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इनसानों जैसा व्यवहार करेगा यह कंप्यूटर प्रोग्राम

वैज्ञानिक अब कृत्रिम बुद्धिवाले कंप्यूटर एनिमेशन प्रोग्राम विकसित करने में लगे हैं, जो इनसानों की तरह बात कर सकता है और दूसरों के द्वारा कही गयी बातों को समझ भी सकता है. यह ऐसे लोगों के लिए मददगार साबित होगा, जो अकेले रहते हैं या जिनके परिवार में कोई नहीं है. ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2014 8:24 AM

वैज्ञानिक अब कृत्रिम बुद्धिवाले कंप्यूटर एनिमेशन प्रोग्राम विकसित करने में लगे हैं, जो इनसानों की तरह बात कर सकता है और दूसरों के द्वारा कही गयी बातों को समझ भी सकता है. यह ऐसे लोगों के लिए मददगार साबित होगा, जो अकेले रहते हैं या जिनके परिवार में कोई नहीं है.

ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसा एनिमेशन प्रोग्राम विकसित कर रहे हैं, जो बिल्कुल इनसान की तरह सोचने, समझने, सीखने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगा. वैज्ञानिक बायोइंजीनियरिंग, कंप्यूटेशनल एंड थ्योरिटिकल न्यूरोसाइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरेक्टिव कंप्यूटर ग्राफिक रिसर्च के कॉम्बिनेशन से जीते-जागते चेहरे और दिमाग के कंप्यूटरीकृत मॉडल्स तैयार कर रहे हैं. इन मॉडलों को एडवांस्ड 3डी कंप्यूटर ग्राफिक्स की मदद से इकट्ठा करके चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्से का रूप दिया गया है. यह सिस्टम एक साथ वीडियो और ऑडियो इनपुट की पहचान कर सकता है.

इसमें लोगों के व्यवहार से संबंधित 3डी एनिमेशन मॉडल पहले से मौजूद हैं. इस तरह वह सामनेवाले के व्यवहार को अपने अंदर पहले से सेव मॉडल से मिलाता है और इस आधार पर वह अपनी प्रतिक्रिया देता है. यह कंप्यूटर प्रोग्राम शब्दों, आवाजों और तसवीरों को भी बखूबी पहचानता है. वैज्ञानिकों का लक्ष्य एक ऐसी मशीन को विकसित करना है, जिसमें वास्तविक बच्चों की तरह सोचने समझने और सीखने की क्षमता हो. इसके मस्तिष्क को कंप्यूटर एल्गोरिदम के तर्ज पर तैयार किया गया है, जो बिल्कुल किसी जीते-जागते इनसान के जैसा है. इसी की मदद से यह अच्छे और बुरे की पहचान कर पाता है. इसके फेशियल एक्सप्रेशंस वास्तविक बच्चों के जैसे ही हैं. जब इससे बात की जाती है, तो यह बिल्कुल वैसी ही प्रतिक्रिया देता है, जैसे कोई वास्तविक बच्चा देता है.

सिम्युलेटेड न्यूरोकेमिकल रिएक्शन डिसाइड करते हैं कि वह कैसे रिएक्ट करेगा. जैसे अगर तुम इसकी प्रशंसा करोगे, तो इसके वचरुअल दिमाग में वचरुअल डोपामाइन हारमोन रिलीज होगा. इसके परिणामस्वरूप यह शरमायेगा और हंसेगा भी. यह कैमरे की मदद से सब देख सकता है. यह कोई भी लिखा हुआ शब्द या तसवीर पहचान कर उसके बारे में बताता है. इस रोबोट को बेबी-एक्स नाम दिया गया है. यह इनसान की कंप्यूटरीकृत साइकोबाइलॉजिकल प्रतिकृति है. इसे ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट डॉ मार्क सागर की बेटी फ्रैन्सेस्का को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.

प्रस्तुति : पूजा कुमारी

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