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देविंदर सिंह को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने की खबरों पर क्या बोली जम्मू-कश्मीर पुलिस? #SOCIAL

<p> भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथियों की सहायता करने के आरोप में गिरफ़्तार पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को क्या राष्ट्रपति से वीरता पुरस्कार मिला था?</p><p>अख़बारों, टेलीविज़न और दूसरे समाचार माध्यमों के अलावा सोशल मीडिया पर ये ख़बर चर्चा का विषय बनी हुई है. दावा किया जा रहा है कि निलंबित पुलिस उपाधीक्षक देविंदर सिंह रैना […]

<p> भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथियों की सहायता करने के आरोप में गिरफ़्तार पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को क्या राष्ट्रपति से वीरता पुरस्कार मिला था?</p><p>अख़बारों, टेलीविज़न और दूसरे समाचार माध्यमों के अलावा सोशल मीडिया पर ये ख़बर चर्चा का विषय बनी हुई है. दावा किया जा रहा है कि निलंबित पुलिस उपाधीक्षक देविंदर सिंह रैना को केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफ़ारिश पर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.</p><p>देविंदर सिंह को शनिवार को कुलगाम ज़िले के मीर बाज़ार से गिरफ़्तार किया गया था. देविंदर श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटी हाइजैकिंग यूनिट में तैनात थे.</p><p>लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस ने देविंदर को केंद्रीय गृह मंत्रालय से पुरस्कार मिलने की ख़बरों का खंडन किया है.</p><p>मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ट्वीट किया, &quot;ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि उपाधीक्षक देविंदर सिंह को केंद्रीय गृह मंत्रालय से वीरता पुरस्कार नहीं मिला है, जैसा कि कुछ मीडिया संस्थान और लोग दावा कर रहे हैं.&quot;</p><p>जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा, &quot;देविंदर को सिर्फ़ एक ही वीरता पुरस्कार मिला है और वो उन्हें साल 2018 में स्वतंत्रता दिवस के दिन पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य ने सम्मानित किया गया था. ये पुरस्कार उन्हें 25/26 अगस्त 2017 में पुलवामा पुलिस लाइन पर हुए चरमपंथी हमले में हुई मुठभेड़ में दिखाई बहादुरी के लिए दिया गया था. उस वक्त वो पुलिस लाइन पुलवामा में बतौर उपाधीक्षक तैनात थे.&quot;</p><figure> <img alt="भारतीय सुरक्षा बल" src="https://c.files.bbci.co.uk/176BA/production/_110503959_e2581114-448c-4edb-83fe-8acb2c8b8c8c.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कई घंटों तक चली इस मुठभेड़ में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई जवानों की मौत हुई थी. इसके अलावा मुठभेड़ में तीन चरमपंथी भी मारे गए थे.</p><p>जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि विशेष जाँच दल यानी एसआईटी देविंदर सिंह और गिरफ़्तार अन्य दो चरमपंथियों से पूछताछ कर रही है. </p><h1>कौन हैं देविंदर सिंह</h1><p>57 साल के देविंदर सिंह 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ चलाए गए अभियान के दौरान प्रमुख पुलिसकर्मियों में रहे हैं.</p><p>देविंदर सिंह भारत प्रशासित कश्मीर के त्राल इलाक़े के रहने वाले हैं जिसे चरमपंथियों का गढ़ भी कहा जाता है. कश्मीर में मौजूदा चरमपंथ का चेहरा रहे शीर्ष चरमपंथी कमांडर बुरहान वानी का भी संबंध त्राल से था.</p><p>डीएसपी देविंदर सिंह के कई सहकर्मियों ने बीबीसी को बताया कि वो ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों (जैसे बेक़सूर लोगों को गिरफ्तार करना, उनसे मोटी रक़म लेकर रिहा करना) में शामिल रहे हैं लेकिन हर बार वो नाटकीय ढंग से इन सब आरोपों से बरी हो जाते थे.</p><p>एक अधिकारी ने आरोप लगाया कि देविंदर सिंह ने 1990 के दशक में एक शख़्स को भारी मात्रा में अफीम के साथ गिरफ़्तार किया था लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया और अफीम बेच दी. उस मामले में भी उनके ख़िलाफ़ जांच शुरू हुई लेकिन जल्द ही इसे बंद कर दिया गया.</p><p>देविंदर के माता-पिता और उनका 14 साल का बेटा दिल्ली में रहते हैं. उनकी दो बेटियां बांग्लादेश में रहकर मेडिकल साइंस की पढ़ाई कर रही हैं.</p><p>जम्मू, दिल्ली और कश्मीर में उनकी संपत्तियों की जाँच की जा रही है लेकिन उनके सहकर्मियों का कहना है कि चरमपंथियों की ओर से धमकियां मिलने के बाद वो पॉश कॉलोनी संत नगर से इंदिरा नगर शिफ्ट हो गए थे. पुलिस अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि चरमपंथी अब फोर्स में घुसपैठ करने में कामयाब हो गए हैं.</p><figure> <img alt="अफ़ज़ल गुरु (फ़ाइल फोटो)" src="https://c.files.bbci.co.uk/1018A/production/_110503956_02632e32-fd0b-4e19-bfbc-696f5ecbf23c.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>देविंदर सिंह के साथ पकड़े गए दो चरमपंथियों में से एक नावीद, पूर्व पुलिसकर्मी हैं. नावीद साल 2012 में पुलिस में भर्ती हुए थे और साल 2017 में बड़गाम में एक पुलिस चौकी से पांच राइफल्स लेकर फरार हो गए थे.</p><p>तमाम सारे विवादों के बीच देविंदर सिंह का 30 साल का पुलिस करियर संसद पर हुए चरमपंथी हमले के आसपास घूम रहा है. हालांकि अफ़ज़ल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के पांच दिन बाद सामने आए पत्र को लेकर किसी तरह की जांच नहीं की गई.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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