डीआइजी ने कहा: वर्ष 2009 में सरेंडर पॉलिसी तैयार होने के बाद सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों और नक्सलियों को पुलिस में नौकरी दी जायेगी. रांची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा और खूंटी में सरेंडर करनेवाले नक्सलियों और उग्रवादियों की संख्या 50 के करीब है. शुक्रवार को 30 लोगों की शारीरिक जांच हुई.
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पहल: डीआइजी की मौजूदगी में हुई नक्सलियों की शारीरिक जांच पुलिस में बहाली की प्रक्रिया शुरू
रांची: पुलिस लाइन में शुक्रवार को सरेंडर करनेवाले नक्सलियों की झारखंड पुलिस में बहाली के लिए शारीरिक जांच हुई. डीआइजी प्रवीण सिंह, एसएसपी प्रभात कुमार और ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कुमार झा की देखरेख में जांच प्रक्रिया पूरी हुई. डीआइजी ने कहा: वर्ष 2009 में सरेंडर पॉलिसी तैयार होने के बाद सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों और नक्सलियों […]
रांची: पुलिस लाइन में शुक्रवार को सरेंडर करनेवाले नक्सलियों की झारखंड पुलिस में बहाली के लिए शारीरिक जांच हुई. डीआइजी प्रवीण सिंह, एसएसपी प्रभात कुमार और ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कुमार झा की देखरेख में जांच प्रक्रिया पूरी हुई.
डीआइजी ने कहा: सरेंडर करनेवाले उग्रवादियों और नक्सलियों के नाम की अनुशंसा झारखंड पुलिस में बहाली के लिए सरकार से की जायेगी. इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. सरेंडर करने वाले उग्रवादियों को पुलिस बहाली के लिए उम्र सीमा और लंबाई में छूट दी जायेगी. यह पूछे जाने पर कि बहाली कब तक होगी, इस पर डीआइजी ने कहा: इस पर अंतिम निर्णय सरकार को लेना है. सरकार से सहमति मिलते ही बहाली की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. बाद में सभी को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
डीआइजी ने कहा है कि पुलिस में नौकरी मिलेगी, लेकिन मेरी उम्र अब नहीं है, इसलिए मेरे बेटे को नौकरी दी जाये. डीआइजी ने कहा कि बेटे को नौकरी देने का प्रावधान नहीं है. मुङो एक ट्रैक्टर सरकार दे.
हिरपादो मुंडा
मैंने 05 अगस्त 2010 को सरेंडर किया था. तब नाबालिग था. अब मैट्रिक पास कर चुका हूं. सरेंडर से पहले और इसके बाद भी पुलिस के लिए काम कर चुका हूं. अब झारखंड पुलिस में बहाल होना चाहता हूं.
सुरेश मुंडा
जेल भी जायेगी टीम : डीआइजी प्रवीण सिंह ने कहा: सरेंडर करनेवाले वैसे नक्सली और उग्रवादी, जो वर्तमान में जेल में बंद हैं. उनकी शारीरिक जांच के लिए अलग से टीम गठित होगी. टीम के सदस्य जेल जाकर शारीरिक जांच करेगी.
सरेंडर के नाम पर ले लिये नक्सलियों के हथियार
रांची: पुलिस लाइन में सरेंडर करनेवाले नक्सलियों और उग्रवादियों को झारखंड पुलिस में नौकरी मिलने की बात सुन डीआइजी प्रवीण सिंह के पास शुक्रवार को 11 लोग पहुंचे. उन्होंने डीआइजी से कहा कि उन्हें एक्स आर्मी मैन बारला बोदरा ने झारखंड पुलिस में नौकरी लगवाने का वादा कर सरेंडर करवाया था. पीटी परेड भी करवाया. इस दौरान कोबरा बटालियन का वरदी तक पहनने दिया गया. लेकिन बाद में सभी को पता चला कि वे धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं.
पीड़ितों ने बताया कि वे सभी माकपा माओवादी और उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ से जुड़े थे. सभी ने हथियार के साथ सरेंडर किया था. हथियार सीआरपीएफ के तीन अफसरों को सौंपा था. इसके बावजूद लाभ नहीं मिला. तब डीआइजी ने कहा: झारखंड पुलिस में नौकरी सिर्फ वैसे युवकों को मिलेगी, जिन्होंने पुलिस के पास सरेंडर किया है.
नक्सलियों और उग्रवादियों के डर से छोड़ चुके हैं घर
डीआइजी के पास पहुंचे सुरेंद्र उरांव ने बताया कि वह भाकपा माओवादी के नक्सली उदय उरांव के दस्ते में था. उसने अपने कारबाइन के साथ सरेंडर किया था. सरेंडर करने के बाद अब स्थिति यह हो गयी है संगठन के लोग अब उनकी हत्या पर उतारू हो गये हैं. इस वजह से वे घर भी नहीं जा पा रहे हैं. अन्य लोगों ने भी कहा कि डर से उन्हें इधर-उधर छिप कर रहना पड़ता है.
ये लोग पहुंचे फरियाद लेकर
सुरेंद्र उरांव, मनोज तिर्की, दिलीप तिडू, विकास तिर्की, अमृत प्रकाश तिर्की, रमेश तिड़ू, आलोक तिड़ू, अमित खोया, जेम्स तिड़ू, सुनील पिंटू तिड़ू, मनवेल तिड़ू
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