<figure> <img alt="हैदराबाद में विरोध प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/21C9/production/_110394680_gettyimages-1191562009.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) को लेकर भारत में रोज़ाना कहीं न कहीं विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी नज़र जमाए हुए है.</p><p>शनिवार को हैदराबाद में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर निकाले गए विरोध मार्च को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने समाचार एजेंसियों के हवाले से अपने यहां अच्छी-ख़ासी जगह दी है. </p><p>ब्रिटिश अख़बार द गार्जियन ने अपने यहां शीर्षक लगाया है<a href="https://www.theguardian.com/world/2020/jan/04/india-hyderabad-protest-against-citizenship-law"> ‘भारत नागरिकता क़ानून: 100,0000 हैदराबाद प्रदर्शन में शामिल हुए.'</a></p><p>अख़बार लिखता है कि दक्षिण भारत के शहर हैदराबाद में शांतिपूर्ण मार्च निकाला गया, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ नारे लगाए गए.</p><p>इसमें कहा गया है कि शनिवार शाम तक लोग इस विरोध रैली में शामिल होने के लिए आते रहे. </p><p>अख़बार समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से बताता है कि पुलिस ने इस विरोध प्रदर्शन में केवल 1,000 लोगों के आने की अनुमति दी थी लेकिन इसमें एक लाख से अधिक लोग पहुंच गए.</p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/1400334696801691/?t=7">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/1400334696801691/?t=7</a></p><h3>विरोध रैली का नाम ‘मिलियन मार्च'</h3><p>मीडिया समूह <a href="https://www.aljazeera.com/news/2020/01/100000-march-southern-india-protest-citizenship-law-200104135948711.html">अल जज़ीरा लिखता है </a>कि इस विरोध रैली को ‘मिलियन मार्च’ का नाम दिया गया था. वेबसाइट के अनुसार हैदराबाद के कई मुसलमान और नागरिक संगठनों के समूह ने इस मार्च का आयोजित किया था.</p><p>अज जज़ीरा ने लिखा है कि हैदराबाद की तक़रीबन 70 लाख जनसंख्या मुसलमानों की है जो 40 फ़ीसदी से अधिक है. </p><p>साथ ही इसमें लिखा गया है कि इन प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘CAA तुरंत वापस लो’ और ‘भारत का सिर्फ़ एक धर्म- धर्मनिरपेक्षता’ जैसे नारे लिखे पोस्टर्स ले रखे थे.</p><p>इसके अलावा अल जज़ीरा ने नागरिकता संशोधन क़ानून से जुड़ी एक और ख़बर प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक है <a href="https://www.aljazeera.com/news/2020/01/indian-states-implement-modi-citizenship-law-200104094411324.html">’कई भारतीय राज्य मोदी के नागरिकता क़ानून को नहीं करेंगे लागू.'</a></p><p>वेबसाइट पर छपी ख़बर में लिखा गया है कि मुस्लिम विरोधी क़ानून को कई भारतीय राज्य लागू नहीं करेंगे जिसके कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक चुनौतियां बढ़ गई हैं.</p><p>अल जज़ीरा लिखता है कि केरल राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर CAA के ख़िलाफ़ एकजुट होने की अपील की है. </p><p>इसी ख़बर में आगे लिखा गया है कि मोदी सरकार ने राष्ट्रव्यापी नेशनल पॉपुलर रजिस्टर (NPR) को अनुमति दे दी है जिसे देश के मुसलमान और सामाजिक कार्यकर्ता NRC की शुरुआत बता रहे हैं.</p><p>तीन सप्ताह से जारी इन विरोध प्रदर्शनों में ‘फ़ासीवाद मुर्दाबाद’ और ‘संविधान बचाओ’ जेसे नारे सबसे चर्चित रहे हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50881033?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नागरिकता क़ानून पर देशभर में हो रहे प्रदर्शन</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50914899?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नागरिकता संशोधन क़ानूनः प्रदर्शनकारी अब क्या करेंगे?</a></li> </ul><figure> <img alt="प्रदर्शनकारी" src="https://c.files.bbci.co.uk/BE09/production/_110394684_gettyimages-1191562012.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>एक लाख से अधिक लोग और शांतिपूर्ण प्रदर्शन</h3><p>वहीं, तुर्की का अख़बार ‘डेली सबा’ हैदराबाद प्रदर्शनों की ख़बर का शीर्षक लगाया है <a href="https://www.dailysabah.com/asia/2020/01/04/protests-continue-as-over-100000-march-in-southern-india-against-anti-muslim-law">’मुस्लिम विरोधी क़ानून के ख़िलाफ़ एक लाख से अधिक लोगों का मार्च.'</a></p><p>इस ख़बर में बताया गया है कि इस विरोध मार्च के दौरान तक़रीबन एक लाख से अधिक लोग उपस्थित थे और पूरा विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा. </p><p>अख़बार लिखता है कि नए क़ानून से मुस्लिम बहुसंख्यक देश अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले ग़ैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.</p><p>अमरीकी समाचार चैनल ‘सीएनएन’ भी लगातार अपने चैनल और वेबसाइट पर नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर ख़बरें प्रकाशित कर रहा है. सीएनएन वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक है <a href="https://edition.cnn.com/2019/12/31/opinions/india-citizenship-law-crosses-line-singh/index.html">’क्यों भारत का नागरिकता क़ानून सीमा पार करता है.’ </a></p><p>इस लेख में कहा गया है कि भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में नागरिकता के लिए धर्म एक मापदंड होना मौलिक रूप से असंवैधानिक है. </p><p>इस लेख में कहा गया है कि सीएए सिर्फ़ उनके लिए ख़तरा नहीं है जो इस पर ध्यान नहीं दे रहे बल्कि ये सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक ख़तरा है.</p><p>लेख में कहा गया है कि इसके ज़रिए अब नए लेंस के द्वारा अपनी नागरिकता को दोबारा साबित करना होगा.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50948258?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी क्या इस तरह मुसलमानों का भरोसा जीत पाएगी?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50885059?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नागरिकता संशोधन क़ानून: छात्र बनाम शासन</a></li> </ul><figure> <img alt="बच्चे" src="https://c.files.bbci.co.uk/EBC7/production/_110395306_gettyimages-1191562003.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>प्रदर्शनों की अलग-अलग वजहें</h3><p>अमरीका के ही ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अख़बार ने CAA के ख़िलाफ़ क्यों प्रदर्शन हो रहे हैं, यह समझाते हुए एक ख़बर छापी है.</p><p>ख़बर का शीर्षक है,<a href="https://www.washingtonpost.com/politics/2019/12/31/india-thousands-are-protesting-new-citizenship-law-here-are-things-know/"> ‘भारत में नए नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन, यहां 4 बातें जानने लायक हैं.'</a></p><p>इस ख़बर में भारत में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर अलग-अलग वजहों का होना बताया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत में लोग अलग-अलग कारणों से प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं.</p><p>इसमें कहा गया है कि सबसे पहले असम राज्य में प्रदर्शन शुरू हुए जहां बांग्लादेशी हिंदुओं को नागरिकता देने का डर है जबकि नई दिल्ली, हैदराबाद, अलीगढ़ और लखनऊ जैसी जगहों पर इसलिए प्रदर्शन हुए क्योंकि यह क़ानून मुस्लिम विरोधी है.</p><p>अमरीका की टाइम मैगज़ीन ने नागरिकता क़ानून का विरोध करते हुए नए साल के जश्न मना रही दिल्ली की शाहीन बाग़ की महिलाओं और इस नए क़ानून के विरोध से जुड़ी ख़बर को एक लेख में शामिल किया है. </p><p>इस लेख में इस बात की भी पड़ताल है कि भारत में सबसे अधिक हिंसक प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में ही क्यों हुए. इस लेख का शीर्षक है- <a href="https://time.com/5757332/uttar-pradesh-citizenship-protests/">’नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ भारत के इस राज्य में ही क्यों हुए सबसे हिंसक प्रदर्शन.'</a></p><p>इसमें कहा गया है कि उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है जिसमें से 19 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है. </p><p>उत्तर प्रदेश से लगातार कई तरह के वीडियो आए और अवैध तरीक़े से हिरासत में लिए जाने, गिरफ़्तारी, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने और पुलिस द्वारा लूटे जानी की रिपोर्ट सामने आईं.</p><p><strong>(</strong><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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CAA: एक हज़ार लोगों की थी अनुमति, आए एक लाख-अंतरराष्ट्रीय मीडिया
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