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पटना के कॉलेज में बुर्क़े पर रोक की सच्चाई क्या

<figure> <img alt="बिहार के पटना का जेडी कॉलेज" src="https://c.files.bbci.co.uk/842C/production/_110663833_img_20200127_141757-01.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi /BBC</footer> </figure><p>बिहार के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले जेडी वीमेंस कॉलेज में शुक्रवार को प्रबंधन की ओर से जारी एक नोटिस ने विवाद पैदा कर दिया है. </p><p>विवाद इस बात का है कि लड़कियां बुर्के में कॉलेज जाएं या नहीं! […]

<figure> <img alt="बिहार के पटना का जेडी कॉलेज" src="https://c.files.bbci.co.uk/842C/production/_110663833_img_20200127_141757-01.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi /BBC</footer> </figure><p>बिहार के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले जेडी वीमेंस कॉलेज में शुक्रवार को प्रबंधन की ओर से जारी एक नोटिस ने विवाद पैदा कर दिया है. </p><p>विवाद इस बात का है कि लड़कियां बुर्के में कॉलेज जाएं या नहीं! </p><p>जेडी वीमेंस कॉलेज प्रबंधन के नोटिस के मुताबिक़, &quot;अब से कॉलेज कैंपस और क्लास में बुर्का पहनने पर रोक लगा दी गई है. छात्राओं के लिए कॉलेज के ड्रेस कोड में आना अनिवार्य है. जो इस नियम को तोड़ेगा उसे 250 रूपए का जुर्माना देना होगा. केवल शनिवार को लड़कियां कोई भी ड्रेस पहन सकती हैं.&quot;</p><p>नोटिस जारी होने के अगले दिन यानी शनिवार तक यह सोशल मीडिया पर सर्कुलेट होने लगा, और थोड़ी देर में ये वायरल हो गया. </p><p>उसी दिन कुछ मुसलमान छात्राओं ने कैंपस में इसका विरोध करना शुरू किया. हालांकि उस दिन नोटिस का नियम प्रभावी नहीं था, इसलिए प्रबंधन ने मामला बढ़ता देख छात्राओं से बात करके स्थिति पर क़ाबू पा लिया. </p><p>शनिवार की शाम तक यह ख़बर नेशनल मीडिया की सुर्ख़ियों में शामिल हो चुकी थी. छात्राओं ने नियम वापस नहीं लेने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी. </p><p>अचानक जारी हुए ऐसे सख़्त आदेश वाले नोटिस पर कुछ स्थानीय मुसलमान संगठनों ने भी ऐतराज़ जताया. कॉलेज प्रबंधन पर एक ख़ास धर्म से जुड़ी संस्कृति को निशाना बनाने के आरोप लगने लगे. </p><p>विरोध और दबाव बढ़ता देख प्रबंधन ने उसी दिन शाम को नोटिस वापस ले लिया. एक नया नोटिस जारी कर दिया गया जिसमें से केवल बुर्के वाली बात हटा ली गई. बाक़ी के नियम समान थे. </p><p><strong>क्या अब कॉलेज में बुर्का </strong><strong>पहनने पर पाबंदी है</strong><strong>? </strong></p><figure> <img alt="बिहार का जेडी कॉलेज" src="https://c.files.bbci.co.uk/687A/production/_110664762_img_20200127_142250-01.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi /BBC</footer> </figure><p>सोमवार की सुबह कॉलेज खुलने के समय हम वहां ये ज़ायजा लेने पहुंचे कि बुर्के को लेकर हुए विवाद के बाद से कैंपस का माहौल क्या है? </p><p>कॉलेज के गेट पर ही कैंपस के भातर से बाहर आती चार छात्राएं हमें बुर्के में दिख गईं. सभी जेडी वीमेंस कॉलेज की ही ग्रेजुएशन के फर्स्ट इयर की छात्राएं थीं. </p><p>उन छात्राओं से हमने कॉलेज में जारी नए नोटिस के बारे में सवाल किया. </p><p>उनका कहना था, &quot;हां, हमने भी इसके बारे में सुना है. लेकिन इससे हम लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. हम ड्रेस कोड में आएं हैं. बुर्क़ा पहनना हमारे रिवाज़ में शामिल है. इससे कोई कैसे रोक सकता है.&quot;</p><p>हमने पूछा, क्या कॉलेज में प्रवेश करने पर उन्हें किसी ने नहीं टोका? उन्होंने बताया &quot;नहीं, हम लोग तो हमेशा से ही बुर्क़ा पहन कर आते रहे हैं. ये नया नहीं है जो हमें टोका जाएगा.&quot; </p><p>कैंपस में अंदर प्रवेश के साथ ही कई और भी छात्राएं बुर्के़ में दिखीं. बड़े आराम से बुर्क़ा पहने छात्राएं कैंपस में घूम रही थीं. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि पिछले दिन यहां बुर्के़ को लेकर विवाद हुआ है. </p><p>एक छात्रा जिन्होंने अपना नाम यासमीन बताया, पहले दिन से कॉलेज के इस आदेश का विरोध कर रही हैं.</p><p>वो कहती हैं, &quot;नोटिस से बुर्क़ा शब्द केवल हटा लेने से क्या बदल जाएगा. हम ये नहीं चाहते थे कि केवल नोटिस वापस ले लिया जाए. प्रबंधन को अपनी ग़लती के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए. हमारी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के लिए यह जानबूझकर किया गया था.&quot;</p><p>यासमीन ये भी कहती हैं कि &quot;क्लासरूम में पहुंचने पर छात्राएं वैसे भी बुर्क़ा निकाल लेती हैं. लेकिन कैंपस में पहनने से किसी को क्या दिक्कत है?&quot;</p><figure> <img alt="बिहार का जेडी कॉलेज" src="https://c.files.bbci.co.uk/B69A/production/_110664764_888f6d6b-6021-46d8-92d6-e578774be7f8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi /BBC</footer> </figure><h3>बुर्क़े के अलावा और भी हैं मसले</h3><p>कॉलेज के कैंपस में हमें दर्जनों छात्राएं दिखीं जो बुर्के़ में थीं. यासमीन के साथ उनकी सहेलियां अफ़साना और शाहीन भी थीं. </p><p>अफ़साना कहती हैं, &quot;यहां की हिंदू लड़कियों को इससे कोई दिक्कत नहीं है. फिर भी कॉलेज प्रबंधन को इससे परेशानी है. क्या आपने कभी सुना है कि हिन्दू-मुसमलान लड़कियों के बीच कभी बुर्के़ को लेकर कोई विवाद हुआ है. अगर प्रबंधन खु़द ऐसा करेगा तो इसका मतलब वह खु़द ही विवादों में रहना चाह रहा है.&quot; </p><p>जेडी वीमेंस कॉलेज से बीबीए कर रहीं छात्रा अनन्या के मुताबिक़ &quot;किसी को क्या पहनना चाहिए या क्या नहीं पहनना चाहिए, ये उसका व्यक्तिगत मसला होना चाहिए.&quot;</p><p>वो कहती हैं, &quot;मुझे नहीं पता ये क्यों हो रहा है लेकिन ये पहली बार हो रहा है. मुझे यहां पर तीन साल हो गए हैं. पहले भी लड़कियां बुर्क़ा पहन कर आती रही हैं. हालांकि कॉलेज का ड्रेस कोड हमेशा से नियम में रहा है. लेकिन बुर्क़ा पहनने को लेकर कभी कोई नियम नहीं बना.&quot;</p><figure> <img alt="बुर्क़ा" src="https://c.files.bbci.co.uk/BFFA/production/_110664194_5c4e5f03-f693-4bcd-ae3f-000bba8f4c56.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>छात्राओं की कॉलेज प्रबंधन से और भी शिकायतें हैं. मसलन हाल ही में पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के पीजी के छात्रों की कक्षाएं महिला कॉलेज में शुरू कर दी गई थीं. बाद में विरोध के कारण कक्षाएं स्थगित कर देनी पड़ी. </p><p>छात्राओं ने यह भी बताया कि पिछले सप्ताह हॉस्टल की ऊपर की छत पर बाहर का एक लड़का चढ़ आया और लड़कियों को परेशान कर रहा था. विरोध के बाद उसे वहां से भगाया गया. </p><p>अनन्या कहती हैं, &quot;कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को जो करना चाहिए वो तो कर नहीं रहा है, जो नहीं करना चाहिए, वो कर रहा है.&quot;</p><h3>क्या कहता है कॉलेज प्रबंधन?</h3><p>इस पूरे प्रकरण में सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर कॉलेज प्रबंधन को ऐसा नोटिस जारी ही क्यों करना पड़ा? </p><p>यह पता करने के लिए हम पहुंचे कॉलेज की प्रिंसिपल श्यामा राय के दफ्तर में. प्रिंसपल के पीओ कहते हैं, &quot;आप क्यों इतनी देर से आए हैं बात करने के लिए. सब मीडिया वाले लोग उसी दिन आकर गए.&quot;</p><p>दफ्तर की महिला दरबान कहती हैं, &quot;ये उतनी बड़ी बात तो नहीं है कि ख़बर हो. आजकल हिन्दू लड़कियां भी बुर्क़ा से कम मुंह बांध कर थोड़े चलती हैं!&quot; </p><p>ख़ैर कुछ देर बाद प्रिंसिपल साहिबा से मुलाक़ात हुई. उन्होंने कहा, &quot;हमारे यहां यूनिफॉर्म का नियम साल 1971 से ही लागू है. ये कोई नई बात नहीं थी. लेकिन लोगों को उसमें केवल बुर्क़ा दिखा, इसलिए बाद में हमने वो शब्द ही हटा लिया.&quot;</p><figure> <img alt="जेडी कॉलेज की प्रिंसिपल श्यामा रॉय" src="https://c.files.bbci.co.uk/1A5A/production/_110664760_img_20200127_141003.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi /BBC</footer> <figcaption>जेडी कॉलेज की प्रिंसिपल श्यामा रॉय</figcaption> </figure><p>लेकिन सवाल ये है कि नोटिस में बुर्क़ा शब्द लिखने की जरूरत ही क्यों पड़ी? क्या केवल ड्रेस कोड का ज़िक्र कर देने से बात नहीं बन रही थी?</p><p>प्रिंसपल श्यामा रॉय बोलीं, &quot;क्योंकि आजकल ज्यादा लड़कियां बुर्क़ा पहन कर आने लगी थीं. ड्रेस कोड का नियम फॉलो नहीं हो रहा था.&quot;</p><p>आगे वो कहती हैं, &quot;इस पूरे मामले को विवादित बना दिया गया है. हमारा ये मकसद नहीं था. हमने तो क्लास में एकरूपता बनाने के लिए ऐसा किया. नियम की जानकारी भले ही आज नोटिस जारी करके दी गई है, मगर इसकी घोषणा छात्राओं के एडमिशन के समय ही कर दी गई थी. प्रवेश लेने के समय छात्राओं से पहले ही कह दिया जता है कि कॉलेज कैंपस में ड्रेस कोड का सख्ती से पालन होना चाहिए.&quot;</p><p>तो क्या यह नियम अब भी लागू है? प्रिंसपल ने जवाब दिया, &quot;बिल्कुल है.&quot;</p><p>लेकिन कॉलेज कैंपस में हमें कई छात्राएं बुर्के़ में दिखीं. हमसे हुई बातचीत में वो कॉलेज के इस नियम का विरोध भी कर रही थीं. </p><p>हमारे कहने पर श्यामा राय ने तुरंत अपने एक सहायक को देखने के लिए भेजा. और फिर हमसे कहा, &quot;वो हमारे कॉलेज की स्टूडेंट नहीं होंगी. आज यहां एक प्रोग्राम भी है इसलिए हो सकता है बाहर से लड़कियां आई हों.&quot; </p><figure> <img alt="बिहार का जेडी कॉलेज" src="https://c.files.bbci.co.uk/148BC/production/_110665148_41ab0356-3802-457e-b493-b91152b3712a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshi /BBC</footer> </figure><p>कॉलेज में लड़कियों को बुर्क़ा क्यों नहीं पहनना चाहिए?</p><p>इस पर प्रिंसिपल साहिबा कहती हैं, &quot;जहां सारी लड़कियों की जमात है, वहां कुछ लड़कियां बुर्क़ा लगाएंगी तो ज़ाहिर ये अहसास बना रहेगा कि अमुक लड़की का धर्म अलग है, अमुक का समुदाय अलग. हम इस भेद को ख़त्म करना चाहते थे.&quot;</p><h3>क्या कहता है नियम और क्या कहते हैं जानकार?</h3><p>जहां तक बात कॉलेजों में ड्रेस कोड की है तो केवल जेडी वीमेंस कॉलेज ही नहीं बल्कि पटना के दूसरे कॉलेजों में भी यह व्यवस्था लागू है. </p><p>लेकिन यूजीसी की गाइडलाइन्स के अनुसार कॉलेजों के ड्रेस कोड का नियम बनाने पर रोक लगी हुई है. </p><p>एस पूरे मामले पर शिक्षाविद और समाजशास्त्री डीएम दिवाकर कहते हैं, &quot;यूजीसी एक एडवाइज़री बॉडी है. अगर कॉलेज यूनिवर्सिटी से इसका अप्रूवल लेकर आएंगे तो ड्रेस कोड लागू कर सकते हैं. लेकिन इसकी भी एक प्रक्रिया है. कॉलेज को वजह बताने पड़ते हैं.&quot;</p><p>जेडी वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल ने बुर्क़ा पर रोक लगाने की वजह क्लास और कैंपस में एकरूपता बनाने के साथ-साथ वुमेन सेफ्टी भी बताई थीं. </p><p>डीएम दिवाकर ने इस पर कहा, &quot;उच्च शिक्षा के स्तर पर ऐसा नियम बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस स्तर पर छात्रों के अंदर खुद यह चेतना आ जाती है कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं. कॉलेज कैंपस मिलिट्री का बेस कैंप, नहीं है जहां अनुशासन सिखाने के लिए नियम बनाए जाते हैं.&quot; </p><p>वो कहते हैं, &quot;ये जानबूझकर किया गया लगता है ताकि कॉलेज की असल कमियों को इन विवादों में छुपाया जा सके.&quot; </p><p>&quot;सेशन लेट, क्लास न होना, शिक्षकों की कमी पर कोई बात ही नहीं कर पहा है. मुझे लगता है कि यह आजकल का ट्रेंड बन गया है. देश में भी यही हाल है.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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