भारत-पाक रिश्तों में नहीं हुई प्रगति : पाकिस्तानी अखबार
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के बड़े अखबारों ने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को आज पहले पेज पर प्रमुखता दी है. कश्मीर मुद्दे को विश्व निकाय में उठाकर इसे सुलझाने में पाकिस्तान की गंभीरता पर सवाल खड़ा करते हुए एक बडे अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान और भारत के रिश्ते जहां […]
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के बड़े अखबारों ने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को आज पहले पेज पर प्रमुखता दी है. कश्मीर मुद्दे को विश्व निकाय में उठाकर इसे सुलझाने में पाकिस्तान की गंभीरता पर सवाल खड़ा करते हुए एक बडे अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान और भारत के रिश्ते जहां से चले थे, वहीं आ गये हैं.
डॉन, द न्यूज इंटरनेशनल, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून जैसे बडे अखबारों में मोदी के भाषण को पहले पेज पर लीड बनाया गया है. दक्षिणपंथी विचारधारा के अखबार ‘द नेशन’ ने भी इसे पहली खबर बनाया. खबरों में मुख्य तौर पर तथ्यों को पेश किया गया है और अखबारों ने इसकी पाकिस्तान से जुडी थीम और बयानों पर ध्यान केंद्रित किया है.
मोदी के भाषण को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाषण के जवाब के तौर पर देखा गया है. शरीफ ने अपने भाषण में परोक्ष रुप से भारत पर शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने का आरोप लगाया था और संयुक्त राष्ट्र से कश्मीर में अपनी भूमिका निभाने का अनुरोध किया था.
‘द नेशन’ ने लिखा कि यूएनजीए के अपने पहले भाषण में भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान द्वारा दशकों पुराने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने पर इसे सुलझाने की पाकिस्तान की गंभीरता पर सवाल खडा किया.‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने कहा कि मोदी ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान को बातचीत फिर से शुरु करने के लिए आतंकवाद मुक्त माहौल बनाना होगा.
प्रभावशाली अखबार डॉन ने खबर प्रकाशित की है कि मोदी ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता की अपने देश की इच्छा जताई है लेकिन ‘आतंकवाद की छाया के बिना.
’ अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘‘पाकिस्तान और भारत उसी जगह पर आ गये हैं जहां से उन्हें नये सिरे से शुरुआत करनी होगी.’’डॉन के अनुसार, ‘‘अगर पाकिस्तान की आंतरिक गतिविधियों, मसलन सुरक्षा तंत्र के साथ शरीफ के कमजोर संबंध, का आज की प्रतिक्रिया में योगदान है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उभरती महाशक्ति के तौर पर काम करने की भारत की आकांक्षा ने भी दोनों देशों के बीच बातचीत को रोका है.’’ ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने खबर प्रकाशित की है कि मोदी का भाषण भारत द्वारा बातचीत को एकतरफा तरीके से निरस्त करने पर शरीफ की हताशा का जवाब है. हालांकि मोदी ने शांति प्रक्रिया को पाकिस्तान की गंभीरता के साथ जोडा. अखबार ने मोदी के भाषण में उल्लेखित ‘आतंकवाद की छाया’ पर भी जोर दिया है.