आजाद भारत में भूख से मरने को अभिशप्त

जलपाईगुड़ी : आजादी के बाद भी लोग रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजों का जुगार नहीं कर पा रहे है. इस भ्रष्टाचारी व्यवस्था से तो अंग्रेजों का गुलाम भारत ठीक था. ऐसा जुलपाईगुड़ी के कठालगुड़ी चाय बगान की घटना को देखकर कहना पड़ रहा है. डुवार्स के बंद कठालगुड़ी चाय बागान में फिर से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:47 PM

जलपाईगुड़ी : आजादी के बाद भी लोग रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजों का जुगार नहीं कर पा रहे है. इस भ्रष्टाचारी व्यवस्था से तो अंग्रेजों का गुलाम भारत ठीक था. ऐसा जुलपाईगुड़ी के कठालगुड़ी चाय बगान की घटना को देखकर कहना पड़ रहा है.

डुवार्स के बंद कठालगुड़ी चाय बागान में फिर से दो मजदूरों की मौत की खबर से बागान में सनसनी फैल गयी. शनिवार रात को जलपाईगुड़ी जिला सदर अस्पताल में रवि महाली (30) की इलाज के दौरान मौत हो गयी. वहीं इसी रात को बागान के क्वार्टर में बबिता उरांव (35) की बिना इलाज के ही मौत हो गयी.

बीते 15 दिनों में बागान के कुल पांच मजदूर मारे गये. जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी जगन्नाथ सरकार ने बताया कि बागान में फिर से मेडिकल टीम भेजा जा रहा है. बागान के प्रोग्रेसिव टी वर्कर्स यूनियन के नेता महेश्वरी महाली ने बताया कि काफी दिनों से बागान बंद रहने के कारण खाद्यान्न के अभाव व टीबी बीमारी से पीड़ित होकर बबिता उरांव की मौत हो गयी.

कुपोषण व बिना इलाज से बागान के चारोआलाइन के मजदूर बिप्ती उरांव (40) व डिवीजन लाइन की महिला मजदूर सीमानी मुंडा (22) व हाटखोला लाइन के मजदूर गंजु उरांव (54) की मौत हो गयी. वर्ष 2002 में कठालगुड़ी चाय बागान बंद हो गया था. 2010 को बागान को फिर से खोला गया था.

लेकिन मजदूरों के असंतोष का कारण दिखाकर 14 मई को बागान प्रबंधन ने ससपेंशन ऑफ वर्कर्स नोटिस लटका कर बागान को फिर से बंद कर दिया. 29 मई को बागान को लेकर आहुत त्रिपक्षीय बैठक में मालिक पक्ष की गैर मौजूदगी में कोई फैसला नहीं हो पाया.

Next Article

Exit mobile version