कोरोना से लड़ता चीन : जारी है महामारी रोकने की कोशिश
सीमाओं से बाहर निकलकर दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में फैल चुका है. इसे रोकने के लिए चीन पुरजोर कोशिश कर रहा है तथा अन्य देशों में बचाव और इलाज के उपायों पर ध्यान दिया जा रहा है. सैकड़ों लोगों को ग्रास बना चुके वायरस से चीन और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी भारी […]
सीमाओं से बाहर निकलकर दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में फैल चुका है. इसे रोकने के लिए चीन पुरजोर कोशिश कर रहा है तथा अन्य देशों में बचाव और इलाज के उपायों पर ध्यान दिया जा रहा है. सैकड़ों लोगों को ग्रास बना चुके वायरस से चीन और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान कीआशंका है. स्वास्थ्य सेवा से संबंधित अनेक कमजोरियों के बावजूद चीन बड़े पैमाने पर संसाधन मुहैया करा रहा है. अमेरिका समेत कुछ जगहों पर टीका और दवाई विकसित करने का प्रयास भी हो रहा है. महामारी की मौजूदा हालत और चीन की कार्रवाई पर आधारित इन-दिनों की प्रस्तुति…
चीन ने दस दिन में तैयार किया अस्पताल
जानलेवा कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन के वुहान शहर में दस दिनों के भीतर एक विशेष अस्पताल ‘हुओशेनशान’ का निर्माण किया गया है.
इस अस्पताल का निर्माण कार्य 23 जनवरी को शुरू हुआ था जो दो फरवरी को पूरा हो गया. तीन फरवरी से यहां वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया है. चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, इस अस्तपाल के निर्माण के लिए सात हजार लोग, जिनमें बढ़ई, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम शामिल थी, दिन-रात लगे रहे. 60,000 वर्ग मीटर में फैले इस अस्पताल में एक हजार बेड के साथ तीस इंटेंसिव केयर वार्ड तैयार किये गये हैं. इस अस्पताल में चौदह सौ सैन्य चिकित्सक, नर्स तथा अन्य कर्मी भेजे गये हैं.
सरकार के अनुसार, इन चिकित्सा कर्मियों में कुछ को सार्स समेत अन्य महामारियों से निपटने का अनुभव भी है. यह अस्पताल उन दो अस्थायी अस्पतालों में से एक है जिन्हें वुहान के अस्पतालों में मरीजों की अधिकता को देखते हुए बनाया गया है.
इस शहर में एक दूसरा अस्पताल भी तैयार किया जा रहा है जिसमें सोलह सौ बेड की सुविधा होगी. गौरतलब है कि कोराना वायरस चीन के वुहान शहर से ही फैलना शुरू हुआ है. इस शहर की आबादी एक करोड़ दस लाख है. वुहान शहर में युद्धस्तर पर विशिष्ट अस्पताल तैयार करने का यह दूसरा मामला है. इससे पहले 2003 में जब यहां सार्स का प्रकोप फैला था, तब संक्रमण ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए एक सप्ताह में विशिष्ट अस्पताल का निर्माण किया गया था.
दुनियाभर में सामने आये संक्रमण के 30 हजार से अधिक के मामले
73 लोगों की मृत्यु हो गयी चीन में कोरोना वायरस से छह फरवरी को, शुक्रवार (सात फरवरी)को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार. गुरुवार को हुई 73 मौतों में 69 अकेले हुबेई प्रांत में हुई, जो इस महामारी का केंद्र है.
636 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं चीन में अब तक इस महामारी से आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार.
618 लोग अकेले हुबेई प्रांत में अपनी जान गंवा चुके हैं अब तक, हुबेई प्रांत के स्वास्थ्य आयोग के अनुसार. इस प्रांत में गुरुवार को संक्रमण के 2,447 नये मामले सामने आये.
31203 कोराेना वायरस के मामले अब तक चीन में सामने आ चुके हैं चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक. 6 फरवरी को देश में संक्रमण के 3,143 नये मामलों की पुष्टि हई,
लेकिन राहत की बात यह है कि इसमें लगातार दूसरे दिन गिरावट जारी रही.
1568 संक्रमण ग्रस्त
लोग अबतक स्वस्थ हो चुके हैं चीन में.
31526 मामले दुनियाभर में सामने आ चुके हैं कोराना वायरस के.
638 लोगों की कुल मौत हुई है दुनियाभर में इस महामारी से.
25 मामले सामने आये हैं हांगकांग में वारयस से संक्रमण के और इससे एक व्यक्ति के मृत्यु की पुष्टि हुई है, मकाउ में दस व ताइवान में सोलह मामले सामने आये हैं. एशिया के बाकी देशों में 204 मामले सामने आ चुके हैं और एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है. 68 मामले सामने आये हैं यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के बाकी हिस्सों से इस वायरस से संक्रमण के.
स्रोत : चीनी एनएचसी, आधिकारिक मीडिया व अन्य प्राधिकरण
राहत के उपाय
कोरोना वायरस के कारण प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने के लिए चीन ने कर छूट से लेकर वित्तपोषण की लागत में कटौती जैसे अनेक अल्पकालिक उपाय किये हैं.
पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने चीन के वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर इस वायरस से बचाव के संसाधनों जैसे मास्क और स्टरलाइजर (वायरस को निष्क्रिय करनेवाले उपकरण) के आपूर्तिकर्ताओं को सहायता प्रदान करने के साथ ही दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए तीन सौ अरब युआन (43 बिलियन डॉलर) का एक विशेष कोष स्थापित किया है. इन आपूर्तिकर्ताओं के लिए खर्च की वास्तविक लागत 1.6 प्रतिशत से कम होगी. मंत्रालय ने वायरस से संबंधित उत्पादों की आपूर्ति, वितरण और परिवहन के लिए मूल्य वर्धित कर में छूट भी प्रदान की है.
इस प्रकोप से लड़ने के लिए छह फरवरी तक, चीनी सरकार केंद्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर 66.7 अरब युआन की व्यवस्था कर चुकी थी, जिसमें 28.4 अरब खर्च भी किये जा चुके हैं. सरकार ने यह भी कहा है कि इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होनेवाले उद्योगों (परिवहन, रेस्तरां, होटल और पर्यटन) के करों को वह कुछ मामलों में कम करके शून्य तक कर देगी.
चीन का खाद्य बाजार है संक्रमण फैलने की वजह
चीन से फैली कोरोना वायरस नामक बीमारी दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले चुकी है. हाल के वर्षों में संक्रमण से फैलने वाली सीवियर एक्यूट रेसपिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) और बर्ड फ्लू जैसी कई बीमारियां चीन से दुनियाभर में फैली हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर संक्रमण से होने वाली घातक बीमारियां चीन से ही क्यों फैल रही हैं? विशेषज्ञों की मानें तो इन नये-नये संक्रमण के चीन से फैलने का प्रमुख कारण वहां का खाद्य बाजार है. चीन में कई तरह के जानवरों के मांस बिकते हैं. इन मांस को खाने के कारण अलग-अलग तरह के वायरस मनुष्यों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और संक्रमण फैलाते हैं.
आवागमन तथा आयोजनों पर लगी रोक
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के प्रयास में वुहान शहर में आने और वहां से जाने पर पाबंदी लगा दी गयी है. यह शहर चीन का पांचवां सबसे बड़ा शहर है और इसकी आबादी 1.10 करोड़ है, जो न्यूयॉर्क से 30 लाख अधिक है.
यह कदम ब्रिटेन द्वारा लंदन को अलग-थलग करने जैसा है. इसके अलावा 16 अन्य शहरों में भी आवागमन पर रोक लगायी गयी है. ऐसे में लगभग पांच करोड़ लोग देश-दुनिया से लगभग कट गये हैं. चीन में नये साल की छुट्टियां चल रही हैं. इस दौरान देश के भीतर साल का सबसे अधिक प्रवासन होता है. करीब 40 दिनों की इस छुट्टी में लोग अपने परिवार के साथ समय बिताने या घुमने-फिरने के लिए यातायात के विभिन्न माध्यमों से देशभर में यात्राएं करते हैं. कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए सरकार ने नये साल के अवकाश की अवधि भी बढ़ा दी है. वुहान शहर नदियों द्वारा तीन जिलों में बंटा हुआ है.
बड़ी संख्या में लोग एक हिस्से में रहते हैं और दूसरे हिस्से में काम करते हैं. शहर के भीतर आने-जाने पर रोक से वुहान एक तरह से ठप पड़ा हुआ है. हालांकि महामारी रोकने के प्रयास वुहान और आसपास के शहरों में केंद्रित हैं, परंतु चीन के अन्य हिस्सों में भी वायरस का जोर लगातार बढ़ने से उन इलाकों में भी वुहान जैसे कदम उठाये जा रहे हैं. हांगकांग सरकार ने भी सांस्कृतिक और घूमने-फिरने की सुविधाओं- खेल-कूद, समुद्री तट, शिविर, पुस्तकालय, संग्रहालय और कला प्रदर्शन की जगहों- को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है ताकि वायरस का फैलाव न हो. शंघाई के डिज्नीलैंड पार्क को भी बंद किया गया है.
हुबेई प्रांत, जहां से इस वायरस का प्रसार शुरू हुआ है, और अन्य प्रभावित इलाकों में मैक्डोनाल्ड के हजारों रेस्त्रां भी बंद हैं. चीन के सबसे बड़े खेल आयोजनों में से एक लीग ऑफ लीजेंड्स की तारीखें भी आगे बढ़ा दी गयी हैं. सिनेमाघरों को बंद करने के फैसले से 70 हजार से अधिक थियेटर प्रभावित हुए हैं. आम तौर पर छुट्टी का समय होने से थियेटरों, रेस्त्रांओं और होटलों की बड़ी कमाई होती थी, जिसके ऊपर इस दफा ग्रहण लग गया है. वुहान में इस साल होनेवाले टोक्यो ओलंपिक के महिला फुटबॉल टूर्नामेंट में जगह पाने के लिए चार टीमों की स्पर्धा होनी थी. अब ये मैच ऑस्ट्रेलिया में होंगे.
इन फैसलों के साथ संवेदनशील इलाकों से बहुत दूर शेंजेन में होनेवाले हुवै के सम्मेलन को भी टाल दिया गया है तथा मार्च में चीन की राजधानी बीजिंग में प्रस्तावित डेफकॉन चाइना सम्मेलन को भी रद्द किया गया है. चीन ने ऐसे सम्मेलनों के आयोजन पर छह माह की रोक लगा दी है.
दांव पर लगी है चीन की नेेतृत्व क्षमता
जनवरी के आखिरी दिनों में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए पूरा दम लगाने की घोषणा के साथ ही चीनी सरकार ने देश को संदेश दिया था कि महामारी रोकने की कोशिश में देरी के लिए वुहान शहर व हुबेई प्रांत के स्थानीय अधिकारी जिम्मेदार हैं.
केंद्रीय नेतृत्व ने महामारी पर काबू पाने के लिए एक शीर्षस्थ समूह का गठन किया है, जिसकी अगुवाई चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग कर रहे हैं. वे न केवल देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण कर आम लोगों से मिल रहे हैं, बल्कि संचार माध्यमों के जरिये देश को कोरोना के खिलाफ लामबंद करने के लिए लगातार संदेश भी प्रसारित कर रहे हैं.
महामारी से लड़ने के लिए चीनी सरकार ने जिस व्यापक स्तर पर प्रयास किया है, वह उसके लिए परीक्षा का भी अवसर है तथा इससे उसके कामकाज के बारे में भी जानकारी मिलती है. केंद्रीकृत नियंत्रण और अधिकार के साथ जनता को एकजुट करना सिर्फ चीन में ही संभव हो सकता है. जानकारों का कहना है कि चीन जिस स्तर पर कोरोना से लड़ रहा है, वह आधुनिक चीनी इतिहास में अभूतपूर्व है.
चीन का केंद्रीकृत शासन भी ऐसी महामारी का एक कारण है. नौकरशाही का आलम यह है कि स्थानीय प्रशासन नये वायरस के बारे में सूचना तब तक जारी नहीं कर सकता है, जब तक उसे कई चरणों में ऊपर से मंजूरी नहीं मिल जाती है. चीन की राजनीतिक संस्कृति में आलोचना को आमंत्रित करनेवाली या नकारात्मक छवि बनानेवाली सूचनाओं को दबाने की प्रवृत्ति भी है.
जनवरी के तीसरे सप्ताह में वुहान के अधिकारियों ने 40 हजार परिवारों को नये साल की दावत की मंजूरी दी और शहर में आवाजाही पर रोक के कुछ दिन पहले ही शहर में अधिक पर्यटक जुटाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के दो लाख से अधिक मुफ्त पास बांटे गये थे. यह सब तब हुआ था, जब स्थानीय प्रशासन को यह जानकारी थी कि कोरोना वायरस से पीड़ित होने के दर्जनों मामले हैं और यह संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है.
इस रवैये में बदलाव तभी आया, जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आदेश जारी किया कि वायरस पर पूरे दम-खम से काबू पाना है और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं की प्राथमिकता लोगों के जीवन और उनके शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा होनी चाहिए. फिलहाल कोरोना की रोकथाम पर चीनी नेतृत्व की क्षमता और उसकी छवि का भविष्य निर्भर है. चीन के साथ समूची दुनिया बीजिंग को देख रही है.
डाक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं अस्पताल
नवंबर, 2002 से जुलाई, 2003 के बीच सार्स से चीन समेत 29 देशों में 774 लोगों की मौत हुई थी. इक्कीसवीं सदी की पहली महामारी के रूप में चिन्हित इसकी शुरुआत भी चीन से हुई थी. उसके बाद चीन ने अपनी स्वास्थ्य प्रणाली, शोध और अनुसंधान में बड़े पैमाने पर सुधार किया था, लेकिन कोरोना वायरस के ताजा मामले में व्यापक स्तर पर राहत व बचाव मुहैया कराने की कोशिशों के बावजूद अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे हैं तथा लोगों को लंबी कतारों में परेशान होना पड़ रहा है.
सार्स से 100 लोगों की मौत होने और चार माह गुजरने के बाद चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को महामारी की सूचना दी थी, लगभग उसी तरह से इस बार भी कुछ देरी हुई है. ग्रामीण इलाकों में बीमा की सुविधा सीमित होने से लोगों को इलाज के लिए अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है. अधिक वेतन के लिए ज्यादातर डॉक्टर शहरों में काम करना चाहते हैं. संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों में प्रशिक्षण की कमी भी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चीन में औसतन 10 हजार लोगों के लिए दो डॉक्टरों की उपलब्धता है.
विशेषज्ञों की संख्या तो बहुत ही कम है. वुहान में इस बीमारी की शुरुआत में डॉक्टरों के यहां भारी भीड़ थी और अस्पतालों में कम बिस्तर होने से कई संक्रमित रोगियों को भर्ती नहीं किया जा सका था. यातायात पर रोक और एंबुलेंस कम होने से अस्पताल पहुंचना अनेक मामलों में बहुत मुश्किल भी रहा.
डॉक्टरों व मरीजों के बीच भरोसे की कमी भी चीन की बड़ी समस्या है. अच्छे इलाज की उम्मीद में वहां कई जगहों पर रोगी द्वारा नगदी देने की परंपरा है. दवा कंपनियों से रिश्वत लेने के बड़े मामले भी उजागर हो चुके हैं. चिंता की बात है कि संसाधनों की कमी से अनेक विकसित और विकासशील देश जूझ रहे हैं तथा इस महामारी का सामना करने की ठोस तैयारी गिने-चुने देशों में ही है.
इन महामारियों ने ली हजारों की जान
छठी शताब्दी में लगभग पचास वर्षों तक यूरोप में प्लेग ने काफी तबाही मचायी थी. कई इतिहासकार मानते हैं कि रोमन साम्राज्य के पतन का एक कारण इस महामारी का फैलना भी था. रोमन साम्राज्य में व्यापार के लिए जानेवाले जहाजों के जरिये दूर-दराज के शहरों तक प्लेग पहुंचा और पूरे साम्राज्य को अपनी चपेट में ले लिया.
चौदहवीं सदी में प्लेग की महामारी ने यूरोप की एक चौथाई आबादी की जान ले ली थी. चीन से आनेवाले जहाज में चूहे होने की वजह से यूरोप में प्लेग फैला था. एक अनुमान के अनुसार, इस दौरान यूरोप में ढाई करोड़ से अधिक लोग प्लेग का शिकार हुए थे.
भारत और चीन में भी प्लेग ने कहर ढाया था. वर्ष 1889 के दशक में, चीन के सिल्क रूट के जरिये ब्रिटिश भारत में प्लेग का संक्रमण पहुंचा था. 19वीं सदी के अंत में प्लेग का कहर पूरे ब्रिटिश भारत में फैल गया और तकरीबन एक करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1959 तक प्लेग का संक्रमण भारत में रहा, लेकिन उसका असर काफी कम हो चुका था.
वर्ष 2018 में चमगादड़ के कारण निपाह वायरस केरल में फैला था. इस संक्रमण के सात सौ से अधिक मामले केरल में दर्ज किये गये थे और सरकारी आंकड़ों के अनुसार सत्रह लोगों की मौत हुई थी.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2019 में कांगों में इबोला वायरस के तीन हजार से अधिक मामले दर्ज किये गये थे और दो हजार से अधिक लोगों की जान चली गयी थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, चेचक से कांगो में अब तक छह हजार लोगों की मौत हो चुकी है.
अफ्रीकी देशों में फैली एड्स की महामारी ने दुनिया का ध्यान इस बीमारी से जुड़े खतरे की तरफ दिलाया था. वर्ष 2005 से 2012 का समय एड्स संक्रमण के लिहाज से काफी खतरनाक माना गया था. वर्ष 2007 के अंत तक पूरी दुनिया में तीन करोड़ से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित पाये गये थे.
इन देशों ने वापस बुलाये अपने नागरिक
भारत ने एक और दो फरवरी को दो विमानों के जरिये अपने 647 और मालदीव के सात नागरिकों को वुहान से वापस बुला लिया. वुहान से वापस लाये गये इन लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों की निगरानी में रखा गया है. भारत के अलावा अमेरिका, श्रीलंका और अन्य देशों ने भी अपने नागरिकों को वुहान से वापस बुला लिया है. जबकि पाकिस्तान ने वुहान में फंसे अपने नागरिकों को वापस बुलाने से इंकार कर दिया है.
संक्रमण से गयी डॉ ली वेनलियांग की जान गयी
चीन के वुहान शहर के एक अस्पताल में काम करने वाले 34 वर्षीय डॉक्टर ली वेनलियांग, को छह फरवरी की देर रात (चीनी समय के अनुसार शुक्रवार की सुबह 2.58 बजे) वुहान सेंट्रल हाॅस्पिटल ने मृत घोषित कर दिया. एक दिन पहले ही ली के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी. ली उन डॉक्टरों में से एक थे, जिन्होंने चीन में कोराना वायरस फैलने के बारे में सबसे पहले चेताया था. ली ने दिसंबर में ही अपने दोस्तों को काेरोना वायरस के प्रकोप को लेकर सचेत किया था. तब गलत सूचना फैलाने के लिए पुलिस ने ली को फटकार लगायी थी.