यूपीए में किचकिच, झाविमो की 11 सीटों पर है विवाद
रांची : विधानसभा चुनाव में यूपीए महा गंठबंधन की राह आसान नहीं है. महा गंठबंधन में कांग्रेस-झामुमो के बीच किचकिच तय है. गंठबंधन में कांग्रेस ने झाविमो की 11 सीटों पर दावा ठोंकने की तैयारी कर ली है. अपनी 14 सीटिंग सीटों के अलावा झाविमो के 11 सीटें जोड़ कर कांग्रेस 25 सीट की मांग […]
रांची : विधानसभा चुनाव में यूपीए महा गंठबंधन की राह आसान नहीं है. महा गंठबंधन में कांग्रेस-झामुमो के बीच किचकिच तय है. गंठबंधन में कांग्रेस ने झाविमो की 11 सीटों पर दावा ठोंकने की तैयारी कर ली है. अपनी 14 सीटिंग सीटों के अलावा झाविमो के 11 सीटें जोड़ कर कांग्रेस 25 सीट की मांग करना चाहती है.
झामुमो अपने 18 सिटिंग के साथ 43 सीटों को अपने लिए लॉक करना चाहती है. झामुमो की दलील है कि झाविमो के 11 सीटों पर उसका दावा बनता है. इस बीच झाविमो के कई लोगों ने झामुमो का दामन थाम लिया है. राजधनवार से झाविमो विधायक निजामुद्दीन अंसारी अब झामुमो के साथ है. ऐसी सूरत में झामुमो इन सीटों पर दावा करेगा. पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस प्रभारी बी के हरि प्रसाद के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेताओं की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था.
प्रभारी के साथ पिछले दिनों कांगे्रस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में भी सहमति बनी थी कि 43 सीटों को छोड़ कर ही घटक दलों के बीच बंटवारा हो. कांग्रेस, राजद और जदयू के लिए इसी रास्ते से सीट निकालना चाहती है. प्रभारी ने प्रदेश नेताओं से कहा कि वह हर सीट पर एक्सरसाइज कर दूसरी बार आयें. जमीनी स्तर पर जिसकी पकड़ होगी, सीट उसके खाते में ही जायेगी. गंठबंधन में दोनों ही दलों के बीच ऐसे हालात में कई सीटों पर पेंच फंसना तय है.
– कांग्रेस का क्या है फॉर्मूला
* पहले 14 और 18 सीटिंग सीट लॉक कर लें
* इन 32 सीटों के अलावा झाविमो की 11 सीटें उसके खाते की है.
* 43 सीट के बाद ही दूसरी सीटों का बंटवारा हो.
* बाकी बची 38 सीटें आपस में व सहयोगी दलों के बीच बांटी जाये.
– झामुमो जो चाहता है
* झाविमो के कई सीटों पर झामुमो दावा कर रहा है.
* 11 सीटें एकमुश्त कांग्रेस को देने के लिए तैयार नहीं.
* संताल परगना की सीटिंग सीट और दूसरे स्थान पर रही सीटों पर कोई समझौता नहीं.
– झामुमो चाहता है सम्मानजनक समझौता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कांग्रेस के साथ गंठबंधन में झामुमो सम्मानजनक समझौता करना चाहता है. उनकी पार्टी गंठबंधन दलों के बीच सबसे अधिक सीट चाहती है. झामुमो को इतनी सीट मिलनी चाहिए कि झामुमो अकेले पूर्ण बहुमत भी ला सके. झामुमो जनता के बीच यही संदेश देना चाहता है.
मुख्यमंत्री के एक करीबी के अनुसार वह गंठबंधन के पक्ष में हैं. पर सीटों को लेकर जिच है. झामुमो 40 से अधिक सीटें चाहता है. कांग्रेस आलाकमान के साथ प्रथम दौर की बैठक में इस बात को रखा गया. यह तय हुआ था कि दुर्गा पूजा के बाद एक बार फिर बैठक होगी. अब 10 अक्तूबर के पहले सीएम किसी भी दिन दिल्ली जा सकते हैं. उसी समय कांग्रेस आलाकमान के साथ बैठक होगी. इस दौरान कांग्रेस, झामुमो व अन्य सहयोगी दलों को सीट चिह्नित करनी है.
– शिबू गंठबंधन के पक्ष में नहीं : झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने हाल में कहा है कि वह गंठबंधन के पक्ष में नहीं है. उनका मानना है कि गंठबंधन से झामुमो को नुकसान हुआ है. हालांकि श्री सोरेन ने इस मामले में मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श करके ही अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए , भाजपा को रोकने के लिए मुख्यमंत्री गंठबंधन के पक्ष में हैं. सीएम की प्राथमिकता गंठबंधन ही है. गंठबंधन न होने की स्थिति झामुमो सभी सीटों की तैयारी कर रहा है.
पार्टी अल्पसंख्यक ध्रुवीकरण को लेकर भी गंभीर है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि झामुमो का अपना कैडर वोट है. अल्पसंख्यक मतदाता उस ओर ही झुकते हैं, जो भाजपा को हरा सकते हैं. सीएम सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि सीटों को लेकर सम्मानजनक तालमेल हो, ताकि एक बड़ी पार्टी के रूप में झामुमो अपनी भूमिका निभा सके.पार्टी का एक गुट इस पक्ष में भी है कि सम्मानजनक समझौता न होने की स्थिति में झामुमो गंठबंधन से किनारा कर ले.
* विधानसभा चुनाव में भी गंठबंधन हो : हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि गंठबंधन को लेकर वह गंभीर है. वह चाहते हैं कि सरकार जब कांग्रेस व राजद के सहयोग से चल रही है तो विधानसभा चुनाव में भी गंठबंधन हो. शिबू सोरेन के बाबत उन्होंने कहा कि गुरुजी की शुरू से ही इच्छा रही है कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े. पर चुनाव में कई परिस्थितियों को भी देखना पड़ता है. सीएम ने कहा कि और एक-दो दौर की वार्ता होगी. उसके बाद गंठबंधन की घोषणा की जायेगी.