रपति के हाथों में होगी. जबकि बहुमत न मिलने पर ट्रंप अपने पद पर काबिज रहेंगे.
अमेरिका में पहले भी हुई महाभियोग की कार्रवाई
अमेरिका के इतिहास में ट्रंप से पहले दो अन्य राष्ट्रपतियों पर महाभियोग की कार्रवाई हुई है. ये अलग बात है कि महाभियोग की कार्रवाई के बाद भी दोनों ने अपना कार्यकाल पूरा किया. अमेरिकी इतिहास में सबसे पहले साल 1868 में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के खिलाफ भी महाभियोग चला था. उन पर एक सरकारी अधिकारी को गैर कानूनी तरीके से बर्खास्त करने का आरोप लगा था.
इसके 130 साल बाद 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग लाया गया. क्लिंटन पर मोनिका लेवेंस्की (क्लिंटन के कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में इंटर्न थीं) के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. हालांकि साल 1999 में सीनेट की ओर से लगाए गए आरोपों से बरी हो गए थे. इस तरह से उनकी कुर्सी भी बच गई थी. इसके अलावा, 1974 में वॉटरगेट स्कैंडल के चलते रिचर्ड निक्सन के खिलाफ भी महाभियोग चल सकता था लेकिन उससे पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.