काशी क्योतो बनेगी या सेंटियागो

वाराणसी से शरद दीक्षित नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, लगता है इस बूढ़े शहर के दिन ही बहुर गये हैं. शहर का कायाकल्प करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों बेकरार हैं. केंद्र ने गंगा को साफ करने के अलावा काशी के घाटों पर मेहरबानी बरसाने के संकेत दिये, तो सूबे के मुख्यमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2014 2:17 AM

वाराणसी से शरद दीक्षित

नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, लगता है इस बूढ़े शहर के दिन ही बहुर गये हैं. शहर का कायाकल्प करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों बेकरार हैं. केंद्र ने गंगा को साफ करने के अलावा काशी के घाटों पर मेहरबानी बरसाने के संकेत दिये, तो सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वरुणा नदी को प्रदूषण मुक्त करने का बीड़ा उठा लिया. मोदी ने जापान जाकर काशी को क्योतो जैसा बनाने का करार करवाया, तो अखिलेश ने बनारस के डीएम को सेंटियागो भेज दिया, ताकि बनारस को सेंटियागो की तरह चमकाया जाये.

नरेंद्र मोदी बनारस से चुनाव जीते, तो 17 मई को बतौर सांसद बनारस के अपने पहले दौरे में उन्होंने घाट पर खड़े होकर गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प दोहराया. मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई. प्रदेश सरकार के सीने पर सांप लोट गये और इसकी काट ढूंढ़ी जाने लगी. आखिरकार नाले में तब्दील हो रही वरुणा पर नजर गयी. खुद मुख्यमंत्री ने रुचि ली और बनारस के नदी वैज्ञानिक प्रोफेसर यूके चौधरी को डीएम प्रांजल यादव के साथ लखनऊ बुलाया और वरुणा व असी नदी के बारे में जानकारी ली. असी को पुनर्जीवित करना कठिन है. हां, वरुणा में सुधार की संभावनाएं हैं. लिहाजा, वरुणा को प्रदूषण मुक्त करने की मुहिम शुरू करने की ठानी गयी. वरुणा ट्रांसपोर्टेशन परियोजना तैयार हुई. इसके तहत नदी का सर्वे हो चुका है. 225 करोड़ रुपये की योजना का खाका खींचा गया है.

डीएम प्रांजल यादव के मुताबिक, पहले वरुणा पर अतिक्रमण हटवाये जायेंगे. दोनों किनारों पर पाथ-वे बनेंगे. माहौल ऐसा होगा कि पर्यटक इसके किनारे घूम सकें. वरुणा में क्रूज चला कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जायेगा. बिल्कुल गंगा को साफ कर जलपरिवहन शुरू करने की तरह. बात यही नहीं रुकी. मोदी जापान गये, तो क्योतो के मेयर से बनारस को हेरिटेज सिटी क्योतो की तरह सजाने-संवारने का समझौता करवाया. सूबे के मुख्यमंत्री के सामने यह एक और चुनौती थी. प्रदेश सरकार विश्व बैंक की मदद से काशी को हेरिटेज सिटी सेंटियागो की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनायी. वाराणसी डीएम को पर्यटन सचिव और सीएम के सचिव के साथ सेंटियागो भेजा गया.

चौक-चौराहों पर दिख रहा असर

बनारस को विकसित करने की योजना का असर चौक चौराहों पर दिख रहा है. भाजपाई काशी को क्योतो बनाने पर व्याख्यान दे रहे हैं, तो सपाई सेंटियागो की महिमा का बखान कर रहे हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अशोक पांडेय कहते हैं कि बनारसी लूटो और क्योतो का फर्क जानते हैं. (लूटनेवालों से उनका इशारा सपा की तरफ है) शिगूफे काम नहीं आयेंगे. वे सिर्फ नकल करना जानते हैं. वहीं, सपा नेता शंकर विशनानी कहते हैं कि बनारस को क्योतो जैसा बनाने की बात गप्पबाजी है. मोदी गंभीर नहीं हैं. अखिलेश बनारस को सेंटियागो जैसा बनाने के लिए गंभीर हैं. तभी तो बनारस के डीएम को सेंटियागो भेजा है. कंदवा में डेजलिंग डायमंड स्कूल के प्रबंधक अभिनव त्रिपाठी कहते हैं कि फिलहाल विकास होता नहीं दिख रहा. अलबत्ता, जो होड़ मची है, उसका एक ही हल है. मोदी और अखिलेश बनारस का बंटवारा कर लें. वरुणा नदी के एक तरफ अखिलेश सेंटियागो बनाएं और दूसरी तरफ के शहर को मोदी क्योतो की तरह सजाएं.

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