उपलब्ध है ऑनलाइन बकरा

शिल्पा कन्नन बीबीसी संवाददाता, दिल्ली यह भारत की राजधानी दिल्ली का मशहूर बकरा बाज़ार है और हर साल इस वक़्त इन पंडालों के नीचे ख़रीदारों और बेचने वालों का जमघट लगता है. बकरा ख़रीदने की बात सुनने में जितनी आसान लगती है उतनी आसान होती नहीं है. इस बाज़ार के ज़्यादातर लोग लंबे अर्से से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2014 3:33 PM
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यह भारत की राजधानी दिल्ली का मशहूर बकरा बाज़ार है और हर साल इस वक़्त इन पंडालों के नीचे ख़रीदारों और बेचने वालों का जमघट लगता है.

बकरा ख़रीदने की बात सुनने में जितनी आसान लगती है उतनी आसान होती नहीं है.

इस बाज़ार के ज़्यादातर लोग लंबे अर्से से इस धंधे में हैं.

आख़िर ख़रीदार बकरा ख़रीदने से पहले किन बातों की तफ़्तीश करते हैं.

इस्लामी कानून

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अक्सर ख़रीदार ये जानना चाहते हैं कि बकरे की नस्ल क्या है और उसे कहां पाल-पोस कर बड़ा किया गया है.

साथ ही साथ बकरा कितने साल का है ये भी काफ़ी मायने रखता है.

बकरा कम से कम दो साल का होना ही चाहिए और अगर इस्लामी क़ानून के सारे नियमों के मुताबिक़ बकरा ईद में क़ुर्बानी देने लायक़ है तब फिर उनका मोल भाव शुरू होता है.

जमुनापारी नस्ल

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बाज़ार में बकरे को लेकर ख़ूब मोल भाव होता है. एक बकरा क़रीब तीन हज़ार से लेकर तीन लाख तक की क़ीमत में बिकता है.

बाज़ार में सबसे ज़्यादा सफ़ेद जमुनापारी नस्ल के बकरे की मांग है जबकि काले और भूरे बकरे इसकी तुलना में कम दाम में बिकते हैं.

लेकिन सबसे अधिक क़ीमत ‘दुम्बा’ की है जो कि एक तरह का भेड़ होता है और अपने मोटे दुम की वजह से जाना जाता है.

ऑनलाइन बाज़ार

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ईद में क़ुर्बानी के लिहाज़ से इसे सबसे अच्छा माना जाता है इसलिए इसकी क़ीमत ज़्यादा होती है.

मवेशियों की क़ीमत को लेकर मोल-भाव तो सदियों से चलता आ रहा हैं लेकिन रईस अहमद को उम्मीद है कि नए तरीक़े का इस्तेमाल करके वे अपने 60 किलोग्राम के बकरे की क़ीमत ज़्यादा वसूल सकते हैं.

वे अपने बकरे में ख़रीदार की दिलचस्पी जगाने के लिए उसकी तस्वीर खींचकर उसे ऑनलाइन पोस्ट कर देते हैं.

गर्मी और धूल

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अहमद का कहना है कि ऑनलाइन बकरा बेचने की यह उनकी पहली कोशिश है और लोगों की ओर से बड़े पैमाने पर मिलने वाली प्रतिक्रिया पर हैरान है.

वे कहते हैं, "मुझे हर जगह से फ़ोन आ रहे हैं. ख़रीदार बकरे की उम्र और तंदरूस्ती के बारे में जानना चाह रहे हैं. एकबार तसल्ली होने के बाद वे ऑनलाइन पैसा चुकाते हैं और मैं उनके घर बकरे पहुंचाता हूं क्योंकि वे गर्मी और धूल में बाज़ार नहीं आना चाहते हैं."

धार्मिक प्रतीक

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कई व्यापारी अपने बकरे की अहमियत को बढ़ाने के लिए उस पर धार्मिक प्रतिकों का इस्तेमाल करते हैं.

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बकरे की ऑनलाइन बिक्री का भारत में चलन शायद इस बक़रीद से हुआ है.

बक़रीद में क़ुर्बानी दिए गए बकरे का एक तिहाई हिस्सा ग़रीबों में बांटते हैं, एक तिहाई दोस्तों को देते हैं और बाक़ी हिस्से को परिवार के लोग अपने पास रखते हैं.

बकरा ख़रीदना बक़रीद के त्यौहार का एक अभिन्न हिस्सा है.

महंगा बकरा ख़रीदने के बाद ख़रीदार उन्हें सजाने के लिए घुंघरू और हार भी ख़रीदते हैं.

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