अब नहीं करता परिणाम की चिंता
फिल्मकार विशाल भारद्वाज निर्देशित ‘कमीने’ से इंडस्ट्री में अपने बेहतरीन अभिनय की छाप छोड़नेवाले शाहिद कपूर एक बार फिर उन्हीं के निर्देशन में बनी फिल्म ‘हैदर’ में शीर्ष भूमिका में नजर आयेंगे. शाहिद इसे अपने कैरियर की सबसे मुश्किल फिल्म करार देते हैं. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर उनसे अनुप्रिया और उर्मिला की बातचीत.. […]
फिल्मकार विशाल भारद्वाज निर्देशित ‘कमीने’ से इंडस्ट्री में अपने बेहतरीन अभिनय की छाप छोड़नेवाले शाहिद कपूर एक बार फिर उन्हीं के निर्देशन में बनी फिल्म ‘हैदर’ में शीर्ष भूमिका में नजर आयेंगे. शाहिद इसे अपने कैरियर की सबसे मुश्किल फिल्म करार देते हैं. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर उनसे अनुप्रिया और उर्मिला की बातचीत..
क्या वजह रही जो आपने फिल्म ‘हैदर’ के लिए अपना मेहनताना नहीं लिया?
मैं और विशाल दोनों ही अपनी फीस चार्ज कर लेते, तो हमें फिल्म के निर्माण पर कम पैसे खर्च करने को मिलते. हमें फिल्म की कहानी के साथ न्याय करना था. मुङो इस फिल्म पर पूरा भरोसा था. यही वजह है कि मैंने इस फिल्म के लिए पैसे नहीं लिये. वैसे फिल्म के प्रॉफिट में मेरा हिस्सा होगा.
आपके अब तक के कैरियर में हैदर एक अलग तरह की फिल्म है. इस किरदार को करने से पहले आपकी क्या सोच थी?
मैं हॉलीवुड एक्टर लियोनादरे डिकैप्रियो का प्रशंसक हूं. वह कहते हैं, ‘मैं स्क्रिप्ट पढ़ कर यदि अपने दिमाग में यह सोच पाता हूं कि उस किरदार को किस तरह निभाऊंगा, तो मैं वह फिल्म नहीं करता. अगर स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मुङो यह समझ नहीं आता कि मैं उस किरदार को किस तरह निभाऊंगा, तो मैं उस फिल्म को करता हूं, क्योंकि मुङो उसमें कुछ नया सीखने और करने को मिलेगा.’ मैं भी इसी बात को मानता हूं. हां पहले मैं किसी भी फिल्म की शूटिंग पर जाने से पहले सोचता था कि ऐसा करूंगा वैसा करूंगा, लेकिन अब मैं निर्देशक की सोच के मुताबिक ही काम करता हूं और बिल्कुल खाली सोच व दिमाग के साथ शूट पर जाता हूं.
इस फिल्म में आप अपने पिता पंकज कपूर की याद दिला रहे हैं. कई दृश्यों में उनकी तरह ही प्रभावी नजर आ रहे हैं.यह मेरी खुशकिस्मती है कि मेरी तुलना पापा से हो रही है. वह मेरे आदर्श हैं. इस किरदार को करते हुए एक बार मैं ब्लैंक हो गया था, तब पापा ने मदद की थी. उन्हें अभिनय की बहुत समझ है.
इस फिल्म में आपने अपना सिर मुंडवा लिया था. प्रास्थेटिक मेकअप के जरिये भी आप इसे कर सकते थे?
मैं विशाल की फिल्म के एक सीन के लिए भी गंजा हो सकता हूं. मुङो उन पर और उनकी सिनेमा मेकिंग पर बहुत विश्वास है. सो जब सिर मुंडवाने की बात हुई, तो मैं फौरन राजी हो गया.
‘हैदर’ फिल्म के साथ-साथ ‘बैंग बैंग’ भी रिलीज हो रही है. यह फिल्म के कलेक्शन को प्रभावित कर सकती है. क्या इससे आप चिंतित हैं?
हम सब यह बहुत पहले से जानते हैं कि ‘हैदर’ और ‘बैंग बैंग’ दोनों एक साथ रिलीज होनेवाली हैं. हम इसके लिए शुरू से तैयार थे. मैं ‘हैदर’ को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हूं. उम्मीद करता हूं कि ‘बैंग बैंग’ भी अच्छा प्रदर्शन करे, क्योंकि इस फिल्म के लिए रितिक ने बहुत मेहनत की है. मुङो लगता है जो हम दे रहे हैं वह ‘बैंग बैंग’ में नहीं मिलेगा और जो ‘बैंग बैंग’ में है वह हम नहीं दे रहे. ऐसे में दर्शकों को दोनों फिल्में लुभायेंगी. इसके अलावा हमारी फिल्में 5 दिन के वीकेंड में रिलीज हो रही हैं, जो बहुत कम होता है. आम तौर पर लोगों को 3 दिन का वीकेंड मिलता है, जिसके लिए दो फिल्में पर्याप्त होती हैं. वैसे ‘हैदर’ बहुत कम बजट में बनी है, सो मुङो नहीं लगता कि बॉक्स ऑफिस पर अपने पैसे वसूलने में हमें ज्यादा समय लगेगा.
अपनी अब तक की जर्नी से आप खुद में किस तरह का बदलाव पाते हैं?
मेरे ख्याल से मेरे अंदर जो बदलाव आया है, वह यह है कि अब मैं परिणाम की उतनी चिंता नहीं करता, जितनी पहले करता था. सच तो यह है कि अगर आप हर वक्त परिणाम की चिंता करते रहते हैं, तो आप जो कर रहे हैं, उसे एंज्वॉय नहीं कर पाते. मैंने कुछ दिन पहले ‘हैदर’ देखी और जो पहली फीलिंग मेरे दिल में आयी, वह यह थी कि मैंने किसी बात की परवाह नहीं की है. मुङो इस बात का गर्व है कि मैंने ‘हैदर’ जैसी फिल्म की है. मैं इसका हिस्सा बन कर बहुत खुश हूं.
आपकी आनेवाली फिल्म?
इस फिल्म के बाद ‘शानदार’ रिलीज होगी.