वह गलती न करें जो मेढक ने की

।। दक्षा वैदकर ।। ‘बॉयलिंग फ्रॉग सिन्ड्रॉम’. कई लोग इसके बारे में जानते हैं और कई लोग नहीं, इसलिए इसे आज यहां शेयर कर रही हूं. ये प्रयोग हम सभी को एक बेहतरीन सीख देता है. पहले जान लें कि ये है क्या? आपको बता दें कि मेढक के अंदर यह क्वालिटी होती है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2014 11:31 AM
।। दक्षा वैदकर ।।
‘बॉयलिंग फ्रॉग सिन्ड्रॉम’. कई लोग इसके बारे में जानते हैं और कई लोग नहीं, इसलिए इसे आज यहां शेयर कर रही हूं. ये प्रयोग हम सभी को एक बेहतरीन सीख देता है. पहले जान लें कि ये है क्या? आपको बता दें कि मेढक के अंदर यह क्वालिटी होती है कि वह अपने आसपास के तापमान में खुद को बड़ी आसानी से एडजस्ट कर लेता है. प्रयोग के लिए अब हम मेढक को पानी से भरे बर्तन में रख देते हैं और पानी को धीरे-धीरे गरम करना शुरू करते हैं.
बहुत देर तक तो मेढक धीरे-धीरे गरम होते पानी में खुद को एडजस्ट करता जाता है और तापमान को सहन कर लेता है, लेकिन एक पॉइन्ट ऐसा आता है, जब उसे अहसास होता है कि वह अब सहन नहीं कर सकता. ऐसा सोचते ही वह बर्तन से बाहर निकलने की कोशिश करता है, लेकिन चूंकि उसने अपनी पूरी ऊर्जा खुद को पानी में एडजस्ट करने में गंवा दी थी, वह बाहर निकल नहीं पाता और मर जाता है.
हम सभी इस मेढक की तरह है. हम कई तरह के लोगों के साथ, कठिन परिस्थितियों में एडजस्ट करने की कोशिश करते हैं. यह ठीक भी है, लेकिन हमें यह पता होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में एडजस्ट करना है और कब इसका सामना करना है. कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब यह जरूरी हो जाता है कि हम सहन करने की बजाय एक्शन लें. कई लोग अजीब और विकट परिस्थितियों को सहन करते रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि एक दिन सब ठीक हो जायेगा और जब उन्हें यह अहसास होता है कि कुछ ठीक नहीं हो रहा, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
दोस्तों, इस बात को गांठ बांध लें. अगर हम लोगों को खुद को भावनात्मक रूप से, शारीरिक रूप से और आर्थिक रूप से लगातार तकलीफ पहुंचाने देंगे, तो उनका प्रोत्साहन और ज्यादा बढ़ता जायेगा. वे हमें कमजोर समङोंगे. ऐसे में हमें तुरंत जंप लेना चाहिए. जंप इतनी जल्दी लें कि आपके अंदर जंप लेने की ताकत बची रहे. अपनी जंप लेने की ऊर्जा को बचा कर रखें और मेढक जैसी गलती न करें.
बात पते की..
– अगर एक-दो बार कोई आपको परेशान करें, चोट पहुंचाएं, धोखा दे, तो भले ही उसे माफ कर दें, लेकिन कई बार करे, तो तुरंत एक्शन लें.
– जिस तरह लोगों के साथ अन्याय करना गुनाह, ठीक उसी तरह अन्याय सहना भी गुनाह है. आवाज उठाएं, वरना आपको लोग हल्के में ले लेंगे.

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