CAA और NRC पर ममता बनर्जी की मुहिम को अदालती झटका
<figure> <img alt="पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/DE60/production/_110282965_40055b07-26a3-41c0-8362-985af55442ea.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुहिम को सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने झटका दिया. कोर्ट ने इनके ख़िलाफ़ जारी सरकारी विज्ञापनों को तुरंत रोकने का आदेश दिया. […]
<figure> <img alt="पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/DE60/production/_110282965_40055b07-26a3-41c0-8362-985af55442ea.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुहिम को सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने झटका दिया. कोर्ट ने इनके ख़िलाफ़ जारी सरकारी विज्ञापनों को तुरंत रोकने का आदेश दिया. </p><p>सीएम ममता बनर्जी ने स्थानीय टीवी चैनलों में जारी विज्ञापनों में लोगों को भरोसा दिया था कि बंगाल में इन दोनों को लागू नहीं किया जाएगा.</p><p>सीएए पर जारी कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णनन नैयर और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि अगले आदेश तक सरकार ऐसा कोई विज्ञापन नहीं देगी. </p><p>इस मामले की अगली सुनवाई नौ जनवरी को होगी.</p><p>अदालत ने राज्य के तमाम इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को तत्काल बहाल करने का भी आदेश दिया. </p><p>खंडपीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक के हवाले से कहा कि बंगाल में स्थिति शांतिपूर्ण है. सीएए के ख़िलाफ़ राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसा और आगज़नी के दौरान रेलवे की संपत्ति को हुए नुकसान के मुद्दे पर अदालत ने रेलवे से रिपोर्ट सौंपने को कहा.</p><figure> <img alt="कलकत्ता हाई कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/11E7A/production/_110283337_d165b432-5e13-4d61-81d6-ce594e9e9c5a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>www.calcuttahighcourt.gov.in</footer> </figure><p>अदालत का यह आदेश ममता बनर्जी और उनकी सरकार के लिए एक करारा झटका है. </p><p>ममता शुरू से ही एनआरसी और सीएए के ख़िलाफ़ काफ़ी मुखर रही हैं. बीते सप्ताह से ही उनकी पार्टी इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरी है. </p><p>बीते सोमवार को ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता में एक महारैली आयोजित की थी. </p><p>ममता बार-बार कहती रही हैं कि बंगाल में इन क़ानूनों को किसी भी क़ीमत पर लागू नहीं किया जाएगा. </p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1206497413948534784">https://twitter.com/ANI/status/1206497413948534784</a></p><p>सीएए के संसद में पारित होने के बाद बंगाल के कई जिलों में भीषण हिंसा और आगज़नी हुई थी. इस दौरान उपद्रवियों ने कई स्टेशनों, ट्रेनों और बसों में आग लगा दी थी. इस वजह से सरकार को पांच जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी थीं. </p><p>उसके बाद आम लोगों में फैले आंतक को ध्यान में रखते हुए ममता ने विज्ञापन की शक्ल में जारी अपने वीडियो संदेश में लोगों को भरोसा दिया था कि बंगाल में इन दोनों क़ानूनों को लागू नहीं किया जाएगा. </p><figure> <img alt="ममता बनर्जी सरकार के विज्ञापन" src="https://c.files.bbci.co.uk/165F6/production/_110283619_img_20191216_185150.jpg" height="1200" width="976" /> <footer>Sanjay Das</footer> </figure><p>इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ अपनी पहली रैली में ममता ने कहा था, "केंद्र सरकार मेरे शव पर से गुज़र कर ही बंगाल में इन क़ानूनों को लागू कर सकती है. मैं अपने जीते-जी इनको लागू नहीं होने दूंगी." </p><p>राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी मुख्यमंत्री की ओर से जारी विज्ञापन को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि सरकार को सार्वजनिक धन का यह दुरुपयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए. लेकिन ममता ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया था.</p><figure> <img alt="ममता बनर्जी की रैली" src="https://c.files.bbci.co.uk/7F7E/production/_110283623_mamatarallyagainstnrc.jpg2.jpg" height="900" width="976" /> <footer>Sanjay Das</footer> </figure><p>तृणमूल कांग्रेस ने फ़िलहाल अदालत के फ़ैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि पार्टी फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद ही आगे की रणनीति तय करेगी. </p><p>दूसरी ओर, भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने कहा, "ममता को अपनी पार्टी के पढ़े-लिखे सांसदों और विधायकों से सलाह-मशविरा कर पहले संविधान की जानकारी लेनी चाहिए थी." </p><p>बाबुल सुप्रियो ने कहा, "राज्य सरकार को केंद्रीय क़ानूनों के मामले में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. दीदी के अलावा सबको पता है कि नागरिकता केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है."</p><p><a href="https://twitter.com/SuPriyoBabul/status/1209023423780753408">https://twitter.com/SuPriyoBabul/status/1209023423780753408</a></p><p>राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस अदालती झटके के बाद अब तृणमूल कांग्रेस भी नए सिरे से अपनी रणनीति पर विचार करेगी. </p><p>राजनीतिक विश्लेषक मईदुल इस्लाम कहते हैं, "ममता के तेवरों से साफ़ है कि इस अदालती झटके के बावजूद वह अपने पैर पीछे नहीं खींचेगी. ऐसे में इस मुद्दे पर क़ानूनी लड़ाई के लंबे खिंचने के आसार हैं."</p><p>दूसरी ओर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ को सोमवार को जाधवपुर विश्वविद्लाय में छात्रों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. </p><p>उनकी कार इस वजह से एक घंटे से अधिक समय तक रास्ते में फंसी रही.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>