मैं ने दुनिया के कई मुल्कों की सैर की है. जहाँ जाओ लोग शाहरुख़ खान के बारे में जानना चाहते हैं क्योंकि वे वर्तमान में भारत के सबसे लोकप्रिय व्यक्ति है.
लेकिन नरेंद्र मोदी की बढ़ती हुई पहचान को देख कर ऐसा लगता है वे शाहरुख़ ख़ान को जल्द ही पीछे छोड़ सकते हैं.
लेकिन आम चुनाव में भारी जीत के बाद ख़ुद देश के अंदर उनकी साख थोड़ी कमज़ोर हुई है.
ज़ुबैर अहमद का विश्लेषण
मोदी का ये चुनावी वादा कि अच्छे दिन आने वाले हैं सोशल मीडिया और समाज में मज़ाक़ का विषय बनता जा रहा है क्योंकि महंगाई कम नहीं हो सकी है, रोज़गार नहीं बढ़े हैं और आम आदमी अब भी बदहाल महसूस कर रहा है.
उपचुनावों में लोगों ने अपनी नाराज़गी जताई है. उपचुनाव के नतीजे कहते हैं कि मोदी का सीना 56 इंच का नहीं है, पर देश के बाहर उनका सीना भी फूल रहा है और क़द भी ऊंचा हो रहा है.
भला मोदी से बेहतर कौन जानता है कि केवल अच्छी चाय बनाना काफ़ी नहीं है. उसे लोगों को दिल से पिलाने से चाय और भी मीठी हो जाती है.
भारी बहुमत से चुनाव जीतने से ही दुनिया भर में उन्हें सराहा नहीं जा रहा है. अब तक की सभी विदेश यात्राओं में मोदी ने कोई ग़लत क़दम नहीं उठाया है. इसके विपरीत वे जहाँ भी जा रहे हैं लोगों में उनके प्रति जिज्ञासा है और वे लोगों से जुड़ने की कोशिश करते हैं.
रॉक स्टार ट्रीटमेंट
कूटनीति में प्रतीकों का अपना महत्व है और मोदी इसका इस्तेमाल करना जानते हैं, चाहे वो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ साबरमती के किनारे झूले पर बैठने का मंज़र हो या फिर जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो एबे के साथ चाय पीना और एक समारोह में ड्रम बजाना.
इन दौरों में उन्होंने ठोस द्विपक्षीय समझौते भी किए. जापान से 35 अरब डॉलर निवेश का वादा भी ले लिया और चीनी राष्ट्रपति से भी निवेश का क़रार किया.
मैं ने लंदन में भारतीय दूतावास के एक वरिष्ठ राजनयिक दोस्त से मोदी की विदेश यात्राओं के बारे में अनौपचारिक रूप से बात की तो पता चला वो हैरान थे कि जिस व्यक्ति ने मुख्यमंत्री के पद पर एक लम्बा समय गुज़ारा हो वो आज भारत का सब से प्रभावशाली राजनयिक बन कर उभर रहा है.
नरेंद्र मोदी का वर्तमान अमरीकी दौरा उनके पद संभालने के बाद से छठी विदेश यात्रा है. अमरीका में भारतीय मूल के लोग उन्हें रॉक स्टार वाली ट्रीटमेंट देने में लगे हैं.
व्यक्तिगत जीत
मोदी को गुजरात दंगों के कारण दस साल तक वीज़ा देने से इंकार करने वाला अमरीका उनका अब पूरे सम्मान के साथ स्वागत कर रहा है.
ये सही है कि वे दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री की हैसियत से अमरीका के अपने पहले दौरे पर गए हैं.
लेकिन कहीं न कहीं उनके मन में व्यक्तिगत जीत की भी भावना होगी. कल तक जिनके अमरीका आने पर प्रतिबंध था आज उस देश के सीनेटर से लेकर उद्योगपति तक सभी मिलने के लिए बेचैन नज़र आते हैं.
मोदी की चुनाव में ज़बरदस्त जीत इसका एक कारण ज़रूर है लेकिन अब तक की उनकी विदेश यात्राओं में अच्छे प्रदर्शन का भी इस में हाथ है.
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