दोस्ती की खातिर जॉब पकड़ कर न रखें

।। दक्षा वैदकर ।। शाश्वत पिछले पांच साल से एक कंपनी में काम कर रहा था. वह इतना प्रतिभाशाली था कि उसके काम की तारीफ ऑफिस में ही नहीं, बल्कि बाहर भी हो रही थी. यही वजह थी कि उसे बार-बार दूसरी कंपनियों से ऑफर आ रहे थे. उसे वह जॉब ऑफर अच्छे भी लग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2014 8:28 AM
।। दक्षा वैदकर ।।
शाश्वत पिछले पांच साल से एक कंपनी में काम कर रहा था. वह इतना प्रतिभाशाली था कि उसके काम की तारीफ ऑफिस में ही नहीं, बल्कि बाहर भी हो रही थी. यही वजह थी कि उसे बार-बार दूसरी कंपनियों से ऑफर आ रहे थे.
उसे वह जॉब ऑफर अच्छे भी लग रहे थे, लेकिन वह उन्हें मना कर देता. वजह बस एक थी, वह अपने वर्तमान ऑफिस के माहौल से खुश था. उसे डर था कि उसके ये सारे दोस्त, जो साथ में काम करते हैं, वे छूट जायेंगे. वह खुद को तसल्ली देता था कि भले ही इस कंपनी में सैलरी कम मिल रही है, लेकिन यहां के दोस्त मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.
एक दिन इन दोस्तों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया. ग्रुप बंट गया. कोई किसी की सुनने को तैयार नहीं था. दोस्तों ने एक-एक कर जॉब छोड़ना शुरू कर दिया. पूरा ग्रुप चंद महीनों में टूट गया. ऑफिस में बच गया सिर्फ शाश्वत. जिन कंपनियों को उसने मना कर दिया था, वे भी अब उसे दूसरा मौका नहीं दे रहे थे.
शाश्वत ऑफिस में अब दूसरे कर्मचारियों के साथ काम करते हुए सोच रहा था कि काश, उसने उन नौकरियों को ‘ना’ नहीं कहा होता और मौका रहते यह नौकरी छोड़ देता, तो शायद यह दिन देखना नहीं पड़ता. सबसे बड़ी बात यह थी कि जिन दोस्तों के लिए वह इतने साल कम सैलरी में ही यह नौकरी करता रहा, झगड़े के दौरान उन दोस्तों का एक अलग ही चेहरा सामने आया.
झगड़े में उन्होंने पुरानी दिल में दबी ऐसी बातें कहीं, जिन्हें सुन कर शाश्वत हिल गया. उसे आश्चर्य हुआ कि मैं इन लोगों को अपना दोस्त मानता था? खैर अब शाश्वत के पास तो कोई नौकरी का ऑफर नहीं है, लेकिन आप इस कहानी से सीख जरूर ले सकते हैं.
अगर आप किसी कंपनी में केवल इस वजह से जॉब कर रहे हैं, क्योंकि यहां आपके दोस्त हैं. नयी कंपनी इसलिए नहीं ज्वॉइन कर रहे, क्योंकि आपको डर है कि वहां के लोग कैसे होंगे, तो इस भ्रम से जल्दी बाहर निकलें. दोस्ती अपनी जगह होती है और नौकरी अपनी जगह. यदि वे लोग आपके सच्चे दोस्त होंगे, तो वे नौकरी बदलने के बाद भी आपसे उतना ही संपर्क में रहेंगे, जितना अभी रहते हैं.
बात पते की..
– स्कूल के दोस्त, कॉलेज के दोस्त, जॉब के दोस्त.. सब बदलते जाते हैं. जो सच्चे दोस्त हैं, वो आपसे हमेशा जुड़े रहेंगे, भले ही आप कहीं भी रहें.
– दोस्ती की वजह से खुद के कैरियर को एक जगह बांध कर न रखें. अच्छे अवसर बार-बार दरवाजे पर दस्तक नहीं देते. उसे यूं हाथ से न जाने दें.

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