सदियों पुराने वंशज फिर से हुए एक
पटना:सदियों पुराने वंशजों ने एक बार फिर बिहार की धरती पर एक साथ होकर छात्रों और युवाओं में कोरियाई संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया. एनआइटी, पटना में देश के इस प्रकार के दूसरे इंस्टीट्यूट को शुरू करने के लिए नयी दिल्ली स्थित कोरियन कल्चरल सेंटर के […]
पटना:सदियों पुराने वंशजों ने एक बार फिर बिहार की धरती पर एक साथ होकर छात्रों और युवाओं में कोरियाई संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया. एनआइटी, पटना में देश के इस प्रकार के दूसरे इंस्टीट्यूट को शुरू करने के लिए नयी दिल्ली स्थित कोरियन कल्चरल सेंटर के निदेशक और दूतावास अधिकारी किम ज्ञोम प्येओंग विशेष रूप से पटना पहुंचे हुए थे.
एनआइटी, पटना के निदेशक अशोक डे एवं किम ज्ञोम प्येओंग ने मिल कर इस सेंटर का उदघाटन किया. 11 सितंबर से अब सेंटर में कोरियाई भाषा की पढ़ाई शुरू कर दी जायेगी. सेंटर में ह्ये-चो लाइब्रेरी की भी शुरु आत होगी, जिसके लिए नौ एवं दस अक्टूबर को कोरियाई सिल्क रोड प्रोजेक्ट की टीम पटना आ रही है. लाइब्रेरी में साउथ कोरिया की संस्कृति, भाषा, वैज्ञानिक उपलब्धी एवं अन्य सभी प्रकार की जानकारी के लिए स्टूडेंट्स को किताबें उपलब्ध करायी जायेंगी. किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट का पहला सेंटर दिल्ली स्थित कोरियाई दूतावास में एवं एक अन्य सेंटर चेन्नई में स्थित है.
इस मौके पर डीन एकेडेमिक प्रोफेसर एलबी रॉय और रजिस्ट्रार भी मौजूद थे. हैंडोंग यूनिवर्सिटी और साउथ कोरियाई सरकार से जुड़े प्रोफेसर डेविड ली ने बताया कि अभी सेंटर में दो शिक्षक एवं छह अधिकारी मौजूद होंगे. पूरे विश्व में एनआइटी पटना में शुरू हुआ यह 21वां कल्चरल सेंटर है.
कोरियाई संस्कृति की दी
जायेगी जानकारी इस सेंटर में एनआइटी स्टूडेंट्स एवं अन्य युवाओं को कोरियाई भाषा के साथ ही वहां की संस्कृति, संगीत, खेल-कूद, नृत्य, मार्शल आर्ट का ज्ञान दिया जायेगा. फिलहाल सिर्फलैंग्वेज क्लास ही होंगे शुरू किये जायेंगे लेकिन आने वाले समय में हर महीने सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे.
शोध को मिलेगा बढ़ावा
कोरियाई सरकार की टीम बिहार की प्रगति एवं यहां शोध को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी. प्रोफेसर डेविड ली ने कहा कि कोरियाई शोध टीम राज्य में जन संसाधन, स्वच्छता, शिक्षा, उद्यम, पर्यावरण एवं अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ मिलकर शोध करेगी. इन सभी क्षेत्रों में शोध कार्य जल्द शुरू कर दिये जायेंगे.
वंशज है कोरियाई
लगभग 2000 वर्ष पहले अयोध्या की एक राजकुमारी कोरिया पहुंची थी, जिन्होंने वहां के एक राजा से शादी कर ली थी. आज उनके चार मिलियन वंशज कोरियाई है. किम ज्ञोम प्येओंग ने कहा कि वे भी उसी वंश के है. कोरियाई लोग भारत को पवित्र भूमि के रूप में पूजते है क्योंकि यही पर बुद्ध का जन्म हुआ था. आज कोरिया में लगभग 50 में से 10 मिलियन लोग बुद्ध के अनुयायी है. कल्चरल सेंटर के निदेशक ने बताया कि बचपन में वे पिट्टो, गिल्ली-डंडा एवं कित-कित जैसे खेल खेलते थे, जिसके बारे में बाद में उन्होंने जाना कि यह सभी भारत से आये हुए खेल है.
हुआ कोरियाईसांस्कृतिक कार्यक्रम
इंस्टीट्यूट के उद्घाटन के मौके विशेष रूप से आये हुए कोरियाई स्टूडेंट्स ने पारंपरिक कोरियाई गाने सुनाये. इसके बाद दिल्ली के कोरियन कल्चरल सेंटर से आई हुई एक महिला अधिकारी ने पारंपरिक परिधान में सज कर किसी खास दोस्त के दूर जाने पर उसकी याद में गाया जाने वाला लोकगीत गाया.