आमतौर पर दिल की सुनने का अर्थ मनमर्जी से लगाया जाता है. मगर बात जब दिल की सेहत की हो, तो यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि आपकी किन आदतों से आपका दिल नाराज हो सकता है और किससे खुश रहता है. वर्ल्ड हार्ट डे पर दिल की बातों को आप तक पहुंचा रहे हैं दिल्ली व पटना के प्रतिष्ठित डॉक्टर.
हृदय का स्वास्थ्य हमारी रोज की आदतों से भी प्रभावित होता है. अत: यह जानना जरूरी है कि कौन-सी आदतें हृदय को स्वस्थ रखती हैं और कौन-सी बीमार बनाती हैं.
इनसे करें परहेज
न छोड़ें ब्रेकफास्ट : कई लोग सुबह में ब्रेकफास्ट नहीं करते. अधिकतर लोग समय की कमी के कारण ऐसा करते हैं. मगर ब्रेकफास्ट न करना दिल के लिए खतरा है.
फास्टफूड : लोग फास्ट फूड का सेवन करना अपनी शान समझते हैं. लेकिन इससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है. अत: इससे परहेज रखें या कम सेवन करें.
डिनर के बाद सोना : ज्यादातर लोग डिनर करते ही सो जाते हैं. ऐसा करने से कैलोरी बर्न नहीं हो पाती और मोटापा बढ़ने की आशंका होती है. अत: डिनर करते ही एकदम न सोएं. डिनर के बाद हल्का व्यायाम करें या कुछ देर टहलें. 1-2 घंटे बाद ही सोएं.
नमक हिसाब से लें : अधिक नमक का सेवन दिल समेत कई अंगों पर बुरा प्रभाव छोड़ता है. इससे मोटापा और हाइ बीपी का खतरा होता है.
प्रयोग किया हुआ तेल : प्रयोग हो चुके तेल को दोबारा इस्तेमाल न करें. इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है, जिससे हार्ट ब्लॉकेज हो सकता है.
डॉ केके अग्रवाल
सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट, मूलचंद अस्पताल, दिल्ली
हार्ट अटैक में तुरंत इलाज जरूरी
हार्ट अटैक : हार्ट अटैक में व्यक्ति को मामूली दर्द या गंभीर दर्द हो सकता है. कुछ लोगों में इसके लक्षण नजर नहीं आते, जिसे हम ‘साइलेंट मायोकार्डियल’ इन्फेक्शन या एमआइ कहते हैं. यह मुख्य रूप से शुगर के मरीजों में होता है. जिन लोगों में हार्ट अटैक की आशंका होती है, उन्हें तुरंत आपातकालीन चिकित्सा करानी चाहिए. इसमें तुरंत इलाज बेहद जरूरी है. इलाज जितनी जल्द होगा, ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होती है.
लक्षण :
धड़कनों का तेज या अनियमित होना
सीने और छाती में दर्द, भारीपन होना त्नसांस लेने में तकलीफ होना
पसीना, उल्टी या कमजोरी महसूस होना त्नकमजोरी होना.
इलाज : दवाइयां और एंजियोप्लास्टी
हार्ट वाल्व संबंधी : इस समस्या में कमजोरी व बेहोशी हो सकती है. सीने में असहजता महसूस होती है और छाती पर दबाव या भारीपन होता है. इस रोग के लक्षण हमेशा गंभीर नहीं होते. इसके लक्षण नजर आने पर हल्के में न लें. उचित ट्रीटमेंट कराएं.
इलाज : दवाइयां, हार्ट वाल्व रिपेयर और ट्रांसप्लांट
हार्ट फेल्योर : हार्ट फेल्योर होने से शरीर का वजन बढ़ जाता है. पैरों और पेट पर सूजन आ जाती है. कमजोरी, बेहोशी या चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है. छाती में दर्द और सांसें छोटी आती हैं. कई बार हल्की परेशानी में भी ये लक्षण दिख सकते हैं.
इलाज :दवाइयां, बायपास सजर्री, हार्ट वाल्व सजर्री, हार्ट ट्रांसप्लांट.
क्या हो हेल्दी लाइफ स्टाइल
दिल को सेहतमंद रखने के लिए मुख्य रूप से चार चीजें काम करती हैं – एक्सरसाइज, स्ट्रेस कम लेना, डायट का ख्याल रखना और स्मोकिंग से दूर रहना. यदि इन बातों का ख्याल रखा जाये, तो हृदय रोगों से काफी हद तक बचा जा सकता है.
उपचार संभव
दिल में 70 से 80 प्रतिशत तक ब्लॉकेज होने पर भी उपचार संभव है. उसके लिए लक्षणों की पहचान जरूरी है. सीने में हल्का दर्द हो, तेज चलने पर सीने में तकलीफ हो, सांस फूल जाती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
ये हैं दिल के कार्य
दिल ही पूरे शरीर में रक्त पहुंचाता है. इसके तीन हिस्से होते हैं-मसल्स, आर्टरी और वेन्स. पहले रक्त दिल में पहुंचता है और ऑक्सीजन के संपर्क में आकर शुद्ध होता है. यह मसल्स में मौजूद पंप की मदद से शरीर के विभिन्न अंगों तक पंहुचता है. आर्टरी और वेन्स दोनों रक्त को क्रमश: दिल से अन्य अंगों तक लाने और फिर वापस दिल में ले जाने का कार्य करती हैं. यानी दिल शरीर के लिए इंजन का कार्य करता है. अत: इतने महत्वपूर्ण अंग का पूरा ख्याल रखें.
कब आती है समस्या
जब आर्टरी में ब्लॉकेज के कारण ब्लड सरकुलेशन में रुकावट आने लगती है. इसी से दिल की अधिकांश बीमारियां होती हैं. यह समस्या गलत खान-पान, जीवनशैली और स्मोकिंग के कारण होती है. शुगर, कोलेस्ट्रॉल, हाइ बीपी और स्ट्रेस की वजह से भी दिल की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
ये हैं प्रमुख हृदय रोग
कोरोनरी आर्टरी डिजीज : यह रोग कोरोनरी आर्टरी में प्लाक के जमने से होता है. इस रोग में छाती में दर्द, भारीपन, जलन आदि महसूस होती है. यह गलत खान-पान की वजह से होती है. जीवनशैली बदल कर इससे बच सकते हैं.
प्रारंभिक लक्षण : छोटी सांसें आना
धड़कनों का तेज चलना
कमजोरी महसूस होना
पसीना आना
इलाज : एंजियोप्लास्टी, अधिक ब्लॉकेज होने पर बायपास सजर्री.
एरिदमिया : एरिदमिया दिल की असामान्य घड़कन के होने पर होती है. लक्षण निम्न हो सकते हैं-
त्नधड़कनों का अनियंत्रित हो जाना त्नचक्कर आना त्नबेहोशी, कमजोरी, थकावट त्नछोटी सांसें आना
इलाज : इलेक्ट्रिक शॉक थेरेपी, हार्ट एब्लेशन, पेसमेकर, बायपास सजर्री.
जन्मजात दोष : दिल के कई रोग जन्मजात होते हैं. कई बार बचपन में तो कई बार बाद में इस समस्या का पता चलता है. एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस, सिंगल वेंट्रिकिल डिफेक्ट आदि इसके उदाहरण हैं. इसके अलावा भी कई अन्य रोग होते हैं.
इस रोग से पीड़ित मरीजों में निम्न लक्षण हो सकते हैं-
जल्दी-जल्दी सांस आना
साइनोसिस (त्वचा, नाखूनों पर हल्का रंग दिखना) त्नवजन कम होना
फेफड़ों में बार-बार इन्फेक्शन होना
एक्सरसाइज में परेशानी होना
उपचार : इन रोगों का उपचार रोग के प्रकार पर निर्भर करता है.
जान बचाता है सीपीआर
हार्ट अटैक में फर्स्ट एड क्या ?
हार्ट अटैक अधिकतर डायबिटीज के मरीजों को होता है. अटैक होने पर समय न गंवाते हुए उन्हें तुरंत हॉस्पिटल लाएं. इसकी पहचान छाती में दर्द होना है. हालांकि हर छाती का दर्द हार्ट अटैक नहीं होता है. अत: गंभीर दर्द या वैसे मरीज जिन्हें इसके होने की आशंका हो, उन्हें अटैक के 10 मिनट के अंदर अस्पताल लाएं और इसीजी कराएं. इससे पता चलेगा कि हार्ट अटैक मेजर है या नहीं. क्योंकि मेजर होने की स्थिति में इसका उपचार अलग होता है.
कार्डियक अरेस्ट क्या है?
कार्डियक अरेस्ट में हार्ट अचानक काम करना बंद कर देता है. इसके कारण शरीर के अन्य अंगों तक रक्त का संचरण बंद हो जाता है. जब मस्तिष्क तक खून नहीं पहुंच पाता है, तब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. इस समस्या के दौरान यदि एक से दो मिनट के अंदर सीपीआर दिया जाये, तो व्यक्ति बच सकता है.
सीपीआर क्या है?
कार्डियक अरेस्ट के कारण अक्सर सडेन डेथ हो जाती है. अत: पेशेंट को बचाने के लिए सीपीआर का प्रयोग किया जाता है. यह बेसिक लाइफ सपोर्ट का हिस्सा है. इसमें छाती को जोर-जोर से दबाया जाता है. सीपीआर के तीन हिस्से होते हैं, जिन्हें ए(एयरवे), बी(ब्रीदिंग), सी(सकरुलेशन) कहते हैं. एयरवे के अनुसार यह देखना चाहिए कि सांस लेने में कोई समस्या तो नहीं है. ब्रीदिंग का अर्थ है कि मरीज को कृत्रिम सांस देनी चाहिए. सकरुलेशन में छाती को दबाया जाता है, इससे हवा का सकरुलेशन बना रहता है. इसे हर किसी को सीखना चाहिए. बातचीत : अजय कुमार
रोग की अवस्था पर निर्भर करता है ब्लॉकेज का इलाज
30-40 प्रतिशत ब्लॉकेज : यदि ब्लॉकेज मेन आर्टरी में न हो, तो मेडिसिन द्वारा ट्रीटमेंट किया जाता है.
30-40 प्रतिशत से अधिक : यदि ब्लॉकेज इससे ज्यादा हो और दो या तीन जगहों पर है, तो स्टेंट से इलाज होता है.
क्रिटिकल ब्लॉकेज : यदि आर्टरी में तीन जगह से ज्यादा जगहों पर ब्लॉकेज हो, तो उसे क्रिटिकल ब्लॉकेज कहते हैं. ऐसी अवस्था में बायपास सर्जरी की जाती है.
बायपास सर्जरी : इस सर्जरी में दिल की घड़कन को मशीनों से रोक कर खून की सप्लाइ की जाती है. सजर्री में मरीज के पैर, छाती या हाथ की नस से ग्राफ्ट बनाया जाता है. ब्लॉकेजवाली नस में ग्राफ्ट की मदद से बायपास करके खून की सप्लाइ की जाती है. इस सर्जरी में दो-तीन लाख रुपये का खर्च आता है. ऑपरेशन में तीन-चार घंटे लगते हैं और मरीज को दो हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ता है. सर्जरी के बाद मरीज का दिल 12-14 सालों तक ठीक कार्य करता है.
एंजियोप्लास्टी : इसे स्टेंट लगवाना भी कहते हैं. इसमें ब्लॉकेज को बैलून के जरिये धक्का देकर खोला जाता है. बैलून को पैर या हाथ की नसों से हार्ट तक भेजते हैं. ब्लॉकेजवाले स्थान पर स्टेनलेस स्टील का छल्ला लगाया जाता है, इसे स्टेंट भी कहते हैं. इससे दोबारा रुकावट नहीं होती. इसमें दो-पांच लाख का खर्च आता है. खर्च स्टेंट की संख्या पर निर्भर करता है. एक स्टेंट एक-डेढ़ लाख रुपये तक का होता है. इस प्रक्रिया में आधा घंटा लगता है. इसमें ओपन सजर्री की जरूरत नहीं होती. एक छोटे छेद-से यह सजर्री की जाती है.
बातचीत व आलेख : कुलदीप तोमर
डॉ गौतम सिंह
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, श्रीराम सिंह अस्पताल, दिल्ली