नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी पर कितना भ्रम कितना सच?
<figure> <img alt="नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/1085/production/_110292240_gettyimages-965870024.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर जानकारी थोड़ी है और भ्रम ज़्यादा. पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लोग सवाल उठा रहे हैं, चिंता जता रहे हैं.</p><p>सरकार ने आधिकारिक तौर पर बहुत कम जानकारी दी है जबकि पार्टी से जुड़े लोग तरह-तरह के […]
<figure> <img alt="नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/1085/production/_110292240_gettyimages-965870024.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर जानकारी थोड़ी है और भ्रम ज़्यादा. पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लोग सवाल उठा रहे हैं, चिंता जता रहे हैं.</p><p>सरकार ने आधिकारिक तौर पर बहुत कम जानकारी दी है जबकि पार्टी से जुड़े लोग तरह-तरह के बयान दे रहे हैं जिससे भ्रम बढ़ा है. बहुत सी आशंकाओं के बीच कुछ मुख्य सवालों के जवाब.</p><p><strong>पहला सवाल: नागरिकता संशोधन कानून संवैधानिक है क्योंकि इसे संसद ने पास किया है, क्या इसे असंवैधानिक कहना गलत है?</strong></p><p>संसद से पास हुए किसी क़ानून को लेकर अगर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए तो उसकी संवैधानिकता पर कोर्ट फैसला ले सकता है. </p><p>मिसाल के तौर पर 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 का सेक्शन 55. इसमें आर्टिकल 368 में क्लॉज 4 और 5 जोड़ा गया जिसके मुताबिक़ संविधान में किसी तरह का संशोधन किसी भी वजह से कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता और संशोधन के लिए संसद की शक्ति असीमित होगी. </p><figure> <img alt="सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1FC1/production/_110292180__110086595_41082673-1d83-47b7-becc-aaff15c6ba14.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रावधानों को असंवैधानिक ठहरा दिया था. </p><p>नागरिकता संशोधन क़ानून को भी कोर्ट में चुनौती दी गई है और 22 जनवरी 2020 से सुनवाई शुरू होगी. </p><p><strong>दूसरा सवाल: नागरिकता संशोधन </strong><strong>क़ानून </strong><strong>भारतीय नागरिकों के बारे में नहीं है. ना ही मुसलमानों के बारे में तो विरोध क्यों? </strong></p><p>ये ठीक है कि नागरिकता संशोधन कानून भारत के नागरिकों के लिए नहीं है. ये सिर्फ 3 देशों के 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दिए जाने के बारे में है. </p><p>लेकिन विरोध इसलिए है क्योंकि खुद गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषणों और बयानों में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी दोनों को जोड़ कर पेश किया है. </p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=Wr6iJG9MeSA">https://www.youtube.com/watch?v=Wr6iJG9MeSA</a></p><p><strong>तीसरा सवाल: जब एनआरसी अभी तक आया ही नहीं तो विरोध क्यों? </strong></p><p>विरोध की मुख्य वजह आशंका है, सरकार ने कहा है कि किसी भारतीय नागरिक को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है लेकिन आशंकित लोगों, ख़ास तौर पर मुसलमानों को आश्वस्त करने के लिए सरकार ने कुछ ठोस न तो कहा है, न किया है. </p><p>बहुत सारे लोगों को लगता है कि यह अन्यायपूर्ण है, कुछ लोगों को लगता है कि जो लोग एनआरसी के तहत अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे उन्हें डिटेंशन सेंटर में जाना होगा. </p><p>इसके अलावा लोगों में नोटबंदी जैसी आपाधापी और परेशानी की आशंका भी विरोध की एक वजह हो सकती है क्योंकि 135 करोड़ लोगों की नागरिकता की जांच करना कोई मामूली काम नहीं होगा. </p><p>अगर 10 प्रतिशत मामलों में भी गड़बड़ी हुई तो यह 13 करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी को मुबीसत में डाल सकता है.</p><figure> <img alt="असम+नागरिकता संशोधन कानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/46D1/production/_110292181__110001940_5cb91485-30a1-49cc-9981-ba97ae84a041.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>मिसाल के तौर पर असम में एनआरसी की वजह से 19 लाख लोग लिस्ट से बाहर हो गए थे जिसमें अधिकतर हिंदू थे. </p><p>असम एनआरसी के लिए लोगों को अपने पूर्वजों के 1971 से पहले भारत में होने के दस्तावेज़ जमा करने थे और फिर उनसे अपना रिश्ता साबित करने के लिए दस्तावेज़ जमा करने थे. </p><p>असम बीजेपी ने पहले एनआरसी का स्वागत किया था लेकिन फाइनल लिस्ट के बाद उसे नकार दिया. जिसके बाद अमित शाह ने कहा कि पूरे देश के साथ ही असम में भी फिर से एनआरसी होगी. </p><p>अब नागरिकता संशोधन कानून आने से कहा जा रहा है कि अगर एनआरसी लिस्ट में गैर-मुसलमान बाहर हुए तो इस क़ानून से नागरिकता ले सकेंगे लेकिन इस क़ानून से मुसलमान नागरिकता नहीं ले सकेंगे. </p><figure> <img alt="पाकिस्तानी हिंदू" src="https://c.files.bbci.co.uk/94F1/production/_110292183__110107688_01.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>पिछले काफ़ी वक्त से पाकिस्तान से भारत आए हिंदू भारत की नागरिकता मांग रहे हैं.</figcaption> </figure><p><strong>चौथा सवाल : क्या भारत तीन दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों की मदद कर रहा है जो वहां धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे हैं. </strong></p><p>गृह मंत्री के बयानों में ऐसा ही कहा गया है लेकिन नागरिकता संशोधन कानून में कहीं भी धार्मिक प्रताड़ना शब्द नहीं लिखा है. साथ ही ये सवाल भी पूछा जा रहा है कि ये कैसे तय होगा कि कोई धार्मिक तौर पर प्रताड़ित है. </p><p>दूसरा, लोगों का विरोध इस बात पर है कि भारत को धर्म को आधार बनाए बिना धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे लोगों को शरण देनी चाहिए क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है.</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=b3yis-Igp7I">https://www.youtube.com/watch?v=b3yis-Igp7I</a></p><p><strong>पांचवा सवाल : क्या भारत में कहीं भी डिटेंशन सेंटर नहीं हैं? </strong></p><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कहा कि "सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेन्टर वाली अफ़वाहें सरासर झूठ है, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी है – ये झूठ है, झूठ है, झूठ है."</p><p>लेकिन सच ये है कि 16 जुलाई 2019 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने कहा था कि असम में डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं. </p><p>उन्होंने कहा था कि ये सेंटर फॉरेनर्स एक्ट 1946 की धारा 3(2)(ई) के तहत उन लोगों को रखने के लिए बनाए गए हैं जिसकी नागरिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है. </p><p>बीबीसी संवाददाता नितिन श्रीवास्तव और प्रियंका दुबे भी असम में इन डिटेंशन सेंटरों पर रिपोर्ट कर चुके हैं. वहां पर एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए लोग रखे गए हैं. </p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=xfeGi8xQ4iU">https://www.youtube.com/watch?v=xfeGi8xQ4iU</a></p><p><strong>छठा सवाल: भारत की नागरिकता कैसे मिल सकती है? </strong></p><p>भारत की नागरिकता जन्म, वंश, रजिस्ट्रेशन, नेचुरलाइज़ेशन से मिल सकती है. कोई भी विदेशी नेचुरलाइज़ेशन से या रजिस्ट्रेशन से भारत की नागरिकता ले सकता है चाहे वो किसी भी देश का हो या किसी भी समुदाय से हो. </p><p>18 दिसंबर को गृहमंत्रालय के प्रवक्ता के ट्विटर हैंडल से कुछ जानकारियां साझा की गई. </p><p>उन्होंने लिखा कि दूसरे देशों के बहुसंख्यक समुदाय के लोग भारत की नागरिकता ले सकते हैं अगर वे इसकी तय शर्तें फॉलो करते हैं. पिछले 6 सालों में 2830 पाकिस्तानियों, 912 अफ़गानियों और 172 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता दी गई है और इनमें से बहुत से लोग उन देशों के बहुसंख्यक समुदाय से थे. </p><p>उन्होंने ये भी लिखा कि पिछली सरकारों ने स्पेशल प्रावधान बनाकर पहले भी विदेशियों को भारत की नागरिकता दी है जिन्हें भारत भाग कर आना पड़ा. जैसे 1964 से लेकर 2008 तक 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारतीय नागरिकता दी गई.</p><p>सवाल ये उठ रहा है कि अगर ऐसा है तो फिर इसी तरह धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दे दी जाती चाहे वो किसी भी धर्म के हों. अलग से नागरिकता संशोधन क़ानून की ज़रूरत क्यों पड़ी? </p><figure> <img alt="असम+नागरिकता संशोधन कानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/F6FD/production/_110292236__110270366_c569a3f4-b938-4734-a276-af7ba3ddab33.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>सातवां सवाल: क्या असम के लोगों के अपने </strong><strong>संस्कृति</strong><strong> और भाषा को नुक़सान होने का डर सही है? </strong></p><p>सरकार ने संसद में कहा है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के हितों को ध्यान में रखा गया है क्योंकि छठी अनुसूची और इनर परमिट लाइन वाले क्षेत्र इस क़ानून के दायरे से बाहर हैं. </p><p><strong>आठवां सवाल : क्या एनआरसी मोदी सरकार </strong><strong>ही पहली </strong><strong>बार लेकर आ रही है? </strong></p><p>नहीं, नागरिकता अधिनियम, 1955 के सेक्शन 14A में लिखा है कि केंद्र सरकार चाहे तो हर नागरिक को रजिस्टर कर सकती है और एक राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है. </p><p>केंद्र सरकार चाहे तो एक रजिस्टर मेंटेन कर सकती है और इसके लिए नेशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी बना सकती है. 2003 में कानून में संशोधन कर ये प्रावधान लाया गया. </p><figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/1451D/production/_110292238_gettyimages-1138682131.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>नौवां सवाल: नागरिकता साबित करने के लिए किन-किन दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी? </strong></p><p>गृह मंत्रालय के प्रवक्ता कह रहे हैं कि भारत की नागरिकता किसी भी ऐसे दस्तावेज़ से साबित की जा सकती है जो जन्मतिथि और जन्मस्थान से जुड़ा हो और वे ऐसी लिस्ट लाएंगे जिसमें आम दस्तावेज़ ही मांगे जाएंगे ताकि किसी भारतीय नागरिक को परेशानी ना हो. </p><p>लेकिन दूसरी तरफ़ कई न्यूज़ वेबसाइट ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा कि वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट नागरिकता का सबूत नहीं, ट्रेवल या रेसिडेंसी डॉक्यूमेंट हैं. </p><p>लेकिन इन सभी को बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र और घर का प्रमाण पत्र देना होता है, तो फिर कैसे ये नागरिकता साबित नहीं करते? इसे लेकर सरकार ने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा. </p><p><strong>दसवां सवाल: क्या रिफ्यूजी सिर्फ पाकिस्तान, </strong><strong>अफ़ग़ानिस्तान</strong><strong>, और बांग्लादेश से ही आते हैं?</strong></p><p>नहीं, श्रीलंका से आए रिफ्यूजी काफी वक्त से भारत की नागरिकता मांग रहे हैं. </p><p>तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को खत लिखकर बताया था कि तमिलनाडु में 1,02,055 रिफ्यूजी हैं जो पिछले 30 सालों से रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं. </p><p>लेकिन उन्हें अब तक भारत की नागरिकता नहीं दी जा सकी है. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें</strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi"> फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>