रांची : हजारीबाग पुलिस वारंट लेकर पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव का इंतजार करती रही और वह मंगलवार की रात 7.40 बजे गो एयरवेज की फ्लाइट से दिल्ली भाग गये. इससे पहले श्री साव व उनके दो भाइयों धीरेंद्र साव और पवन साव के खिलाफ एसडीजेएम अखिलेश कुमार की अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया. पुलिस ने उनकी खोज में हुरहुरू और पहरा, केरेडारी स्थित आवास में छापेमारी की. इसकी सूचना मिलते ही योगेंद्र साव शाम करीब 6.30 बजे बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचे और दिल्ली के लिए निकल गये. गिद्दी थाने में दर्ज मामले (सं-48/2014) में पूछताछ के लिए हजारीबाग पुलिस ने योगेंद्र साव को नोटिस दिया था.
आवास पर नोटिस चिपकाया था. पूर्व मंत्री सोमवार को पुलिस के समक्ष हाजिर नहीं हुए. उनके बेटे ने पुलिस को पत्र लिख कर एक हफ्ते का समय मांगा. शाम में योगेंद्र साव ने पुलिस को फोन कर बताया कि वह मंगलवार को हाजिर होंगे. पर वह नहीं आये.
* उग्रवादी संगठन बनाने का है आरोप : झारखंड टाइगर ग्रुप के सरगना राजकुमार गुप्ता ने पुलिस को बताया था कि लेवी वसूलने के लिए योगेंद्र साव ने ही उग्रवादी संगठन बनाया था. श्री साव ने मंत्री रहते रांची स्थित अपने सरकारी आवास में राजकुमार गुप्ता को बुला कर टंडवा के उप प्रमुख बबलू मुंडा की हत्या की सुपारी दी थी.
* बातचीत का ऑडियो रिकार्ड मिला : इधर, योगेंद्र साव के चचेरे भाई पवन साव को पुलिस ने एसडीजेएम की अदालत में प्रस्तुत किया, जहां से उसे केंद्रीय कारा भेज दिया गया. पवन की गिरफ्तारी 15 सितंबर को हुई थी. मामले के अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि जेल भेजे गये पवन साव के खिलाफ झारखंड टाइगर ग्रुप के सरगना राजकुमार गुप्ता के साथ मोबाइल पर बातचीत करने का ऑडियो रिकार्ड मिला है.
* पूर्व मंत्री की अनुशंसा पर तबादले की तैयारी
उग्रवादी संगठन चलाने के आरोप में त्याग पत्र दे चुके कृषि मंत्री योगेंद्र साव की अनुशंसा पर तबादले की तैयारी हो रही है. कृषि सचिव ने तबादले की सूची पर मुख्यमंत्री की सहमति के लिए फाइल मुख्य सचिव को भेज दी है. इस सूची में इस्तीफे से एक दिन पहले मंत्री ने 11 अफसरों के नाम जोड़े थे.
श्री साव ने बिन मौसम तबादले का आदेश दिया था. इसके आलोक में पिछले दिनों स्थापना समिति की बैठक हुई थी. स्थापना से 30 अधिकारियों की सूची बनी. मंत्री को सूची पसंद नहीं आयी. इस वजह से दूसरी बार स्थापना की बैठक हुई. इसमें 44 अफसरों की सूची बनी.
सूची मंत्री के पास भेजी गयी. इस बीच मंत्री द्वारा उग्रवादी संगठन चलाने का मामला उजागर हुआ. पर तबादले की यह फाइल मंत्री के पास पड़ी रही. वह अपनी कुर्सी बचाने की कवायद में जुटे रहे. नाकाम होने के बाद 11 सितंबर को यानी त्याग पत्र देने से एक दिन पहले उन्होंने तबादला सूची को अनुमोदित कर दिया और इसमें 11 और के नाम जोड़ दिये.
* आरोपी अफसरों के नाम जोड़े
मंत्री ने अपने स्तर से जिन लोगों के नाम जोड़े, उनमें कई आरोपी हैं. 12 सितंबर को उन्होंने त्याग पत्र दे दिया. इसके बाद से यह फाइल विभाग में पड़ी हुई थी, क्योंकि त्याग पत्र देने के पहले मंत्री द्वारा दिये गये आदेश का अनुपालन उचित नहीं समझा गया. पर, अपरिहार्य कारणों से तबादले की इस फाइल में तेजी आयी. विभागीय सचिव ने तबादला सूची पर मुख्यमंत्री की सहमति लेने के लिए 15 सितंबर को फाइल मुख्य सचिव के पास भेज दी.
– मामले के गोपनीय होने की वजह से इस सिलसिले में किसी तरह की जानकारी नहीं दी जा सकती है.
विष्णु कुमार, कृषि सचिव