हाल में जनता दल यूनाइटेड से निकाले गए प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है.
उन्होंने कहा कि विकास के तमाम मापदंडों पर बिहार जहां 2005 में था, वहीं आज है. 15 सालों में विकास तो हुआ है लेकिन कैसा विकास हुआ है, कि सड़कें बन गई हैं लोगों के पास गाड़ी खरीदने की सुविधा नहीं बढ़ी. बिजली आ गई लेकिन बिजली खपत के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई, क्योंकि प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से बिहार आज भी सबसे ग़रीब राज्य बना हुआ है.
उन्होंने कहा, "मैं ये नहीं कहूंगा कि बीते पंद्रह सालों में बिहार में विकास नहीं हुआ है लेकिन अगर आप दूसरे राज्यों से तुलना करें तो रफ़्तार उतनी नहीं रही है. बिहार साल 2005 में सबसे ग़रीब राज्यों में था और अभी भी वहीं है. विकास की रैकिंग में भी बिहार अब भी सबसे नीचे ही है."
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘नीतीश जी हमेशा लालू जी के राज से तुलना करके कहते हैं कि बिजली नहीं थी, बिजली आ गई. पटना छह बजे बंद हो जाता था, आज 10 बजे बंद होता है. लेकिन वे कब तक लालू जी के राज से तुलना करते रहेंगे.’
प्रशांत किशोर ने बिहार के पिछड़ेपन के लिए भी नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने बिहार के विकास के मुद्दे पर नीतीश कुमार को खुली चर्चा की चुनौती भी दी.
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पटना में प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि वह बिहार में चुनाव लड़ने या लड़ाने नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि वो अभी किसी पार्टी की घोषणा करने या कोई राजनीतिक गठबंधन बनाने यहां नहीं आए हैं.
नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को मज़बूत नेता कि ज़रूरत है कि ऐसे नेता कि नहीं जो किसी का पिछलग्गू हो.
हालांकि अपनी बात शुरू करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वो नीतीश कुमार को पिता तुल्य मानते हैं.
प्रशांत किशोर ने कहा, "नीतीश से मेरे रिश्ते अच्छे रहे हैं, मेरे दिल में उनके प्रति गहरा सम्मान हैं."
प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि नीतीश कुमार से उनके वैचारिक मतभेद हैं.
उन्होंने कहा, "जो गांधी की विचारधारा का समर्थन करते हैं वो गोडसे के समर्थकों के साथ खड़े नहीं हो सकते."
बिहार आने का अपना एजेंडा बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "मुझे ऐसे लड़को को तैयार करना है जो इस बात में यक़ीन रखते हैं कि बिहार दस साल में देश के अग्रणी राज्यों में कैसे खड़ा हो. इस विचारधारा से जो सहमत हैं, जो अपने जीवन के दो चार साल इस उद्देश्य में लगाना चाहते हों, मैं ऐसे युवाओं को जोड़ने आया हूं. मेरा मक़सद बिहार में निचले स्तर पर राजनीतिक चीज़ों को सुदृढ़ करना है. "
अपने इस अभियान को प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ का नाम दिया है.
प्रशांत किशोर ने कहा, मैं अपना मक़सद स्पष्ट कर रहा हूं. इसे आप अपनी स्वतंत्रता के हिसाब से किसी भी नेता के साथ जोड़ सकते हैं. आप केजरीवाल, राहुल गांधी या सुशील मोदी, जिसके साथ चाहें उसके साथ जोड़ सकते हैं."
प्रशांत किशोर को पार्टी से निकालते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में रखा था.
गांधीवादी विचारों का असर
इस बारे में पूछे गए प्रश्न पर किशोर ने कहा, "उन्हें झूठ का सहारा लेना पड़ रहा है लेकिन मैं तो कहता हूं जो नीतीश ने कहा आप उसी को सच मान लीजिए. आप मान लीजिए मैं अमित शाह के कहने पर ही रखा गया था."
प्रशांत किशोर ने कहा, "कोई व्यक्ति अगर कहता है कि वह बिहार को नंबर एक बना देगा तो वह आपको बेवकूफ़ बना रहा है, ये संभव ही नहीं है, क्योंकि अगर आप तरक्की कर रहे हैं तो दूसरे राज्य भी तरक्की कर रहे हैं. जो बिहार का नेता बनना चाहते हैं उन्हें बिहार को ये बताना चाहिए कि अगले दस साल में वह बिहार को देश के अग्रणी राज्यों के मुक़ाबले कहां खड़ा करेंगे."
सीएए और एनआरसी के बारे में पूछे गए सवाल पर किशोर ने कहा, "बिहार में सीएए एनपीआर एनआरसी लागू नहीं होगा, मैं शुक्रगुज़ार हूं कि नीतीश कुमार ने भी ये बात कही है. "
उन्होंने कहा, "सीएए पर अदालत का फ़ैसला आने दीजिए, जिस दिन बिहार में एक भी व्यक्ति को इसकी धाराओं के अंतरगत नागरिकता दे दी जाएगी, उस दिन मैं मानूंगा कि बिहार में सीएए लागू हो गया है. सीएएए, एनपीआर, एनआरसी मौजूदा स्वरूप में स्वीकार्य नहीं है, एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर मैं इसका विरोध करूंगा."
अपनी विचारधारा के बारे में पूछे गए सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं गांधीवादी विचारधारा को मानता हूं. उन्होंने कहा, "मैं समतावादी मानवतावाद को मानता हूं जो गांधी की विचारधारा से प्रेरित है."
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