याददाश्त खोने के बाद जीने के गुर

ऐमा ट्रेसी बीबीसी न्यूज़ मस्तिष्क की चोट से पीड़ित और कुछ हद तक याददाश्त खो चुकी एक महिला ने चोट के बाद के अपने जीवन का वृतांत लिखा है ताकि उनके पति को बार-बार उन्हें वही बातें बतानी न पड़ें. एक सड़क दुर्घटना में सिर पर चोट लगने के बाद महिला छह हफ़्ते तक कोमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2014 11:45 AM

मस्तिष्क की चोट से पीड़ित और कुछ हद तक याददाश्त खो चुकी एक महिला ने चोट के बाद के अपने जीवन का वृतांत लिखा है ताकि उनके पति को बार-बार उन्हें वही बातें बतानी न पड़ें.

एक सड़क दुर्घटना में सिर पर चोट लगने के बाद महिला छह हफ़्ते तक कोमा में थीं और जब उन्हें होश आया, तब उन्हें बीते दो सालों के बारे में कुछ याद नहीं था.

चोट से उबर रहीं महिला को अब फिर से कई बातें सीखनी पड़ रही हैं और अपने अनुभवों को उन्होंने एक किताब की शक्ल दी है.

किताब का नाम है ‘डायरी ऑफ़ ए हैडकेस’ जिसे महिला ने ख़ुद ही छपवाया है.

इस वृतांत में चिकित्सीय जानकारी भी है और महिला को उम्मीद है कि ये किताब और और लोगों के लिए फ़ायदेमंद साबित होगी.

पढ़िए विस्तार से

इस महिला को हम फ़ाएज़ा सिद्दीक़ी के नाम से बुलाएंगे हालांकि ये उनका असली नाम नहीं है.

फ़ाएज़ा की किताब, “डायरी ऑफ़ ए हैडकेस’’ में उनके निजी अनुभवों के साथ ही चिकित्सीय किताबों में इस तरह की मस्तिष्क की चोट के बारे दी गई जानकारी भी है.

उन्होंने किताब को अपने असली नाम के साथ नहीं छापा है क्योंकि इसमें चोट के बाद उनकी सेक्स-लाइफ़ के बारे में भी जानकारी है.

चोट लगने के पांच साल बाद फ़ाएज़ा ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया. उनकी बच्ची चार महीने की है.

दुर्घटना

फ़ाएज़ा इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड शहर में एक सेकंडरी स्कूल में फ़िज़िक्स पढ़ाती थीं. साल 2009 में एक शनिवार की सुबह उनकी गाड़ी एक वैन में जा भिड़ी.

32 साल की फ़ाएज़ा को सिर में गंभीर चोटें आईं जिसकी वजह से उनके मस्तिष्क के फ़्रंटल लोब को नुक़सान हुआ है.

फ़ाएज़ा ग़लत दिशा में गाड़ी चला रही थीं. लेकिन ये कहना मुश्किल है कि उनके मस्तिष्क पर चोट का असर हुआ है या फिर दुर्घटना से पहले ही दिमाग़ में कुछ बदलाव आ गए थे.

छह हफ़्ते तक कोमा में रहने के बाद जब फ़ाएज़ा को होश आया तो उन्हें बीते दो सालों के बारे में कुछ भी याद नहीं था.

सिद्दीक़ी की तबियत में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है और वो कई बातें फिर से सीख रही हैं.

मस्तिष्क को हुए नुक़सान की वजह से न सिर्फ़ उनकी याददाश्त पर असर पड़ा है बल्कि वे एक हाथ का बहुत सीमित इस्तेमाल कर पाती हैं.

फ़ाएज़ा सिद्दीक़ी ने अपने पति बेन की मदद से बीबीसी के आउच कार्यक्रम से बात की.

पेश हैं बातचीत के अंश

क्या मस्तिष्क की चोट की वजह से मां होना मुश्किल होता है?

एनाबेल अच्छी तरह सोती है जो मेरे लिए अहम है क्योंकि जब मैं थक जाती हूं तो थोड़ी सी अजीब हो जाती हूं. मैं सीधा नहीं चल पाती, मेरा संतुलन बिगड़ जाता है और मैं उलटे-सीधे फ़ैसले करने लगती हूं. विकलांगता से जुड़े सारे फ़ोरम कहते हैं कि शिशु ख़ुद को ढाल लेते हैं. ऐनाबेल भी समझ गई है कि मैं उसे गिराऊंगी नहीं लेकिन मुझे उसे थोड़ा कस कर पकड़ना पड़ता है.

क्या मस्तिष्क की चोट ने आपको बदल दिया है?

ये एक मुश्किल सवाल है. क्या बदलाव इसलिए आया है क्योंकि मेरे दिमाग़ पर चोट लगी है या फिर इस जीवन-बदलने वाले अनुभव की वजह से मैं बदल गई हूं? मेरी याददाश्त पहले से ज़्यादा ख़राब हो गई है और मुझे ख़ुद को दिलाना पड़ता है कि मैं एक ही चीज़ या बात बार-बार कर या कह रही हूं.

आपने डायरी ऑफ़ ए हेडकेस क्यों लिखी?

जब मैं बेन से अपनी ज़िंदगी के बारे में पूछती थी तो वह खीज जाता था क्योंकि वो मुझे उस बारे में पहले भी बता चुका होता था. उसने मुझे प्रोत्साहित किया कि मैं इस सब के बारे में लिखूं. अब मुझे वाक़यों से ज़्यादा उनके बारे में अपनी किताब के अंश ज़्यादा याद रहते हैं. लेकिन किताब लिखने से मुझे अपनी यादों को परिपेक्ष में रखने में मदद मिली है.

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