कश्मीर में पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, गैरजरूरी आदेशों को वापस ले केंद्र सरकार,पाबंदी के फैसले सार्वजनिक करे

– सुप्रीम कोर्ट का फैसला- जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा – जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और उन्हें सार्वजनिक करने के लिए कहा – जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इंटरनेट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2020 10:59 AM
– सुप्रीम कोर्ट का फैसला- जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा
– जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और उन्हें सार्वजनिक करने के लिए कहा
– जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इंटरनेट के निलंबन के सभी आदेशों की समीक्षा करने के लिए कहा
-सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सदन फरसाट ने कहा कि न्यायालय ने कहा कि राज्य द्वारा अनिश्चितकालीन इंटरनेट प्रतिबंध हमारे संविधान के तहत स्वीकार्य नहीं है और यह शक्ति का दुरुपयोग है.
– सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनेट के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी.
– सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को निषेधाज्ञा जारी करते समय इसपर विचार करना चाहिए और आनुपातिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए.
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी विचार को दबाने के लिए धारा 144 सीआरपीसी (निषेधाज्ञा) का इस्तेमाल उपकरण के तौर पर नहीं किया जा सकता.
नयी दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में संचार माध्यम, इंटरनेट और कई दूसरे प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन जजों की बेंच ने कश्मीर मेंप्रतिबंधोंकी संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर 27 नवंबर को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े किए और धारा 144 के तहत जो भी रोक लगाई गई हैं, उन्हें सार्वजनिक करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट सरकार के तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखा. फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट में जज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा का एक इतिहास रहा है. विरोध के बावजूद दो तरीके के विचार सामने आते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है, बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट को बंद किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि धारा 144 को अनंतकाल के लिए नहीं लगा सकते हैं, इसके लिए जरूरी तर्क होना चाहिए. कोर्ट ने इसी के साथ राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह तुरंत ई-बैंकिंग और ट्रेड सर्विस को शुरू करे.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार इंटरनेट पर पाबंदी, धारा 144, यात्रा पर रोक से जुड़े सभी आदेशों को जारी करना होगा. इसके साथ ही सात दिन के अंदर इन फैसलों का रिव्यू करने का आदेश दे दिया है. राज्य सरकार की ओर से जो फैसले सार्वजनिक किए जाएंगे, उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी सरकार के फैसलों का रिव्यू करेगी और सात दिन के अंदर अदालत को रिपोर्ट सौपेंगी.
बता दें कि जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के निर्णय के बाद इस राज्य में लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने ये फैसला सुनाया. केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों को 21 नवंबर को सही ठहराया था.

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