आख़िर क्यों चुप हैं नरेंद्र मोदी?

नीरजा चौधरी राजनीतिक विश्लेषक उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज का ये बयान देना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ‘सभी मदरसे आतंकवाद फैला रहे हैं’. किसी भी मदरसे के ख़िलाफ़ बिना किसी प्रमाण के इस तरह की बात करना, नफरत फैलाने का बहुत दुर्भाग्यपूर्ण तरीका है. इसे भले ही चुनाव में भुना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2014 10:38 AM

उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज का ये बयान देना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ‘सभी मदरसे आतंकवाद फैला रहे हैं’. किसी भी मदरसे के ख़िलाफ़ बिना किसी प्रमाण के इस तरह की बात करना, नफरत फैलाने का बहुत दुर्भाग्यपूर्ण तरीका है.

इसे भले ही चुनाव में भुना लिया जाए लेकिन देश और समाज का क्या होगा इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.

पढ़िए: साक्षी महाराज ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री ने इन सब चीज़ों को कई बार बंद करने की बात की है लेकिन जब इस तरह की कोई बात होती है तो उनकी चुप्पी से यह लगता है कि क्या स्थिति उनके नियंत्रण में नहीं है? भाजपा के सांसद उनके नियंत्रण में नहीं हैं या ये दोहरी राजनीति का हिस्सा है?

इस दोहरी राजनीति के तहत प्रधानमंत्री एक व्यापक दृष्टिकोण की बात करेंगे और बाकी लोग पार्टी के लिए चुनाव के मद्देनज़र ध्रुवीकरण करेंगे.

पढ़िए: मदरसा जहाँ वंदे मातरम् गाया जाता है

देश के लोग इन बयानों पर प्रधानमंत्री मोदी की राय जानना चाहेंगे. क्या वे भी इन बयानों से सहमत हैं? कहीं न कहीं प्रधानमंत्री को अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ेगी.

प्रधानमंत्री ने इस बारे में कुछ कहा नहीं तो यही परिणाम निकालना होगा कि ये सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है.

विभाजन रेखा

बार-बार ये चीज़ उठ रही है तो लगता है कि हिंदू-मुसलमानों के बीच ये टकराव क्यों पैदा किया जा रहा है कहीं इसे चुनाव में भुनाने की नीयत तो नहीं है?

पढ़िए: ‘चुनाव नतीजों के दिन लोगों में ख़ौफ़ था’

प्रधानमंत्री ने आधुनिक नेता की तरह भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने की बात कही है लेकिन इस तरह की बात होती रही तो मुसलमानों की इतनी छोटी आबादी नहीं है कि उन्हें समुद्र में फेंक दिया जाए.

लोगों में इन कवायदों को लेकर शक है कि ये क्यों कर रहे यह सब. कुछ लोग हैं जो हिंदू–मुसलमान के बीच स्पष्ट विभाजन रेखा खींचना चाहते हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या नरेंद्र मोदी इस मुहिम का हिस्सा हैं अगर नहीं हैं तो चुप क्यों हैं?

(वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी की संदीप सोनी से बातचीत पर आधारित)

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Next Article

Exit mobile version