JNU के वीसी ने कहा, ‘सारी ज़िम्मेदारी अकेले मेरी नहीं है’

<figure> <img alt="जगदीश कुमार" src="https://c.files.bbci.co.uk/1CD8/production/_110448370_25c681bd-b52a-45b4-a4a4-0dbba425273e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Jagdesh Kumar/Facebook</footer> </figure><p>जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वाइस चांसलर ने बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में कहा है कि वो ‘सकारात्मक तरीके’ से काम कर रहे हैं.</p><p>जेएनयू इन दिनों चर्चा में है, ख़ास तौर पर जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार. उन पर आरोप लग रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2020 10:29 PM

<figure> <img alt="जगदीश कुमार" src="https://c.files.bbci.co.uk/1CD8/production/_110448370_25c681bd-b52a-45b4-a4a4-0dbba425273e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Jagdesh Kumar/Facebook</footer> </figure><p>जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वाइस चांसलर ने बीबीसी से एक ख़ास बातचीत में कहा है कि वो ‘सकारात्मक तरीके’ से काम कर रहे हैं.</p><p>जेएनयू इन दिनों चर्चा में है, ख़ास तौर पर जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार. उन पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने पाँच जनवरी की शाम कैंपस में हुई हिंसा को रोकने के लिए और उसके बाद अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाई.</p><p>बीबीसी को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में कहा कि जेएनयू छात्र संघ की घायल अध्यक्ष आइशी घोष से मिलना उनकी अकेले की ज़िम्मेदारी नहीं है.</p><p>बीबीसी मराठी सेवा के संवाददाता <strong>नीलेश धोत्रे</strong> के साथ लंबी बातचीत में उन्होंने अपना बचाव किया और कहा कि उनकी तरफ़ से किसी तरह की कोताही नहीं हुई है. </p><p>रविवार शाम हिंसा के वक़्त वो कहां थे और क्या कर रहे थे? </p><p>इस सवाल के जवाब में जगदीश कुमार ने कहा, &quot;मैं यहीं अपने दफ़्तर में था. फ़ैकेल्टी सेलेक्शन का काम चल रहा था. करीब साढ़े चार बजे मुझे ख़बर मिली कि करीब 100 छात्र बहुत एग्रेसिव तरीके से हॉस्टलों की तरफ़ बढ़ रहे हैं. हमने तुरंत सिक्योरिटी गार्डों को उनके पीछे भेजा. कुछ समय बाद हमें पता लगा कि ये छात्र बहुत उग्र थे और सिक्योरिटी गार्ड उन्हें नहीं संभाल सकते. इसके बाद हमने तुरंत पुलिस को बताया. पुलिस आ गई और उसने स्थिति पर नियंत्रण हासिल कर लिया गया.&quot;</p><figure> <img alt="जगदीश कुमार" src="https://c.files.bbci.co.uk/9208/production/_110448373_ef877b5d-1e09-41dc-8d03-6e709f91d039.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>’जांच से सब पत चल जाएगा…'</h3><p>बीबीसी ने उनसे पूछा कि पुलिस तो यह कह रही थी कि कैंपस में जाने की अनुमति नहीं मिली इसलिए पुलिस अंदर नहीं गई जबकि आपका कहना है कि आपने पुलिस को तुरंत बुला लिया था. दोनों में से सच क्या है? </p><p>इस सवाल के जवाब में वीसी ने कहा,&quot;यह प्रक्रिया का मामला है. हमने लिखित अनुमति की चिट्ठी तैयार की. वह चिट्ठी पुलिस को भेजी गई और उसके बाद पुलिस अंदर आई. इसमें थोड़ा समय लगता है.&quot;</p><p>आपने ख़ुद ही कहा कि उन्हें पहली सूचना 4.30 बजे मिली थी तो फिर सवाल यही है कि आपातकालीन स्थिति में अनुमति की चिट्ठी बनाने में कितना समय लगता है क्योंकि छात्रों ने बताया है कि मारपीट की वारदात तकरीबन तीन घंटे तक चलती रही.</p><p>इस पर उन्होंने कहा, &quot;कोर्ट का आदेश है कि वीसी और अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. इसके तहत कैंपस के भीतर सादी वर्दी में पुलिस वाले थे. कैंपस में पुलिस मौजूद थी.&quot;</p><p>जेएनयू में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है. कदम-कदम पर पूछताछ होती है. बिना अनुमति और आईडी कार्ड के कोई अंदर नहीं घुस सकता. ऐसी हालत में ऐसा कैसे हो गया कि बाहर के लोग अंदर घुस आए और उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर हिंसा की? </p><p>इस पर वीसी जगदीश कुमार का जवाब था, &quot;जांच हो जाने दीजिए, जांच से पता चल जाएगा.&quot;</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51031421?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू हमला: लेफ़्ट और राइट दोनों हैं हिंसा के ज़िम्मेदार?</a></p><figure> <img alt="छात्रों का प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/105BD/production/_110450076_7ee22362-15ed-4ae3-afa2-e648abb1a61e.jpg" height="691" width="579" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>कितने लोग अंदर आए? कितनी गाड़ियों के लिए टोकन दिया गया? उन तीन घंटों के भीतर कैंपस में क्या-क्या हुआ? इसकी क्या जानकारी आपको मिली? इन सवालों का भी कोई ठोस जवाब जगदीश कुमार ने नहीं दिया. </p><p>उनसे पूछा गया कि क्या विश्वविद्यालय के गेट पर हुई मारपीट के वक्त बिजली काट दी गई थी ताकि वहां होने वाली हिंसा के वीडियो सामने न आ सकें?</p><p>इस बारे में उन्होंने कहा कि कैंपस के भीतर बिजली की सप्लाई लगातार जारी रही थी, उसमें कोई बाधा नहीं आई. अगर कैंपस के बाहर बिजली कटती है तो इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन का नियंत्रण नहीं है.</p><figure> <img alt="आईशी घोष" src="https://c.files.bbci.co.uk/153DD/production/_110450078_1952bd77-fac1-41ea-b527-e3327e967c7c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>आईशी घोष</figcaption> </figure><h3>छात्रों के साथ खड़े हैं वीसी?</h3><p>जेएनयू छात्र संघ की घायल अध्यक्ष आइशी घोष से अब तक न मिलने को लेकर भी वीसी कुमार के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं.</p><p>इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, &quot;विश्वविद्यालय में पूरी प्रशासनिक व्यवस्था है. सब लोग अपने-अपने स्तर पर ज़िम्मेदार हैं. यह मेरी अकेले की ज़िम्मेदारी नहीं है.&quot;</p><p>एम. जगदीश कुमार का कहना है कि वो जेएनयू के पूर्व छात्र रहे केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की इस बात से बिल्कुल सहमत हैं कि यह पहले वाला जेएनयू नहीं है. उन्होंने कहा कि यह जेएनयू का तौर-तरीका नहीं रहा है. </p><p>उन्होंने कहा, &quot;जेएनयू का तरीका बहस और विचार-विमर्श का है. हिंसा की कैंपस में कोई जगह नहीं है. यह जेएनयू का तरीका नहीं है कि आप वीसी पर हमला करें और विश्वविद्यालय को काम करने से रोकें.&quot;</p><p>पाँच जनवरी के हमले को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर तो आरोप लगे ही हैं. इसके अलावा एक हिंदुत्ववादी संगठन हिंदू रक्षा दल (एचआरडी) ने भी इसकी ज़िम्मेदारी स्वीकार की है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51030151?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू पहुँचीं दीपिका, पर उन्होंने कहा क्या?</a></p><figure> <img alt="छात्रों का प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/1F45/production/_110450080_9e170ec5-5dd4-4a15-8584-c15dd52a65a0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>’हाथ जोड़कर विनती करता हूं…'</h3><p>हिंदू रक्षा दल के बारे में पूछे जाने पर जगदीश कुमार ने इतना ही कहा, &quot;जो भी हमारी यूनिवर्सिटी को परेशान करना चाहता है, मैं उनसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ कि हमें अकेला छोड़ दें.&quot;</p><p>क्या हिंदू रक्षा दल के ख़िलाफ़ पुलिस में एफ़आइआर नहीं की जानी चाहिए? </p><p>इस बारे में जगदीश कुमार कहते हैं, &quot;अगर साबित होता है कि किसी ने क़ानून तोड़ा है, चाहे कैंपस के भीतर हो या बाहर, तो क़ानून को अपना काम करना चाहिए.&quot;</p><p>यह सारा मामला फ़ीस और मेस चार्ज को लेकर शुरू हुआ था. </p><p>वीसी का कहना है कि उन्होंने मामले को बातचीत के ज़रिए सुलझाने की कोशिश की है लेकिन वो छात्रों पर आरोप लगाते हैं कि वे शांतिपूर्ण ढंग से बात नहीं करते और बोलने नहीं देते. वो पूछते हैं कि ऐसे में संवाद कैसे हो सकता है?</p><p>उन्होंने कहा, &quot;छात्र तोड़-फोड़ करते हैं. हमले करते हैं. मुझ पर हमला हुआ. मेरी गाड़ी को नुकसान पहुँचाया गया. लोगों को कमरे में बंद कर दिया गया. ऐसे में आप ही बताएं कि बातचीत के ज़रिए समस्या सुलझाने को प्रक्रिया को कौन बाधित कर रहा है?&quot;</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51014324?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू हमला: क्या भारत नौजवानों की नहीं सुन रहा?</a></p><figure> <img alt="छात्रों का प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/6D65/production/_110450082_5f2b729e-8217-439f-a084-a0d18298044e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h3>’मैं एकेडमिक आदमी हूं'</h3><p>जगदीश कुमार पर आरोप लगते रहे हैं कि वो आरएसएस का हिंदुत्ववादी एजेंडा लागू करना चाहते हैं जिसकी वजह से छात्रों के साथ उनका वैचारिक टकराव हो रहा है क्योंकि वामपंथी रुझान वाले छात्रों का विश्वविद्यालय में बोलबाला रहा है. </p><p>इस बारे में उन्होंने कहा, &quot;यह विश्वविद्यालय अपने एकेडमिक एक्सिलेंस के आधार पर ही चल सकता है. बाकी सारी बातें सेकेंडरी हैं.&quot;</p><p>जगदीश कुमार से पूछा गया कि लोग यूनिवर्सिटी को ‘देशद्रोहियों का अड्डा’ कहते हैं, लांछन लगाते हैं. ख़ासकर जब सरकार में बैठे लोग तक ऐसा कहते हैं तो उन्हें कैसा लगता है? </p><p>इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, &quot;मैं एकेडमिक क्षेत्र का आदमी हूँ. मेरा लक्ष्य विश्वविद्यालय को बेहतर बनाना है. आप मामले को राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं. मैं एकेडमिक नज़रिए से सोचता हूँ.&quot;</p><p>जगदीश कुमार कहते हैं, &quot;जेएनयू एक शानदार यूनिवर्सिटी है. यहां से पढ़े लोगों ने बेहतरीन काम किया है लेकिन अगर आप धरना-प्रदर्शन करके यहां की गतिविधियों को रोकेंगे, दूसरे छात्रों को पढ़ने से रोकेंगे तो इसका क्या भविष्य रह जाएगा?&quot;</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51006654?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू में हिंसा का राज़ व्हाट्सएप इनवाइट लिंक में?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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