हिमालय पर अचानक नए-नए पौधे क्यों उगने लगे हैं?
<figure> <img alt="एवरेस्ट क्षेत्र के खुंबू घाटी में वन" src="https://c.files.bbci.co.uk/F2F2/production/_110449126_veg_change_ama_dablam_background.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Karen Anderson</footer> <figcaption>पहले के शोधों में नीचे की ऊंचाई में पेड़ों की श्रृंखला का विस्तार दिखाया गया है</figcaption> </figure><p>हाल में हुए एक शोध के मुताबिक़, एवरेस्ट क्षेत्र सहित पूरे हिमालय की ऊंचाइयों पर नए पौधे उग रहे हैं. </p><p>शोधकर्ताओं ने बताया कि […]
<figure> <img alt="एवरेस्ट क्षेत्र के खुंबू घाटी में वन" src="https://c.files.bbci.co.uk/F2F2/production/_110449126_veg_change_ama_dablam_background.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Karen Anderson</footer> <figcaption>पहले के शोधों में नीचे की ऊंचाई में पेड़ों की श्रृंखला का विस्तार दिखाया गया है</figcaption> </figure><p>हाल में हुए एक शोध के मुताबिक़, एवरेस्ट क्षेत्र सहित पूरे हिमालय की ऊंचाइयों पर नए पौधे उग रहे हैं. </p><p>शोधकर्ताओं ने बताया कि ये पौधे उन ऊंचाइयों पर बढ़ रहे हैं जहां वो पहले नहीं उगते थे.</p><p>शोधकर्ताओं ने 1993 से 2018 तक ट्री-लाइन और स्नो-लाइन के बीच वनस्पति के विस्तार को मापने के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग किया.</p><p>इस शोध के नतीजे <a href="https://onlinelibrary.wiley.com/doi/full/10.1111/gcb.14919">जर्नल ग्लोबल चेंज बायोलॉजी</a> में प्रकाशित हुए हैं.</p><p>इस शोध का मुख्य विषय था सबनाइवल इलाके यानी उपनाइवल मेखला में उगने वाले पेड़ पौधों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना. उपनाइवल मेखला ट्री-लाइन और स्नोलाइन के बीच के इलाक़े को कहते हैं, यानी बर्फ से ढकी जगह और पेड़ पौधे उग सकने वाली जगह के बीच की जगह.</p><p>इस जगह पर अधिकतर छोटे पौधे और घास ही उगती है.</p><p>रिपोर्ट के प्रमुख अध्ययनकर्ता और ब्रिटेन में एक्सेटर विश्वविद्यालय के डॉ करेन एंडरसन ने बताया, "वनस्पति बढ़ने का सबसे प्रमुख ट्रेन्ड 5,000 मीटर और 5,500 मीटर के ऊंचाई के बीच देखा गया था."</p><p>"अधिक ऊंचाई पर, चपटे क्षेत्रों में विस्तार अधिक था जबकि निचले स्तरों पर यह ढलान वाले जगहों पर अधिक था."</p><p>ये शोध नासा के लैंडसैट उपग्रह चित्रों के आधार पर किया गया है जिसमें 4,150 मीटर और 6,000 मीटर ऊंचाइयों को चार भागों में बांटा गया था. इसमें पूर्व में म्यांमार से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान तक हिंदू कुश हिमालय के अलग-अलग स्थानों को कवर किया गया. </p><figure> <img alt="एवरेस्ट क्षेत्र के खुंबू घाटी में वन" src="https://c.files.bbci.co.uk/50FA/production/_110503702_7ed4a68f-c4d1-4332-89d5-e5a11b0956d1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Karen Anderson</footer> <figcaption>एवरेस्ट क्षेत्र के खुंबू घाटी में वन</figcaption> </figure><p><strong>वनस्पति में वृद्धि </strong></p><p>अध्ययन में हिमालय क्षेत्र के सभी ऊंचाई श्रेणियों में वनस्पति में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. </p><p>हिमालय में ग्लेशियरों और जल प्रणालियों पर काम करने वाले अन्य शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने भी वनस्पति के विस्तार की पुष्टि की है.</p><p>नीदरलैंड में उट्रेचट यूनिवर्सिटी में भूविज्ञान संकाय से संबद्ध प्रो. वाल्टर इमर्ज़ील ने बताया "एक्सेटर यूनवर्सिटी का शोध गर्म और आर्द्र जलवायु में क्या होगा, इसकी संभावनाओं से मेल खाता है." प्रो. वाल्टर इमर्ज़ील अध्ययन में शामिल नहीं थे.</p><p>उन्होंने बताया "यह एक बहुत ही संवेदनशील ऊंचाई वाला इलाका है जहाँ पर स्नोलाइन है. इस ज़ोन में उच्च ऊंचाईयों से निकलने वाली स्नोलाइन से वनस्पति को बढ़ने का मौका मिलता है."</p><p>हालांकि इस शोध में ये नहीं बताया गया है कि ऊंचाईयों में वनस्पतियों के उगने के क्या कारण हैं.</p><p>अन्य शोधों में पता चला है कि हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु-प्रेरित वनस्पति बदलाव के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं.</p><p>नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय में बॉटनी विभाग के असिस्टन्ट प्रोफ़ेसर अच्युत तिवारी ने कहा, "हमने नेपाल और चीन के तराई क्षेत्रों में तापमान में वृद्धि के साथ ट्री-लाइन का विस्तार पाया है." </p><p>"अगर निचले इलाक़ों में ये संभव है तो स्पष्ट रूप से उच्च ऊंचाई पर भी तापमान में वृद्धि होने पर पौधों पर प्रतिक्रिया होगी."</p><p>हिमालय पर नियमित रूप से जाने वाले कुछ वैज्ञानिकों ने वनस्पति विस्तार की इस तस्वीर की पुष्टि की है.</p><p>तिवारी का शोध "ट्री-लाइन डायनामिक इन द हिमालय" डेनड्रोक्रोनोलोजिया नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है. </p><p><strong>'</strong><strong>कॉलोनाइज़र</strong><strong>'</strong><strong> पौधे</strong></p><p>करीब 40 सालों से नेपाल में स्थित हिमालय का फील्ड अध्ययन करने वाले एक वनस्पति इकॉलजिस्ट एलिज़ाबेथ बायर्स ने बताया कि "पौधे अब वास्तव में उन क्षेत्रों में बढ़ रहे हैं, जहां कभी ग्लेशियर की चादर हुआ करती थी."</p><p>उन्होंने कहा "कुछ स्थानों पर जहां कई साल पहले साफ-बर्फ़ के ग्लेशियर थे, अब वहां मलबे से ढके पत्थर हैं और उन पर आपको काई, शैवाल और फूल भी नज़र आते हैं."</p><figure> <img alt="हिमालय" src="https://c.files.bbci.co.uk/A8BA/production/_110449134_delphiniumglaciale_ngozumpaglacieratgokyo_20170818_elizabethbyers-55.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Elizabeth A. Byers</footer> <figcaption>उच्च हिमालय के कुछ स्थानों पर इस तरह से फूलों के पौधे देखने को मिलते हैं.</figcaption> </figure><p>इन ऊंचाईयों में पौधों के बारे में बहुत कम जानकारी मौजूद है क्योंकि अधिकांश वैज्ञानिक अध्ययनों को बढ़ते तापमान के कारण पीछे हटते ग्लेशियरों और ग्लेशियर झीलों के विस्तार पर केन्द्रित रखा गया है. </p><p>शोधकर्ताओं का कहना है कि हिमालय की उंचाईयों में वनस्पति पर विस्तृत अध्ययन के लिए यह जानना जरूरी है कि पौधे मिट्टी और बर्फ़ के साथ कैसे संपर्क करते हैं और किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं.</p><p>एंडरसन पूछती हैं कि, "सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि इलाक़े में जल विज्ञान (जल के गुणों) के लिए वनस्पति में इस बदलाव का क्या अर्थ है?"</p><p>उन्होंने कहा "क्या इससे ग्लेशियर और बर्फ की चादरों के पिघलने की गति थमेगी या फिर इस प्रक्रिया में तेज़ी आएगी?"</p><figure> <img alt="हिमालय" src="https://c.files.bbci.co.uk/1588D/production/_110450288_saussureagossypifera_ngozumpaglacieratgokyo_20170818_elizabethbyers-104.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Elizabeth A. Byers</footer> <figcaption>वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक ऊंचाई पर बर्फबारी की कमी से वनस्पति बढ़ी है.</figcaption> </figure><h3>पानी का असर</h3><p>उट्रेचट यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रोफेसर इमर्ज़ील इस बात से सहमत हैं कि यह एक महत्वपूर्ण जांच साबित होगा. </p><p>वो कहते हैं कि जल विज्ञान संबंधी निहितार्थों का अध्ययन करना भी दिलचस्प होगा क्योंकि अधिक ऊँचाई पर अधिक वनस्पति का मतलब अल्पाइन कैचमेंट से अधिक वाष्पीकरण है. </p><p>वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें पानी भूमि से वायुमंडल में स्थानांतरित होता है. ऐसा तापमान बढ़ने के कारण भी होता है और इसलिए नदी में पानी का प्रवाह भी कम होता है. </p><p>हिंदू कुश हिमालयी क्षेत्र पूर्व में म्यांमार से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान तक आठ देशों में फैला हुआ है. इस क्षेत्र के 140 करोड़ से अधिक लोग पानी के लिए इस पर निर्भर हैं. </p><p><strong>ये भी पढ़ेंः</strong></p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2015/05/150509_nepal_earthquake_himalaya_hight_sink_rd?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भूकंप से ‘घट गई’ हिमालय की ऊंचाई</a></li> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2015/05/150501_nepal_epicentre_ps?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आबादी</a></li> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2015/01/150119_vert_tra_hidden_ladakh_du?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हिमालय में छिपे लद्दाख़ के नौ नज़ारे!</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>