नयी दिल्लीः नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर देश भर में विरोध और समर्थन में प्रदर्शन का दौर जारी है. इसी बीच भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने भी सीएए पर बयान दिया जिस पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं. नडेला का बयान झब सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा तो माइक्रोसॉफ्ट इंडिया को इस पर सफाई देनी पड़ी है.
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने बयान में कहा कि हर देश को अपने बॉर्डर, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रवासी पॉलिसी को तय करने का अधिकार है. लोकतंत्र में सरकारें और देश की जनता ऐसे मुद्दों पर बात करके अपना फैसला लेती हैं.
सत्या नडेला ने क्या कहा?
सवाल:अमेरिकी शहर मैनहट्टन में संपादकों के साथ एक मीटिंग में नडेला से भारत के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सवाल पूछा गया. बजफीड न्यूज़ के एडीटर-इन-चीफ बेन स्मिथ ने सत्या नडेला से बात की. इस दौरान नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक सवाल पूछा गया.सरकार के साथ जो कंपनियां डील करती हैं उनपर काफी दबाव रहता है, मुझे लगता है कि भारत में नागरिकता संशोधन एक्ट पर जारी विरोध के बीच आपकी उस सरकार (भारत सरकार) को लेकर चिंताएं बढ़ी होंगी, कि वो डाटा का किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं?
जवाबः इस पर नडेला ने कहा कि मेरा बचपन भारत में ही बीता है, जहां पर मैं बड़ा हुआ..जिस माहौल में बड़ा हुआ उस पर मैं पूरी तरह से गर्व करता हूं. मुझे लगता है कि वो एक ऐसी जगह है जहां पर हम दिवाली, क्रिसमस साथ में मिलकर मनाते हैं. लेकिन मुझे लगता है जो हो रहा है बुरा हो रहा है… भारत में जो हो रहा है, वो बहुत दुखद है. उन्होंने कहा कि मैं देश (भारत) में एक बांग्लादेशी अप्रवासी को करोड़ों डॉलर की टेक कंपनी बनाने में मदद करते देखना या इंफोसिस का सीईओ बनते देखना पसंद करूंगा.
सत्या नडेला ने कहा, ‘हालांकि, मैं ये नहीं कह रहा हूं कि किसी देश को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, बॉर्डर पर कुछ नहीं करना चाहिए. वहां की सरकार और लोग इस बारे में जरूर सोचेंगे, क्योंकि इमिग्रेशन एक बड़ा मुद्दा है. ये यूरोप और भारत में बड़ी बात है. इसके साथ कौन कैसे डील करता है? ये सोचने वाली बात है. नडेला के इस बयान का प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने समर्थन किया है.
नडेला ने अपनी बात समझाने के लिए खुद का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि वह अगर ग्लोबल कंपनी के सीईओ बन पाए हैं और अगर उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल पाई है तो इसका श्रेय उन्हें भारत में टेक्नॉलजी तक मिली पहुंच और अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी को जाता है.
उन्होंने समावेशी भारतीय संस्कृति का भी जिक्र किया और कहा कि बाजार की ताकतों और उदरावादी मूल्यों के कारण ही पूंजीवाद को बल मिला है, यह भारत की सरकार अच्छी तरह समझ रही होगी, उन्हें यह उम्मीद है.
माइक्रोसॉफ्ट की सफाई
हर देश को अपने बॉर्डर, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रवासी पॉलिसी को तय करने का अधिकार है. लोकतंत्र में सरकारें और देश की जनता ऐसे मुद्दों पर बात करके अपना फैसला लेती है. मैं भारतीय मूल्यों के आधार पर बड़ा हुआ हूं…जो कि एक मल्टीकल्चर भारत था और अमेरिका में भी मेरा प्रवासी अनुभव ऐसा ही रहा है.
भारत के लिए मेरी आकांक्षा है कि वहां पर कोई भी प्रवासी आकर एक अच्छा स्टार्ट अप, बड़ी कंपनी की अगुवाई करने का सपना देख सके. जिससे भारतीय समाज और इकॉनोमी को फायदा पहुंचे.